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10:51 AM18 अप्रैल 2024
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कोर्ट रूम LIVE
शंकरनारायणन: विसंगति का प्रचार किया गया। चुनाव आयोग समझा सकता था। मिस्टर सिंह कह रहे हैं मिसमैच का केवल एक मामला है। जिसे हमने बताया है। चुनाव आयोग के प्रतिनिधि ऐसा नहीं कहते। वे मानते हैं कि इसमें मानवीय त्रुटियां हैं।
जस्टिस खन्ना (सिंह से): जो बताया जा रहा है, ये वह नहीं है जिस पर आपने तर्क दिया था।
सिंह: केवल एक मामला, दूसरा नहीं है।
कोर्ट: क्या हम इसे रिकॉर्ड पर ले सकते हैं।
जस्टिस खन्ना- मैं थोड़ा बहुत कंप्यूटर जानता हूं। फ्लैश मेमोरी कंट्रोलिंग यूनिट में है।
शंकरनारायणन: VVPAT तब इंडिपेंडेंट वैरिफिकेशन यूनिट नहीं रह जाता जब यह बैलट यूनिट से जोड़ दिया जाता है। VVPAT पर्चियों की संख्या का कहीं और रिकॉर्ड रखना जरूरी है।
उन्हें वीवीपैट पर्चियों की कुल संख्या गिनने दीजिए। न कि कितनी किसके पास गईं। ताकि अगर कोई विसंगति हो तो हमें पता चले कि कुछ गड़बड़ हुई है।
जस्टिस खन्ना: हम पहले ही कह रहे हैं कि बेहतर संचार होना चाहिए था, जानकारी उपलब्ध करायी जानी चाहिए थी।
भूषण: कुछ प्रोग्राम फीड है। पर्ची लटकी दिख रही है, कट कर गिरी हुई नहीं दिख रही।यह पूरी तरह पॉसिबल है। इसीलिए जनता में बेचैनी है ।
जस्टिस खन्ना: खुद को कानूनी तर्कों तक ही सीमित रखें। भूषण- अगर अभ्यर्थियों को बुलाया भी गया तो वे क्या देखेंगे? गलत प्रोग्राम लोड हो सकता है, उन्हें पता भी नहीं चलेगा। अब ट्रांसपैरेंट विंडो देखें, 2017 के आसपास जब हर जगह वीवीपैट लगाए गए थे। डिजाइन बदल दिया गया था।
भूषण: मतदाता को पर्ची कटती और बॉक्स में गिरती हुई दिखनी चाहिए। वीवीपैट पर्चियों की गिनती बहुत ज्यादा नहीं होती। पूर्व सीईसी कुरेशी ने बताया था कि मतपत्रों की गिनती में 2 दिन से भी कम समय लगा। यह मतदाताओं के विश्वास का भी सवाल है। ऐसा करने में क्या दिक्कत है?
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