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19 मिनट पहले
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पढ़िए पद्म पुरस्कार पाने वाली चुनिंदा हस्तियों के बारे में…
1. पार्वती बरुआ
असम के गौरीपुर के एक राजघराने से ताल्लुक रखने वाली पार्वती बरुआ को शुरू से ही जानवरों से खास लगाव था। खासतौर पर हाथियों से। उनका यही प्यार उनकी जिंदगी का लक्ष्य बन गया और उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी जानवरों की सेवा में लगाने का फैसला कर लिया। वो एशियन एलिफैंट स्पेशलिस्ट ग्रुप, आईयूसीएन की सदस्य भी हैं। उनकी जिंदगी पर कई डॉक्यूमेंट्री बन चुकी हैं। वो हाथियों को बचाने के लिए भी काफी सक्रिय रहती हैं।
पार्वती बरुआ पर कई डॉक्यूमेंट्री बन चुकी हैं।
2. चामी मुर्मू
पद्म श्री पाने वाली चामी मुर्मू पिछले 28 सालाें में 28 हजार महिलाओं को स्वरोजगार दे चुकी हैं। चामी मुर्मू को नारी शक्ति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर 2019 में राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें यह सम्मान दिया।
2019 में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रपति रामनाथ ने चामी मुर्मू को नारी शक्ति पुरस्कार से भी सम्मानित किया।
3. जागेश्वर यादव
जशपुर से आदिवासी कल्याण कार्यकर्ता जागेश्वर यादव को भी पद्मश्री के लिए चुना गया है। छत्तीसगढ़ के जागेश्वर यादव 67 साल के हैं। उन्हें सामाजिक कार्य (आदिवासी – पीवीटीजी) के लिए पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है। उन्होंने हाशिये पर पड़े बिरहोर और पहाड़ी कोरवा लोगों के उत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।
जशपुर में आश्रम की स्थापना की और शिविर लगाकार निरक्षरता को खत्म करने और मानक स्वास्थ्य सेवा को उन्नत करने के लिए काम किया। महामारी के दौरान झिझक को दूर करने, टीकाकरण की सुविधा दिलवाई, जिससे शिशु मृत्युदर को कम करने में भी मदद मिली। आर्थिक तंगी के बावजूद उनका जुनून सामाजिक परिवर्तन लाने के लिए बना रहा।
4. दुखू माझी पश्चिम बंगाल के पुरुलिया के सिंदरी गांव के आदिवासी पर्यावरणविद् दुखू माझी को सामाजिक कार्य (पर्यावरण वनीकरण) के क्षेत्र में पद्मश्री दिया जाएगा। उन्होंने हर दिन अपनी साइकिल पर नए गंतव्यों की यात्रा करते हुए बंजर भूमि पर 5,000 से अधिक बरगद, आम और ब्लैकबेरी के पेड़ लगाए।
5. हेमचंद मांझी
छत्तीसगढ़ के नारायणपुर के पारंपरिक औषधीय चिकित्सक हेमचंद मांझी को चिकित्सा (आयुष पारंपरिक चिकित्सा) के क्षेत्र में पद्मश्री दिया जाएगा। उन्होंने पांच दशकों से अधिक समय से ग्रामीणों को सस्ती स्वास्थ्य सेवा प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने 15 साल की उम्र से जरूरतमंदों की सेवा शुरू कर दी थी।
6. संगथंकिमा
मिजोरम के सबसे बड़े अनाथालय ‘थुतक नुनपुइटु टीम’ चलाने वाले आइजोल के एक सामाजिक कार्यकर्ता संगथंकिमा को सामाजिक कार्य (बाल) के क्षेत्र में पद्मश्री दिया जाएगा।
8. के चेल्लम्मल
अंडमान व निकोबार के जैविक किसान के. चेल्लम्मल (नारियल अम्मा) को अन्य (कृषि जैविक) के क्षेत्र में पद्मश्री मिला। उन्होंने 10 एकड़ का जैविक फार्म सफलतापूर्वक विकसित किया।
9. गुरविंदर सिंह
हरियाणा के सिरसा के 52 साल के दिव्यांग सामाजिक कार्यकर्ता गुरविंदर सिंह ने बेघर, निराश्रित, महिलाओं की बेहतरी के लिए और अनाथ व दिव्यांगजनों के लिए काम किया। अपने अटूट समर्पण से उन्होंने 300 बच्चों का पालन-पोषण करने के लिए बाल देखभाल संस्थान स्थापित किया और नाम रखा बाल गोपाल धाम।
6,000 से ज्यादा लोगों को फ्री एम्बुलेंस सेवांए प्रदान की। इनमें दुर्घटना के शिकार और गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं। ट्रक की चपेट में आने से कमर के नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया और जीवन भर के लिए व्हीलचेयर पर ही सीमित होकर भी, दूसरों के कल्याण के लिए काम करना उनकी प्राथमिकता है।सामाजिक कार्य (दिव्यांग) में उन्हें पद्नश्री से सम्मानित किया जा रहा है।
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