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नई दिल्ली: श्रीलंका में राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसायनाके की कुर्सी बच गई. राष्ट्रपति दिसायनाके की पार्टी एनपीपी ने श्रीलंका चुनाव में प्रचंड जीत हासिल की है. एनपीपी यानी नेशनल पीपुल्स पावर ने बहुमत का जादुई आंकड़ा पार कर लिया है. निर्वाचन आयोग के नतीजों के अनुसार, राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके की पार्टी ‘नेशनल पीपुल्स पावर’ (एनपीपी) ने संसद में बहुमत हासिल कर लिया. श्रीलंका के निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों के अनुसार, मलीमावा (कम्पास) चिह्न के तहत चुनाव लड़ने वाली एनपीपी ने 225 सदस्यीय संसद में 141 सीटें हासिल कीं. एनपीपी को 68 लाख या 61 प्रतिशत मत प्राप्त हुए हैं, जिससे वह अपने प्रतिद्वंद्वियों पर बढ़त बनाए हुए है. पार्टी दो तिहाई बहुमत पाने की राह पर है.
श्रीलंका के निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर अब तक जारी आंकड़ों के अनुसार, मलीमावा (कम्पास) चिह्न के तहत चुनाव लड़ने वाली एनपीपी ने 123 सीट जीती जबकि 171 सीटों पर परिणाम की घोषणा हो चुकी है. कुल 196 सीटों में से 25 सीटों के परिणाम घोषित होने बाकी हैं. राष्ट्रीय स्तर पर हुए कुल मतदान के आधार पर सभी दलों को अन्य 29 सीटें मिलने की उम्मीद है.
एनपीपी को 68 लाख या 61 प्रतिशत मत प्राप्त हुए हैं, जिससे वह अपने प्रतिद्वंद्वियों पर बढ़त बनाए हुए है. पार्टी दो तिहाई बहुमत प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रही है, क्योंकि उसे 29 सीटों में से अधिक सीटें मिलने की उम्मीद है जिससे पार्टी 225 सदस्यीय सदन में 150 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत हासिल कर लेगी. तमिल अल्पसंख्यकों की सांस्कृतिक राजधानी उत्तरी जाफना जिले में एनपीपी (देश के दक्षिणी हिस्से में प्रमुख सिंहली बहुसंख्यक पार्टी) ने पारंपरिक तमिल राष्ट्रवादी पार्टियों पर पूरे जिले में विजय प्राप्त की.
एनपीपी ने जाफना प्रांत में छह में से तीन सीटें जीतीं, जिससे वहां वर्चस्व रखने वाली पारंपरिक तमिल पार्टियों को झटका लगा. इससे पहले कभी सिंहली बहुल कोई पार्टी जाफना में नहीं जीती है. पुरानी यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) ने पहले जाफना में एक सीट जीती थी. एनपीपी ने जाफना जिले में 80,000 से अधिक मतों से जीत हासिल की और गुरुवार को हुए मतदान की अंतिम गणना में पुरानी तमिल पार्टी 63,000 से कुछ अधिक मतों से पीछे रह गई.
यह राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके की चुनाव-पूर्व टिप्पणियों के अनुरूप है, जिन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी को सभी समुदायों द्वारा एक सच्ची राष्ट्रीय पार्टी के रूप में स्वीकार किया जा रहा है. एनपीपी नेता दिसानायके ने कहा, ‘एक समुदाय को दूसरे के खिलाफ खड़ा करने और विभाजित करने का युग समाप्त हो गया है, क्योंकि लोग एनपीपी को अपना रहे हैं.’
एनपीपी ने अपने मूल जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) के तहत सत्ता साझा करने के किसी भी प्रयास का जबरदस्त विरोध किया था जो कि एलटीटीई के सशस्त्र अलगाववादी अभियान के दौरान तमिलों की एक प्रमुख मांग थी। तमिलों ने उन्हें केवल सिंहली बहुसंख्यक नस्लवादी के रूप में देखा. यह चुनाव तय समय से एक साल पहले हुआ, क्योंकि दिसानायके ने सितंबर में राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालने के तुरंत बाद संसद को बर्खास्त कर दिया था. नई संसद का सत्र अगले सप्ताह शुरू होने वाला है.
Tags: Sri lanka, World news
FIRST PUBLISHED : November 15, 2024, 08:27 IST
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