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जिला अस्पताल के एसएनसीयू में भर्ती नवजात
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
जिला अस्पताल के नवजात देखभाल इकाई (एसएनसीयू) में लगे एसी से पानी टपक रहा है। एसी की बिजली लाइनेें खुली पड़ी हैं। नीचे बिजली का बोर्ड भी लगा है। इसी के नीचे बेबी वार्मर पर नवजात भर्ती हैं। जहां पर कभी भी हादसा हो सकता है। शुक्रवार रात झांसी मेडिकल कॉलेज में शार्ट सर्किट से लगी आग में 10 मासूमों की जान चली गईं, फिर भी नगर में जिम्मेदार बेफिक्र नजर आए। मौजूदा समय में जिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में 11 बच्चों का इलाज चल रहा है। उधर, जिला पुरुष व महिला अस्पताल में 2.37 करोड़ की लागत से फायर सिस्टम लगाए जाने का कार्य पिछले ढाई साल से चल रहा है।
कार्यदायी संस्था महताब कंस्ट्रक्शन लखनऊ की कछुआ गति होने के कारण अभी भी करीब 30 फीसदी कार्य अधूरा पड़ा है। कहीं पाइप खुले पड़े हैं, तो कहीं अधूरी छोटी पाइप लाइनें व फायर केबल पड़ी हैं। महिला अस्पताल के वाटर टैंक सहित पुरुष अस्पताल का पंप रूम भी अधूरा है। अभी फायर अलार्म भी लगने बाकी हैं। ऐसे में झांसी में हुए हादसे से सबक नहीं लिया जा रहा है। अभी भी दो माह में कार्य पूरा होने का दावा किया जा रहा है।
फायर सिस्टम लगा रही कार्यदायी संस्था के जेई अतुल कुमार से जब टीम ने संपर्क किया तो उन्होंने 10 मिनट बाद फोन करता हूं। दोबारा 25 मिनट बाद जब उनसे बात करने के लिए संपर्क किया गया तो उनका मोबाइल बंद आने लगा। सुपरवाइजर प्रदीप कुमार ने बताया कि पूरा सिस्टम कंपलीट करने में अभी करीब दो माह लग जाएगा। बताया कि महिला अस्पताल का वाटर टैंक व पुरुष अस्पताल के पंप रूम का निर्माण कार्य चल रहा है। फायर अलार्म भी लगने शेष हैं। 20 फीसदी कार्य शेष बचा है। जाे जनवरी 2025 तक पूरा कर लिया जाएगा।
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