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जयपुर में 9 दिन चली जगदगुरु रामभद्राचार्य की राम कथा शुक्रवार को पूरी हो गई। इन 9 दिनों में रामभद्राचार्य अपने बयानों के कारण चर्चा में बने रहे। वे कभी नाराज हुए तो कभी आरोप लगाए। राजस्थान सरकार से गलता पीठ के रूप में दक्षिणा भी मांगी।
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जानिए रामभद्राचार्य के बयानों की बड़ी बातें…
- दावा– राजस्थान में ब्राह्मण मुख्यमंत्री का चुनाव मेरे कहने पर हुआ है।
- ऐलान– कुंभ में ऐसा करेंगे,नक्शे से पाकिस्तान का निशान मिट जाएगा।
- मांग– जाति के आधार पर आरक्षण बंद करें सरकार।
- आरोप– राजस्थानियों ने धोखा दिया, चुनाव में सीटें कम दी।
- नाराजगी– गोविंद देवजी मंदिर नहीं जाऊंगा।
पढ़िए रामभद्राचार्य ने 9 दिन में क्या-क्या कहा..
जयपुर में 7 नवंबर को रामभद्राचार्य ने राम कथा की शुरुआत की थी।
पहले दिन (7 नवंबर)- गोविंद देवजी मंदिर नहीं जाऊंगा
7 नवंबर को जयपुर में रामभद्राचार्य की कथा शुरू हुई। उन्होंने कहा- मैंने गोविंद देवजी के दर्शन का मन बनाया था, पर फिर मेरा मन बदल गया। जब तक श्रीकृष्ण जन्मभूमि (मथुरा,यूपी) का फैसला नहीं हो जाता, तब तक दर्शन करने नहीं आऊंगा। उन्होंने जयपुर की गलता पीठ को लेकर कहा- हमारी गलता गद्दी, हमें मिलकर रहेगी। मैं अधिकार लेना जानता हूं। इंतजार कीजिए, गलता गद्दी पर भी रामानंदियों का ही विजय स्तंभ हाेगा। (पूरी खबर पढ़ें)
राम कथा के दूसरे दिन राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ किसनराव बागड़े भी पहुंचे थे।
दूसरे दिन (8 नवंबर)- पाकिस्तान का हड़पा हुआ कश्मीर हमें मिले
दूसरे दिन जगदगुरु रामभद्राचार्य ने कहा था- पाकिस्तान की ओर से हड़पा हुआ कश्मीर हमें मिले, इसके लिए सवा करोड़ आहुति हनुमानजी को डालेंगे। जयपुर से बहुत यजमान चाहिए, पाकिस्तान से विजय चाहिए तो जयपुर का सहयोग चाहिए। चलिए हम सभी आनंद करेंगे। राजस्थान सरकार 6 से 12वीं कक्षा तक वेद की शिक्षा देना चाहती है। इसकी मुझे जानकारी मिली है। सरकार को अगर लगे ऋग्वेद से लेकर हनुमान चालीसा तक मुझे सहयोग करना है। (पूरी खबर पढ़ें)
जगदगुरु रामभद्राचार्य ने राम कथा के दौरान गाय की पूजा की।
तीसरा दिन (9 नवंबर)- राजस्थानियों ने धोखा दिया, चुनाव में सीटें कम दी
राम कथा के तीसरे दिन रामभद्राचार्य ने कहा था- राजस्थानियों तुम लोगों ने धोखा दिया। चुनाव में सीटें कम दी। कोई बात नहीं। सत्ता और संत दोनों के समन्वय से देश का निर्माण हो। हिंदी राष्ट्र भाषा हो, गौ हत्या बंद हो, जयपुर का सपोर्ट चाहिए। इस बार हिंदुओं ने ही गद्दारी की। लोग कहते हैं मैं नरेंद्र मोदी की चर्चा न करूं, जगद्गुरु पर किसी का नियंत्रण नहीं होगा। आप हमें नोट मत दीजिए, गौ माता के समर्थकों को वोट दीजिए। (पूरी खबर पढ़ें)
चौथे दिन (10 नवंबर)- शंकराचार्य के बयान पर भड़के रामभद्राचार्य
जयपुर में राम कथा के तीसरे दिन जगद्गुरु रामभद्राचार्य ज्योतिष मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के कश्मीर में आर्टिकल 370 बहाल करने के बयान पर भड़क गए थे। उन्होंने कहा था- अभी एक व्यक्ति का बयान है। उससे मैं काफी दुखी हुआ। वह व्यक्ति खुद को शंकराचार्य कहता है। मैं कहूंगा वह शंकराचार्य भी नहीं है। यह मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है। ृआर्टिकल 370 खिलौना है क्या, जो बहाल कर दो। ऐसे लोगों पर ध्यान नहीं देना चाहिए। जयपुर के लोगों समेत देश का शायद ही कोई ऐसा नागरिक होगा, जो कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने पर आपत्ति करेगा। (पूरी खबर पढ़ें)
राम कथा के पांचवें दिन कहा- मथुरा-काशी के ज्ञानवापी को भी लाकर दिखाएंगे।
पांचवें दिन (11 नवंबर)- ‘कुंभ में ऐसा करेंगे,नक्शे से पाकिस्तान का निशान मिट जाएगा’
रामभद्राचार्य ने कुंभ को लेकर बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा- इस बार कुंभ में हम कुछ ऐसा करेंगे कि विश्व के नक्शे से पाकिस्तान का नामो-निशान मिट जाएगा। देश की चिंता संत कर सकता है। परिवार वाला भक्त नहीं। मेरे से कुछ भूल हो जाती है। वो बाद में हानिकारक हो जाती है। मैं कठोर कहने में बदनाम हूं। फिर भी मैं कहूंगा। किसी भी संत को निराश होने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा- जब रामलला को ला सकते हैं तो मथुरा-काशी के ज्ञानवापी को भी लाकर दिखाएंगे। (पूरी खबर पढ़ें)
कथा के छठे दिन केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़, प्रदेश कार्यालय प्रभारी मुकेश पारीक मौजूद रहे थे।
छठा दिन (12 नवंबर)- रामभद्राचार्य बोले-जिसको भारत में रहना,राम जी की जय कहना है
जगदगुरु रामभद्राचार्य ने गजेंद्र सिंह शेखावत से कहा- जयपुर की गलता गद्दी रामानंदियों को चाहिए। आप मुख्यमंत्री भजनलाल से कहना की गलता गद्दी रामानंदियों को दे दी जाए। तीर्थ के लिए एक ट्रस्ट बनाया जाए। इसका अध्यक्ष सर्वमान्य जगदगुरु रामानंदाचार्य हो। गलता गदी हमारी सुरक्षित हो जाएगी। यही मेरी दक्षिणा होगी। आप क्षत्रिय है, मैं ब्राह्मण हूं। इसलिए आपको दक्षिणा के रूप में गलता जी देनी पड़ेगी। इस पर शेखावत ने कहा था-आपने कृष्ण जन्मभूमि और काशी के लिए कहा है। मैं आपकी बात ऊपर तक पहुंचा दूंगा। आपने गलता पीठ के लिए कहा है जल्द ही इस पर भी सरकार विचार करेगी। (पूरी खबर पढ़ें)
राजस्थान की उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी राम कथा में पहुंची।
सांतवा दिन (13 नवंबर)- रामभद्राचार्य बोले- जाति के आधार पर आरक्षण बंद करें सरकार
रामभद्राचार्य ने कहा- आज छोटी-छोटी जातियों में हमारे राजनेता समाज को बांट रहे हैं। सरकारों में अगर दम हो तो जाति के आधार पर आरक्षण बंद किया जाए। आर्थिक आधार पर आरक्षण हो, अपने आप जाति प्रथा समाप्त हो जाएगी। कोई SC, ST, OBC नहीं सब हिंदू एक है, सब भारतीय एक है। आर्थिक आधार पर आरक्षण कर दो। तब यह जाति वाला गृह युद्ध अपने आप समाप्त हो जाएगा। हमने सवर्ण में जन्म लेकर पाप किए हैं क्या? लेकिन सवर्ण का बालक शत-प्रतिशत पाकर जूता सिलाई करे। SC का बालक 4 प्रतिशत पाकर कलेक्टर बन जाए। ऐसे कैसे चलेगा ये देश। (पूरी खबर पढ़ें)
14 नवंबर को सीएम भजनलाल शर्मा रामकथा सुनने पहुंचे।
आंठवां दिन (14 नवंबर)- ‘मैंने ऊपर वालों से कहा था,राजस्थान में ब्राह्मण मुख्यमंत्री बने’
राम कथा में राजस्थान के सीएम भजनवाल भी पहुंचे। रामभद्राचार्य ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से कहा- मैं आपके शपथ ग्रहण समारोह में भी आया था। जब इस बात की चर्चा चल रही थी कि राजस्थान की बागडोर किसे दी जाए, तो मैंने ऊपर वालों को संकेत दिया था कि इस बार राजस्थान की सत्ता ब्राह्मण को दी जाए। लोगों ने कहा- वसुंधरा नाराज होंगी। फिर मैंने उनसे कहा कि उनके ही मुख से कहलवा देते हैं। इस दिन रामकथा में बागेश्वर धाम के पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री भी पहुंचे थे। (पूरी खबर पढ़ें)
अंतिम दिन मेयर सौम्या गुर्जर राम कथा सुनने पहुंची
नौंवा दिन (15 नवंबर)- रामभद्राचार्य बोले- मैं कभी चाटुकारिता नहीं करता
जयपुर में राम कथा के अंदिन दिन रामभद्राचार्य ने कहा- मैं कभी चाटुकारिता नहीं करता। आज थोड़ी थकावट महसूस हो रही थी, क्योंकि जयपुर वाले मुझे परेशान बहुत करते हैं। प्रेम बहुत करते हैं, लेकिन समय का ध्यान नहीं रखते। बहुत कष्ट देते हैं। आज रामजी राजा बन गए, सीताजी महारानी बनी हैं। हे भगवान! एक ये ही दक्षिणा दे दीजिए, जिस तरीके से आपने राममंदिर वापस कर दिया। मेरे साथ आंदोलन करने वाले सभी चले गए। केवल मैं बचा हूं। मैं बस इतना मांग रहा हूं कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर हमको मिल जाए। (पूरी खबर पढ़ें)
जानिए, कौन हैं रामभद्राचार्य
रामभद्राचार्य चित्रकूट में रहते हैं। उनका वास्तविक नाम गिरधर मिश्रा है। वे प्रवचनकार, दार्शनिक और हिंदू धर्मगुरु हैं। वे रामानंद संप्रदाय के मौजूदा चार जगद्गुरुओं में से एक हैं और इस पद पर 1988 से आसीन हैं। महाराज चित्रकूट में जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय के संस्थापक और आजीवन कुलाधिपति भी हैं।
चित्रकूट में तुलसी पीठ की स्थापना का श्रेय भी इन्हें ही जाता है। इन्होंने दो संस्कृत और दो हिंदी में मिलाकर कुल चार महाकाव्यों की रचना की है। इन्हें भारत में तुलसीदास पर सबसे बेहतरीन विशेषज्ञों में गिना जाता है। साल 2015 में भारत सरकार ने इन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया था।
वक्तव्य से बदला था राम जन्मभूमि का फैसला
गौरतलब है कि पद्मविभूषण रामभद्राचार्य ने सुप्रीम कोर्ट में रामलला के पक्ष में वेद-पुराण के उद्धरण देकर गवाही दी थी। जब श्रीराम जन्मभूमि के पक्ष में वे वादी के रूप में शीर्ष कोर्ट में उपस्थित थे। उन्होंने ऋगवेद की जैमिनीय संहिता से उदाहरण देना शुरू किया, जिसमें सरयू नदी के स्थान विशेष से दिशा और दूरी का सटीक ब्योरा देते हुए श्रीराम जन्मभूमि की दूरी बताई गई है।
कोर्ट के आदेश से जैमिनीय संहिता मंगाई गई और उसमें जगद्गुरु की ओर से बताए गई पृष्ठ संख्या को खोल कर देखा गया तो समस्त विवरण सही पाए गए। इस प्रकार जगद्गुरु के वक्तव्य ने फैसले का रुख मोड़ दिया। जज ने भी कहा कि आज मैंने सनातनी प्रज्ञा का चमत्कार देखा है। एक व्यक्ति जो भौतिक रूप से आंखों से रहित है वो भारतीय वांग्मय और वेद-पुराणों के उद्धरण दे रहा है जो बिना ईश्वरीय कृपा के संभव नहीं है।
2 महीने की उम्र में चली गई आंखों की रोशनी
सिर्फ दो माह की उम्र में इनकी आंखों की रोशनी चली गई थी। आज इन्हें 22 भाषाएं आती हैं और ये 80 ग्रंथों की रचना कर चुके हैं। न तो ये पढ़ सकते हैं और न लिख सकते हैं और न ही ब्रेल लिपि का प्रयोग करते हैं। केवल सुन कर सीखते हैं और बोल कर अपनी रचनाएं लिखवाते हैं। पद्मविभूषण रामभद्राचार्य एक ऐसे संन्यासी हैं, जो अपनी दिव्यांगता को हरा कर जगद्गुरु बने हैं।
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