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भारत ने रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास के बीच हो रहे जंग के शांतिपूर्ण समाधान के लिए कूटनीति में सक्रिय भागीदारी की है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ऑस्ट्रेलिया के ब्रिसबेन में भारतीय समुदाय के साथ बातचीत करते हुए कहा कि भारत उन कुछ देशों में से है, जो दोनों संघर्षों में विपरीत पक्षों से संवाद कर सकते हैं.
भारतीय विदेश मंत्री ने आगे बताया कि दोनों जंग के व्यापक प्रभाव के कारण चिंता का विषय बन गए हैं. उन्होंने कहा, “हम अलग-अलग तरीकों से दोनों जंग में कुछ करने की कोशिश कर रहे हैं.” उन्होंने ग्लोबल के 125 देशों की चिंताओं का भी जिक्र किया, जो इस जंग की मार झेल रहे हैं.
प्रधानमंत्री मोदी की भूमिका
विदेश मंत्री जयशंकर ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे पर सक्रियता दिखाई है. पीएम मोदी जुलाई में रूस और अगस्त में यूक्रेन का दौरा कर चुके हैं. इसके अलावा, उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की से जून और सितंबर में और अक्टूबर में रूस के कज़ान में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ वार्ता की. एस. जयशंकर ने कहा कि यह जरूरी है कि दुनिया हाथ पर हाथ धरे न बैठे और यह न कहे कि ‘चलो, उन्हें आपस में लड़ने दो, एक दिन थक जाएंगे और कुछ होगा.’ क्योंकि हर दिन इस जंग की कीमत दुनिया को चुकानी पड़ रही है.
वैश्विक सहयोग का आश्वासन
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत की कूटनीतिक प्रयासों को लेकर शुरू में कुछ संदेह था लेकिन अब पश्चिमी देशों में अधिक समझदारी आई है. ग्लोबल साउथ से भी भारत को मजबूत समर्थन मिल रहा है. आशा है कि अलग-अलग संवादों के माध्यम से कुछ सामान्य आधार तैयार कर सकें ताकि कूटनीति की शुरुआत हो सके.
पश्चिम एशिया की स्थिति
एस जयशंकर ने बताया कि ईरान और इजरायल के बीच सीधे संवाद की कमी अहम समस्या है और कई देश इस अंतर को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं. भारत इस संवाद को आगे बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है. दोनों संघर्षों का वैश्विक स्तर पर व्यापक प्रभाव है, जैसे कि महंगाई, ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा में अस्थिरता और आपूर्ति श्रृंखलाओं में मुश्किलें. हम एक वैश्विकीकृत दुनिया में रहते हैं, जहां किसी भी अस्थिरता का प्रभाव हर जगह पड़ता है.
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