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IPS Arti Singh
– फोटो : अमर उजाला
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मेरा पढ़ाई लिखाई में मन नहीं लगता था। जैसे तैसे हाईस्कूल, इंटरमीडिएट के बाद एमबीएम की पढ़ाई पूरी की। फिर बंगलुरू में एक एक्सपोर्ट हाउस में नौकरी करने लगी। इसके साथ ही सिविल सर्विसेस के परीक्षा भी देती रहीं। कई बार वह परीक्षा में बैठीं लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी।
इस बीच उम्र भी निकलती जा रही थी। 2017 में उन्हें अंतिम मौका मिला। इसके बाद मैंने नौकरी छोड़ दी। फिर जी तोड़ मेहनत शुरू कर दी। इसके बाद 2017 बैच में 118 रैंक हासिल कर आईपीएस अफसर बन गई।
ये कहना है आईपीएस आरती सिंह का। वर्तमान में आईपीएस आरती सिंह कमिश्नरी पुलिस में डीसीपी ट्रैफिक हैं। आरती सिंह बताती हैं कि हाईस्कूल और इंटर की परीक्षा के अंक गेम भर हैं। असफलता अंत नहीं होता। संघर्ष ही जीवन का नाम है। अगर आप खुद पर विश्वास नहीं करेंगे तो दूसरा क्यों करेगा। हार तभी होती है जब हौसला टूटता है।
उन्होंने बताया कि वह मध्यम परिवार से ताल्लुकात रखती हैं। पढ़ाई में मन नहीं लगता था। सीबीएससी बोर्ड से उन्होंने हाईस्कूल में 61 प्रतिशत हासिल की। इसके बाद इंटरमीडिएट फिर वर्ष 2011 में एमबीए की पढ़ाई पूरी की। फिर बंगलुरू में एक एक्सपोर्ट हाउस में नौकरी करने लगी।
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