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दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने शिक्षा निदेशालय (Directorate of Education, DoE) के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें सरकार की ओर से आवंटित जमीन पर बने निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को फीस बढ़ाने के लिए उसकी पूर्व अनुमति लेने का निर्देश दिया गया था। न्यायमूर्ति सी. हरि शंकर ने ‘एक्शन कमेटी अनएडेड रिकॉग्नाइज्ड प्राइवेट स्कूल’ की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए कहा कि फैसला आपत्तिजनक है। इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है।
‘एक्शन कमेटी अनएडेड रिकॉग्नाइज्ड प्राइवेट स्कूल’ ने 27 मार्च के शिक्षा निदेशालय के आदेश को चुनौती दी थी। कोर्ट ने कहा कि सुनवाई की अगली तारीख तक शिक्षा निदेशालय के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक रहेगी। जिन्हें फीस में वृद्धि के लिए पूर्व मंजूरी लेने की शर्त पर भूमि आवंटित की थी, शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए फीस में वृद्धि से संबंधित प्रस्ताव को 15 अप्रैल तक प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।
शिक्षा निदेशालय ने अपने आदेश में कहा था कि यदि स्कूल की ओर से कोई प्रस्ताव प्रस्तुत नहीं किया जाता है, तो फीस में वृद्धि नहीं की जाएगी। इस संबंध में किसी भी शिकायत को गंभीरता से लिया जाएगा। स्कूल कार्रवाई के लिए जवाबदेह होगा। 29 अप्रैल को पारित आदेश में हाईकोर्ट ने कहा कि जैसा कि पूर्व के न्यायिक निर्णयों में कहा गया था, एक गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूल को अपनी फीस बढ़ाने से पहले डीओई की पूर्व मंजूरी लेने की आवश्यकता नहीं है, ऐसे में स्कूलों को मुकदमेबाजी में नहीं धकेला जा सकता है।
नए आदेश पर पीठ ने कहा कि विवादित आदेश एक्शन कमेटी अनएडेड रिकॉग्नाइज्ड प्राइवेट स्कूल्स की एक अन्य याचिका पर विचार करते समय आया है। पीठ ने कहा कि सिद्धांत यह है कि निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को अपनी फीस बढ़ाने से पहले पूर्व अनुमोदन लेने की आवश्यकता नहीं है, जब तक कि वे कैपिटेशन चार्ज करके मुनाफाखोरी या शिक्षा के व्यावसायीकरण में शामिल नहीं होते हैं।
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