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शहर में सड़को पर उतकर फ्लाइओवर के विरोध में कैंडल मार्च निकालते बाजार के दुकानदार।
हरियाणा में करनाल के रेलवे रोड पर एलिवेटेड फ्लाईओवर का महत्वकांशी प्रोजेक्ट स्थानीय दुकानदारों को रास नहीं आ रहा है। ‘नो टू फ्लाईओवर’ के बैनर लगाकर दुकानदारों ने शनिवार शाम को कैंडल मार्च निकाला गया। इस दौरान दुकानदारों ने सरकार व प्रशासन से प्रोजेक्
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जिस तरह से लगातार दुकानदार विरोध कर रहे है, उसको देखते हुए कई एजेंसियां टैंडर लेने से अपना हाथ पीछे खीच चुकी है। इतना ही नहीं रेलवे रोड के दुकानदार भी पहले ही आरोप लगा चुके है कि फ्लाईओवर के निर्माण को लेकर दुकानदारों से कोई सलाह नहीं ली गई। जिससे दुकानदारों में रोष है।
करनाल रेलवे रोड़ पर प्रदर्शन करते दुकानदान।
बाहर है सड़कों का जाल, फिर भी फ्लाईओवर क्यों?
करनाल में कर्ण मार्केट एसोसिएशन, करनाल व्यापार मंडल, कर्ण गेट मार्कीट एसोसिएशन, सर्राफा बाजार एसोसिएशन रेलवे रोड व्यापारी एसोसिएशन, जीटी रोड मार्केट एसोसिएशन, नेहरू पैलेस एसोसिएशन, नेताजी सुभाष चंद्र बोस मार्कीट एसोसिएशन सहित दो दर्जन से अधिक व्यापारी संगठन इस फ्लाई ओवर के विरोध में है। एसोसिएशन और व्यापारियों का कहना है कि शहर को जाम से मुक्ति दिलाने के नाम पर करनाल के बाहरी हिस्सों में सड़कों का जाल पहले ही बिछाया हुआ है, लेकिन फिर भी रेलवे रोड पर फ्लाईओवर का निर्माण किया जा रहा है, जो कि हमारी समझ से बाहर है।
दुकानदार रोहताश ने बताया कि हमें सबसे बड़ा डर यह है कि कमेटी चौक की मार्किट में करनाल के साथ-साथ आसपास के गांवों से खरीदारी के लिए लोग आते है। निर्माण शुरू होगा, तो करीब डेढ़ साल तक निर्माण चलेगा। ऐसे में दुकानदारों का कारोबार प्रभावित होगा, उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? अभी तक दुकानदार कोरोना संकट से ही नहीं उबर पाए है और बस स्टैंड शिफ्ट होने और सब्जी मंडी बाहर चली जाने से दुकानों के काम पर बहुत ज्यादा असर पड़ा है।
‘नो टू फ्लाईओवर’ का बैनर लेकर चलते दुकानदार।
कितने करोड़ का प्रोजेक्ट है और क्यों नहीं लेती एजेंसी टेंडर
KSCL ने दो-दो लेन के दो फ्लाईओवर बनाने की योजना बनाई। पहला, हरियाणा नर्सिंग होम से सरकारी कन्या महाविद्यालय तक बनाया जाना था, रेलवे रोड पर बनने वाला यह फ्लाईओवर करीबन 2.2 किलोमीटर का था। दूसरा कमेटी चौक से अंबेडकर चौक तक 500 मीटर का। हालांकि केएससीएल ही इन फ्लाईओवर का निर्माण करने वाली थी, लेकिन यह प्रोजेक्ट हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण को ट्रांसफर हो गया।दो वर्ष का समय बीत चुका है और पांच बार टेंडर रिलीज हो चुका है लेकिन किसी भी एजेंसी ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिलाई।
जिसका सबसे बड़ा कारण यह है कि शहर के अंदर मैटेरियल लाने और ले जाने में दिक्कत होगी, धूल की भी समस्या आएगी, दिन के समय ट्रैफिक बहुत होता है, इसलिए निर्माण में भी अड़चन आएगी और मटेरियल का स्टॉक करने और मशीने जब चलेगी, तो उसमें दुकानदार भी विरोध कर सकते है और इसी विरोध के कारण एजेंसी इस प्रोजेक्ट से किनारा कर रही है।
सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते नाराज दुकानदार।
हालांकि इसके निर्माण में आने वाले खर्च को भी पहले से ज्यादा बढ़ा दिया गया है। पहले यह प्रोजेक्ट 154 करोड़ व 93 करोड की लागत से बनने थे, लेकिन किसी ने इंट्रस्ट नहीं दिखाया, फिर इसको 157 करोड़ कर दिया। अगर बात की जाए एलिवेटेड फ्लाईओवर प्रोजेक्ट की तो इसे सिर चढ़ाने के लिए सीवर, पेयजल और बिजली लाइन शिफ्ट करने के काम को भी जोड़ा गया है। दूसरी ओर दुकानदारों में इस बात को लेकर भी रोष है कि फ्लाईओवर से पहले किसी भी दुकानदार या फिर एसोसिएशन से सलाह नहीं ली गई।
क्या कहते है जिला उपायुक्त
जब इस संबंध में जिला उपायुक्त उत्तम सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि शहर के महत्वकांशी प्रोजेक्ट को सिरे चढ़ाने के लिए लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। उनसे पहले किसी की कोई आपत्ति थी इसको लेकर कुछ भी नहीं कह सकते, लेकिन दुकानदारों की समस्या को सुना जाएगा और समस्या सुनने के बाद दुकानदारों को संतुष्ट किया जाएगा।
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