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India Chabahar Port: ईरान और भारत के बीच आज बड़ समझौता होने वाला है, इस डील को लेकर भारत के शिपिंग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल आज तेहरान पहुंच रहे हैं. तेहरान में भारत के मंत्री चाबहार पोर्ट को लेकर एमओयू साइन करेंगे, जिसके बाद 10 साल के लिए चाबहार पोर्ट पर भारत का नियंत्रण होगा. इस कदम को भारत के लिए ईरान और मध्य एशिया में भूराजनीतिक पहुंच के रूप में देखा जा रहा है. कोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, यह पहली बार होगा जब भारत विदेश की धरती पर किसी पोर्ट का प्रबंधन अपने हाथ में लेगा. चाबहार पोर्ट के जरिए ईरान और मध्य एशिया समेत यूरेशियन क्षेत्र में भारत की कनेक्टिविटी मजबूत होगी.
चाबहार पोर्ट के जरिए भारत को पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह और चीन के बेल्ट एंड रोड परियोजना को काउंटर करने में मदद मिलेगी. चाबहार पोर्ट के जरिए भारत अफगानिस्तान और मध्य एशिया में पहुंचने के लिए पाकिस्तान को बायपास करने में सक्षम हो जाएगा. चाबहार पोर्ट को आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) से जोड़ने की योजना है, इसके जरिए भारत रूस के सेंट पीटर्सबर्ग तक सीधी पहुंच हासिल करने में सक्षम होगा.
चाबहार पोर्ट पीए मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजना
चाबहार परियोजना को पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजना के तौर पर देखा जाता है. साल 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ईरान यात्रा के दौरान चाबहार पोर्ट को विकसित किए जाने को लेकर समझौता हुआ था. इसके बाद साल 2018 में जब ईरान के तत्कालीन राष्ट्रपति हसन रुहानी नई दिल्ली आए तो चाबहार बंदरगाह पर भारत की भूमिका पर बड़ी चर्चा हुई थी. वहीं साल 2014 में विदेश मंत्री एस जयशंकर की तेहरान यात्रा के दौरान भी चाबहार पोर्ट का मुद्दा प्रमुखता से उठा था.
शाहिद बेहिश्ती टर्मिनल पर भारत को मिला है अधिकार
भारत और ईरान के बीचे होने वाले नए समझौता 10 साल के लिए वैध होगा और इसे स्वचालित रूप से आगे बढ़ाया जाएगा. चाबहार को लेकर हुए मूल समझौते के तहत बंदरगाह के सिर्फ शाहिद बेहिश्ती टर्मिनल पर भारत को अधिकार मिला है. इस बंदरगाह में अफगानिस्तान भी एक हिस्सेदार है. साल 2016 में भारत ने शाहिद बेहिश्ती टर्मिनल को विकसित करने के लिए ईरान और अफगानिस्तान के साथ एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किया था.
चाबहार पोर्ट पर तालिबान करेगा निवेश
चाबहार पोर्ट पर तालिबान भी काफी दिलचस्पी दिखा रहा है. तालिबान की काबुल पर वापसी के बाद अफगानिस्तान का 50 फीसदी व्यापार चाबहार पोर्ट के जरिए हो रहा है. हाल ही में तालिबान ने कहा था कि वह अपना अधिकांश व्यापार चाबहार के जरिए करना चाहता है. तालिबान ने चाबहार बंदरगाह पर निर्माण के लिए 35 मिलियन डॉलर के निवेश की भी बात कही है.
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