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किताब के अनुसार, महमूद साहब ने अपनी मौत से 1 साल पहले कहा था, ‘मुझे दफनाया नहीं जलाया जाए.’ भले मैं एक मुसलमान हूं. लेकिन मैं चाहता हूं मुझे दफनाने के बजाय जलाया जाए. मेरी दिली तमन्ना ये है मेरे निधन के बाद मेरा दाह संस्कार हो और फिर मेरी अस्थियों को तीन खास जगह पर रखा जाए जो मेरे लिए बहुत मायने रखती हैं. इन जगहों पर मेरे वो अपने लोग हैं जिनसे मैं बेहद प्यार करता हूं.. उनसे मेरा बेहद लगाव रहा है. इनमें पहले हैं मेरे वालिद मुमताज अली, जिनकी कब्र बैंगलोर में है. दूसरी हैं मेरी मां लतीफुन्निसा अली, जिनकी कब्र मुंबई के चांदीवली में है और तीसरे हैं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, जिनकी समाधि दिल्ली में है.
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