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नेपाली कांग्रेस चाहती है कि देश में सनातन हिंदू राष्ट्र की स्थापना हो.हिंदुत्व की राजनीति भारत में सत्ता में है तो उनका प्रभाव ज्यादा है.साल 2008 तक नेपाल एक हिंदू राष्ट्र हुआ करता था, अब धर्म निरपेक्ष.
नेपाल में भारत की हर पार्टी और विचारधारा का प्रभाव पड़ता है. नेपाल पर पड़ रहा हिंदुत्व का प्रभाव भी इससे अलग नहीं है. यही वजह है कि अब वहां हिंदू राष्ट्र की मांग जोर पकड़ती जा रही है. भारत के वामपंथियों का संबंध नेपाल के वामपंथियों और माओवादियों से रहा है. समाजवादियों का रहा है और अब हिंदुत्व की राजनीति भारत में सत्ता में है तो उनका प्रभाव ज्यादा है. हिंदुत्व की राजनीति का यह असर पड़ा है कि नेपाल के धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनने के बाद से नेपाली कांग्रेस के कुछ नेता हिंदू राष्ट्र की बहाली के लिए अभियान चला रहे हैं. हाल ही में नेपाली कांग्रेस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सनातन हिंदू राष्ट्र नेपाल स्थापना अभियान हमारा मुख्य एजेंडा है. इसके अलावा नेपाली कांग्रेस के कई प्रभावशाली नेताओं ने भी बार-बार हिंदू राष्ट्र के प्रति अपना समर्थन और संघीय शासन प्रणाली के खिलाफ विरोध व्यक्त किया है.
संविधान ने बनाया धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र
नेपाल 1962 के संविधान के तहत हिंदू राष्ट्र बना था और इसे बनाने वाले किंग महेंद्र थे. नेपाल में राजशाही खत्म होने के बाद संवैधानिक व्यवस्था की नींव पड़ने के साथ ही नेपाल एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के तौर पर स्थापित हुआ. इससे पहले राजशाही के दौरान साल 2008 तक नेपाल एक हिंदू राष्ट्र हुआ करता था. सितंबर 2015 में नेपाल ने अपना नया संविधान लागू किया था. इस संविधान में घोषणा की गई थी कि नेपाल अब हिंदू राष्ट्र नहीं रहेगा. तभी नेपाल संवैधानिक रूप से सेक्यूलर स्टेट बन गया था. नेपाल में ऐसी घोषणा तब हुई थी जब भारत में हिंदू राष्ट्र की वकालत करने वाली भारतीय जनता पार्टी (BJP) की नरेंद्र मोदी सरकार बन चुकी थी. 2006 में भी भाजपा के उस समय के अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने नेपाल को चेताया था कि उन्हें माओवादियों के दबाव में आकर हिंदू राष्ट्र की अपनी पहचान नहीं खोनी चाहिए.
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नेपाल में कैसा है धार्मिक ढांचा
नेपाल के केंद्रीय जनसांख्यिकी ब्यूरो द्वारा पेश की गई 2021 की एक जनगणना रिपोर्ट के अनुसार इस देश में सबसे बड़ा धर्म हिंदू है. उस समय नेपाल में हिंदुओं की जनसंख्या 81.19 प्रतिशत (2,36,77744) थी. नेपाल में दूसरा सबसे ज्यादा माना जाने वाला धर्म बौद्ध है. नेपाल में इस धर्म के मानने वाले 8.2 प्रतिशत थे. संख्या के हिसाब से 2021 में 23,94549 लोग बौद्ध थे. नेपाल में 14,83060 लोग इस्लाम को मानने वाले थे और वे कुल आबादी का 5.09 प्रतिशत थे. हालांकि इस रिपोर्ट के अनुसार पिछले दशक में हिंदुओं और बौद्धों की जनसंख्या में मामूली कमी आई है, जबकि मुसलमानों, ईसाइयों और किरात की आबादी बढ़ गई है.
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नेपाल में आरएसएस
नेपाल में भी आरएसएस हिंदू स्वयंसेवक संघ (HSS) के नाम से काम करता है. एचएसएस नेपाल में मधेसियों और पहाड़ियों की लड़ाई, भारत-नेपाल के बीच सीमा विवाद के साथ तमाम समस्याओं के लिए मुसलमानों को जिम्मेदार ठहराता रहा है. भारत में आरएसएस की मासिक पत्रिका पांचजन्य निकलती है, उसी तरह नेपाल में एक पत्रिका हिमाल दृष्टि नाम से निकलती है. भारत में आरएसएस सरस्वती शिशु मंदिर नाम से स्कूल चलाता है और नेपाल में पशुपति शिक्षा मंदिर नाम से. जिस तरह से भारत में आरएसएस के कई संगठन हैं, उसी तरह से नेपाल में भी कई संगठन हैं. नेपाल में आरएसएस के 12 संगठन काम करते हैं.
धर्म का सियासी इस्तेमाल
बीबीसी हिंदी की एक रिपोर्ट के अनुसार डेनमार्क में नेपाल के पूर्व राजदूत और सेंटर फॉर सोशल एंड इन्क्लूजन एंड फेडरलिज्म (CEISF) नाम से एक थिंकटैंक चलाने वाले विजयकांत कर्ण कहते हैं, “भारत के प्रभाव की वजह से नेपाल में हिंदुत्व की राजनीति को बल मिला है, लेकिन अगर धर्म का सियासी इस्तेमाल हुआ तो स्थिति खराब हो जाएगी.” विजयकांत कर्ण कहते हैं, “ 15 लाख मुसलमानों में से 98 प्रतिशत मधेस इलाके में रहते हैं. यह इलाका भारत से जुड़ा हुआ है. इससे न केवल नेपाल की सुरक्षा खतरे में पड़ेगी, बल्कि भारत पर भी बुरा असर पड़ेगा.”
भारत में हिंदूवादी राजनीति का असर नेपाल के मुसलमानों पर सीधा असर पड़ा है. यह भले राजनीतिक रूप से नहीं दिख रहा है, लेकिन मुसलमानों के बीच हलचल है. हिंदुत्व के पक्ष में भारत में जो प्रचारतंत्र काम कर रहा है, उससे नेपाल भी बच नहीं सका है. युवा पीढ़ी इसे लेकर कुछ ज्यादा ही आक्रामक है.
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Tags: BJP, Hindu Rashtra, Hindu Rashtra Movement, India nepal, Modi government
FIRST PUBLISHED : February 15, 2024, 14:36 IST
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