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बालाघाट में खरीफ का सीजन खत्म होते ही जिले में अधिकारियों ने रबी 2024-25 की तैयारियां शुरू कर दी हैं। चूंकि जिला धान उत्पादक जिला है। जिले में खरीफ में अधिकांश रकबे में धान की खेती की जाती है। लेकिन सरकार के मिलेट फसलों को बढ़ावा देने के निर्देश पर जि
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दरअसल, बीते दिनों रबी फसल की तैयारी में यह बात सामने आई थी कि जिले में किए गए नवाचार से रागी के रकबा 10 गुना तक बढ़ा दिया है।
कृषि उपसंचालक खोब्रागड़े ने बताया कि पिछले साल जिले में रागी फसल को बढ़ावा देने के लिए नवाचार किया गया था। जिसमें अब किसान स्वयं भी आगे आकर रागी की फसल को अपना रहें है। जिससे जिले में रागी का रकबा 50 हेक्टेयर से बढ़कर 500 हेक्टेयर हो गया है।
सरकार के मिलेट को लेकर गंभीरता का परिणाम है कि वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर जिले के बैहर, बिरसा और परसवाड़ा में उत्पादित की जाने वलाी कोदो-कुटकी और रागी की फसल के बाद अब परंपरागत धान की खेती करने वाले क्षेत्र में इसका प्रतिशत बढ़ा है।
बैहर बिरसा, परसवाड़ा, के अलावा बालाघाट, किरनापुर, लांजी, वारासिवनी, कटंगी, खैरलांजी, विकाखंड क्षेत्र में भी किसानों ने रागी की फसल लगाई और अच्छा उत्पादन दिया। जबकि यह धान की पारंपरिक खेती का क्षेत्र था। रागी की फसल से किसानों का लाभ भी बढ़ा है। दरअसल, रागी की फसल में धान की अपेक्षा पानी कम लगता है। जिसका धान की तरह ही रोपा लगाया जाता है।
चूंकि रागी की कीमत अच्छी होने से इसका लाभ किसानों को होता है। किरनापुर के सुसवा निवासी किसान राजेश पांचे ने 5 एकड़ में रागी का उत्पादन किया है। जिसकी फसल के अच्छे दाम उसे मिलेंगे।
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