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Musk Meet Iranian Ambassador: अमेरिका में चुनावी नतीजों के बाद से ही दुनिया भर की नजर ट्रंप की विदेश नीति पर टिकी हुई है. दुनिया इस वक्त दो मोर्चों पर युद्ध झेल रही है. पहला मोर्चा इजरायल-हमास युद्ध का है तो दूसरा फ्रंट रूस यूक्रेन युद्ध का है. रूस-यूक्रेन युद्ध के मुद्दे पर डोनाल्ड ट्रंप पहले ही कह चुके हैं कि वो युद्ध रुकवा देंगे, लेकिन इजरायल और हमास के बीच जारी युद्ध पूरे पश्चिम एशिया में भयानक रूप लेता नजर आ रहा है. इसका कारण है कि ईरान का हिज्बुल्लाह और हमास को खुलकर समर्थन करना. इसी वजह से ईरान और इजरायल के बीच भी तनाव बहुत ज्यादा बढ़ गया है. ईरान और इजरायल एक दूसरे के खिलाफ टार्गेटेड हमले कर रहे हैं. इस वक्त भी ईरान और इजरायल के बीच तनाव चरम पर है.
ईरान और इजरायल के संघर्ष के बीच अमेरिकी मीडिया के हवाले से बड़ी खबर आ रही है कि वॉशिंगटन डीसी में ट्रंप के करीबी एलन मस्क और संयुक्त राष्ट्र में ईरानी राजदूत के बीच एक लंबी मुलाकात हुई है. अमेरिकी मीडिया ने ईरानी सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि एलन मस्क और ईरानी राजदूत सैयद ईरावनी के बीच अमेरिका और ईरान के तनावपूर्ण संबंधों को लेकर चर्चा हुई है. अमेरिकी मीडिया ने इस बात का भी दावा किया है कि दोनों के बीच अमेरिका और ईरान के संबंधों को बेहतर करने को लेकर बातचीत हुई है. हालांकि, अभी तक एलन मस्क और ईरानी सरकार की तरफ से इस मुलाकात को लेकर ना तो कोई पुष्टि की गई है और ना ही खंडन.
जेलेंस्की और ट्रंप की बातचीत के दौरान मौजूद थे मस्क
कारोबारी एलन मस्क अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बेहद नजदीकी माने जाते हैं. अमेरिकी चुनाव में एलन मस्क ने खुलकर ट्रंप का प्रचार किया और इसके बदले में ट्रंप ने उन्हें अपनी कैबिनेट में शामिल करने का भी ऐलान किया है. यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने जब ट्रंप से फोन पर बातचीत की तो एलन मस्क मौजूद रहे. यह दिखाता है कि एलन मस्क का किसी विदेशी प्रतिनिधि से मिलना उनकी व्यक्तिगत रूचि से कहीं आगे की बात है.
अमेरिकी पुलिस ट्रंप पर हमले के पीछे ईरान की साजिश
ट्रंप और ईरान के रिश्ते कभी सामान्य नहीं रहे. ट्रंप ईरान के परमाणु कार्यक्रम का जमकर विरोध करते आए हैं. अपने पहले कार्यकाल के दौरान ट्रंप ने ईरान पर कई प्रतिबंध लगाए थे, जिससे ईरान की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा था. यही नहीं ईरान भी ट्रंप के खिलाफ रहा है. हाल ही में अमेरिकी पुलिस की एक जांच रिपोर्ट में ट्रंप पर जानलेवा हमले के पीछे ईरान की साजिश बताया गया था.
यरूशलम को इजरायल की राजधानी की मान्यता दी थी
इसके अलावा ट्रंप जब इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति थे, तो उन्होंने यरूशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर भी मान्यता दी थी, जो कि ईरान को नागवार गुज़री थी. इसके साथ ही साथ इजरायल को लेकर डोनाल्ड ट्रंप की विदेश नीति बाइडेन प्रशासन के मुकाबले ज़्यादा स्पष्ट मानी जाती है. यह माना जाता है कि ट्रंप पश्चिम एशिया में जो भी फैसले लेंगे, उसमें इजरायल के हित को आगे रखेंगे. वहीं ईरान की नीति ठीक इसके विपरीत मानी जाती है, क्योंकि ईरान हमास और हिज्बुल्लाह के साथ खड़ा है.
इजरायल में माइक हक्कबी बने अमेरिकी राजदूत
ट्रंप ने पश्चिम एशिया के हालात को लेकर हाल फिलहाल में 2 बड़ी नियुक्तियां की हैं. इजरायल में माइक हक्कबी को अमेरिका का नया राजदूत बनाया है जो कि इजरायल के बड़े समर्थकों में से एक माने जाते हैं. इसके अलावा ट्रंप ने स्टीवेन सी विटकॉफ को मिडिल ईस्ट का विशेष दूत बनाया है, जो कि एक बड़े बिजनेस लीडर हैं. इन 2 नियुक्तियों से यह बात स्पष्ट है कि ट्रंप मिडिल ईस्ट यानी पश्चिम एशिया में अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखकर ही विदेश नीति तय कर सकते हैं.
मस्क की ईरानी राजदूत से मुलाकात पैदा कर रहा कई सवाल
इजरायल ने भी ट्रंप की जीत के तुरंत बाद अमेरिका में अपना नया राजदूत नियुक्त किया है. इजरायल और ईरान की सालों पुरानी लड़ाई किसी से छिपी नहीं है. ज़ाहिर तौर पर इजरायल भी एलन मस्क और संयुक्त राष्ट्र में ईरानी राजदूत की मुलाकात पर पैनी नजर बनाए हुआ होगा. हालांकि, एलन मस्क और ईरानी राजदूत के बीच किन किन मुद्दों पर बातचीत हुई है, इसकी कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन एलन मस्क का ईरानी राजदूत से यूं अचानक मिलने पश्चिम एशिया की राजनीति में कई सवाल जरूर खड़े कर रहा है.
अब देखना यही दिलचस्प होगा कि क्या अमेरिका इजरायल-हमास, इजरायल-हिजबुल्लाह युद्ध और इजरायल-ईरान तनाव को कम करने में मदद करेगा या फिर इनके खिलाफ इज़रायल के साथ पहले से ज्यादा खुलकर खड़ा होगा.
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