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रायपुर में बुधवार को डिजिटल अरेस्ट का पहला केस जीवन बीमा कार्यालय पंडरी के अधिकारी राकेश नशीने का सामने आया। भास्कर को उन्होंने बताया, ‘22 अक्टूबर की सुबह 10:15 बजे 9757921125 से मुझे कॉल आया। कॉलर ने खुद को सीबीआई का अधिकारी बताया। कहा कि मुंबई में
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इसका नंबर 98980… है। आपके खिलाफ एंटी मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट में केस कोलाबा पुलिस थाने में दर्ज है। आपका गैर जमानती वारंट जारी हुआ है। ठग ने फिर कोलाबा पुलिस स्टेशन के नंबर 8348965540 से मेरा कॉल कनेक्ट कर दिया। इसमें विजय खन्ना कहने लगा कि केनरा बैंक माहिम शाखा में आपके खाते में करोड़ों का अवैध लेनदेन है।
आपको सीबीआई की ऑनलाइन कस्टडी में रहना होगा। उसने वाट्सएप पर अरेस्ट वारंट भेजा। मुझे 22 अक्टूबर को नजदीक के होटल में जाने को कहा। मैं कचहरी चौक के एक होटल में गया। वाट्सएप से मेरी निगरानी की गई। मुझे नेशनल सिक्योरिटी को लेकर धमकाया। ठगों ने 23 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट से ऑनलाइन सुनवाई कराई। फिर पैसा मांगा। मैं डर गया। मैंने 6.5 लाख रु. जमा कर दिए।’
कैमरे के सामने बैठाकर करते हैं अरेस्ट साइबर एक्सपर्ट के अनुसार डिजिटल अरेस्ट या ऑनलाइन कैद का मतलब किसी तरह कानूनी गिरफ्तारी से नहीं है। इसका मतलब होता है कि साइबर क्रिमिनल फ्रॉड करने के लिए वीडियो कॉल व कैमरे के जरिए सामने वाले पर नजर रखते हैं। किसी झूठे केस में फंसाने की धमकी देते हुए डरा-धमकाकर ब्लैकमेलिंग करते हुए पैसे ऐंठते हैं।
इस दौरान वे मोबाइल कैमरे का एक्सेस लेकर या स्काइप कॉल से जोड़कर आप पर पैसे ट्रांसफर करने तक नजर रखते हैं। मोबाइल बंद नहीं करने देते हैं और अपनी हर बात मनवाते रहते हैं। इसे ही डिजिटल अरेस्ट कहा जाता है।
अब अफसर व डॉक्टर डिजिटल अरेस्ट, 11 लाख की ठगी
रायपुर में बुजुर्ग महिला लक्ष्मी को डिजिटल अरेस्ट कर 58 लाख की ठगी के मामले में पुलिस ने छापा मारकर दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। उन्हें बुधवार देर रात रायपुर लाया गया। गुरुवार को पुलिस उन्हें अदालत में पेश करेगी। इस बीच, रायपुर में बुधवार को दो और लोगों कोडिजिटल अरेस्ट किए जाने का मामला सामने आया है।
इसमें फाफाडीह के डॉक्टर और एलआईसी के अधिकारी शामिल हैं। दोनों ठगों ने 11 लाख रुपए वसूल लिए। ठगों ने करोड़ों की आर्थिक अनियमितता के केस में फंसाने की धमकी दी। साथ ही गिरफ्तार कर जेल भेजने की बात कही। उसके बाद एक से 6.5 और एक से 4.5 लाख रुपए वसूल लिए। एक मामला पिछले महीने, जबकि दूसरा एक दिन पहले का है।
अरेस्ट वारंट देखकर जमा कर दिए 4.5 लाख
डिजिटल अरेस्ट का दूसरा शिकार डॉ. एसके उपाध्याय बने। उन्होंने बताया, ‘11 नवंबर को दोपहर 1 बजे फोन आया। कॉलर ने कहा- आपका सिम ब्लॉक किया जाएगा, क्योंकि इसमें जो आधार नंबर मोबाइल से लिंक है। उससे एक जियो का सिम ली गई है। उसमें बहुत शिकायतें आ रही हैं। फिर मुझे लखनऊ पुलिस स्टेशन के फोन नंबर पर कनेक्ट किया गया।
उन्होंने एफआईआर की धमकी दी। फिर 9335555968 की जांच की और बताया कि इन पर मनी लॉन्ड्रिंग, नेशनल सिक्योरिटी और अवैध लेनदेन का केस है। यह नंबर मोहम्मद नवाब मलिक के नाम पर है। उन्होंने मेरे नाम से अरेस्ट वारंट जारी होने की बात कही। मुझे डिजिटल अरेस्ट की धमकी दी गई और अलग-अलग खाते में पैसा मांगा गया। मैंने 4.5 लाख जमा कर दिए।’
तीन स्टेप उठाकर ठगी से बचें
- एसएसपी संतोष सिंह के मुताबिक- डिजिटल अरेस्ट में फ्रॉड से बचने के लिए तीन स्टेप फॉलो करना चाहिए।
- अनजान नंबर से कॉल या वीडियो कॉल रिसीव करने पर धमकी-डराने या केस में फंसाने की बात से नहीं डरें। कॉल काट दें। नंबर ब्लॉक करें।
- ऐसे कॉल या धमकी आने पर तत्काल किसी को बताएं। इससे आपका स्ट्रेस व डर कम हो जाएगा।
- आपने गलती नहीं की है। फर्जी कॉल की पुलिस को सूचना दें।
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