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वर्ष 2000, देश के नक्शे पर एक साथ तीन राज्य जन्मे- झारखंड, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़। तीनों राज्यों में सबसे समृद्ध झारखंड को माना गया, क्योंकि यहां की धरती र|गर्भा है। बोकारो, टाटानगर जैसी लौहनगरी है। एल्मूनियम, कॉपर, यूरेनियम सहित तमाम खनिज हैं। कोयला
.
अब आंतरिक संसाधन बढ़ाने के साथ-साथ दक्ष मैन पावर की कमी को दूर कर आगे बढ़ने की जरूरत है। झारखंड के पास अपनी भौगोलिक और प्राकृतिक संपदा के साथ विकास के अपार अवसर हैं। इन अवसरों का लाभ उठाने के लिए कुशल और जिम्मेदार नेतृत्व, प्रभावी योजनाओं का कार्यान्वयन, और जनता का विश्वास जीतने की जरूरत है। यदि झारखंड शिक्षा, स्वास्थ्य, औद्योगिक विकास और सामाजिक समावेश पर ध्यान केंद्रित करता है, तो वह पिछड़ेपन को पीछे छोड़ सकता है और आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ सकता है। इस तरह से झारखंड का विकास न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी एक सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
जानिए-झारखंड पिछड़ा तो क्यों पिछड़ा और आगे होगा तो कैसे
झारखंड के पास आगे बढ़ने की अपार संभावनाए हैं। देखना होगा कि झारखंड पिछड़ा क्यों? आगे बढने के लिए किन बिंदुओं पर ध्यान देना होगा? पिछड़ेपन का बड़ा कारण है प्राकृतिक संसाधनों का कुशल उपयोग न होना। इन संसाधनों के बूते राज्य को बड़ा औद्योगिक केंद्र बनाया जा सकता है। लेकिन इन संसाधनों का अधिकतर हिस्सा अव्यवस्थित खनन, अवैध माइनिंग और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। स्थानीय लोगों को खनन उद्योग से उचित लाभ और रोजगार के अवसर नहीं मिले। विकास योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन नहीं होने से यह स्थिति है। कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से युवाओं को उद्योगों में रोजगार के योग्य बनाया जा सकता है। झारखंड में निवेश आकर्षित करने के लिए एक कारगर उद्योग-मैत्री नीति की जरूरत है। राज्य को कृषि-आधारित उद्योगों, खाद्य प्रसंस्करण, और हस्तशिल्प उद्योगों में निवेश बढ़ाना चाहिए।
3. साक्षरता दर
उतराखंड 79.6%
2. जीएसडीपी (करोड़ में)
राज्य 2001-02 2023-24
झारखंड 44,000 3,50,690
छत्तीसगढ़ 41,000 5,09,000
उतराखंड 31,307 2,70,840
4. वाणिज्यकर (करोड़ में)
राज्य 2001-02 2023-24
झारखंड 1239 21075
छत्तीसगढ़ 1848 12000
उतराखंड 1126 4800
पांच पैमानों से समझें तीनों राज्यों की प्रगति
1. बजट (करोड़ में)
राज्य 2001-02 2024-25
झारखंड 7174 1,28,900
छत्तीसगढ़ 5,704 1,47,500
उतराखंड 2608 89,000
}विधि व्यवस्था: झारखंड में अब भी कई जिले नक्सल और उग्रवाद प्रभावित हैं। छत्तीसगढ़ ने नक्सलियों के खिलाफ एक सशक्त नीति अपनाई है। उत्तराखंड ने पुलिसिंग को आधुनिक तकनीकी साधनों के साथ सशक्त किया है।
झारखंड
320/612 किलोवाट प्रति घंटा प्रति वर्ष
छत्तीसगढ़
1,231 किलोवाट प्रति घंटा प्रति वर्ष
उतराखंड1524 किलोवाट प्रति घंटा प्रति वर्ष
}पेयजल सुविधा: झारखंड में पेयजल एक बड़ी समस्या है। भूजल स्तर काफी नीचे है। कई पेयजल योजनाओं की रफ्तार काफी धीमी है। छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड में पेयजल की उपलब्धता अपेक्षाकृत बेहतर है।
झारखंड 66.4%
}शिक्षा: झारखंड की साक्षरता दर 66.4% है, जो राष्ट्रीय औसत से कम है। ग्रामीण क्षेत्रों और आदिवासी इलाकों में साक्षरता दर और भी कम है। छत्तीसगढ़ की साक्षरता दर 71% के करीब है। उत्तराखंड की साक्षरता दर 79.6% है।
छत्तीसगढ़ 71.0%
}उद्योग की स्थिति: झारखंड में खनिज संसाधन भरपूर है। लेकिन नीतिगत फैसले और बुनियादी ढांचे के आभाव में औद्योगिक विकास नहीं हुआ है। छत्तीसगढ़ में नीतियों की सरलता के बूते वहां अधिक औद्योगिक विकास हुआ है।
भास्कर एक्सपर्ट: विनोद कुमार मिश्रा, पूर्व बजट पदाधिकारी,झारखंड
5बिजली खपत
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