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आदिवासी बहुल गावों में पांच दिवसीय सोहराय पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। चौथे दिन रविवार को कई गावों में आड़ाअ् माहा का आयोजन किया गया। इसमें लोगों ने खेती कार्य में सहयोग करने के लिए अपने गाय-बैलों की पूजा की गई। वहीं, गाय-बैलों को धान का मुकुट पहन
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वहीं, आदिवासी युवाओं ने धान से धावा बनाकर घर के बाहर टांगा। सोमवार को जाजले माहा के साथ पांच दिवसीय सोहराय पर्व का समापन होगा। परसुडीह के सरजमदा स्थित निदिर टोला में गोरु खुटांव प्रतियोगिता हुई। इसमें कुल 22 बैलों को सजाकर लाया गया था। इसमें डुमकागोड़ा के बाले समद का बैल विजेता बना। समिति की ओर से बैल मालिक को 26 किलो चावल और पारंपरिक गमछा देकर सम्मानित किया गया। वहीं, दूसरे स्थान पर मानगोड़ा के कुशल समद का बैल एवं तीसरे स्थान पर डुमकाकोचा के कबलू समद का बैल रहा। दूसरे स्थान पर आने वाले बैल मालिक को 15 किलो आटा व पारंपरिक गमछा और तीसरे स्थान प्राप्त करने वाले को 10 किलो आटा व पारंपरिक गमछा देकर सम्मानित किया गया।
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