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झारखंड 15 नवंबर 2000 को अस्तित्व में आया। इसके बाद से अब तक चार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, जबकि पांचवां सामने है। साल 2005, 2009, 2014 और 2019 के विधानसभा चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालें तो यह निष्कर्ष निकलता है कि इन चार चुनावों में प्रमुख पार्टियों के 74 वैसे प्रत्याशी हैं, जो विधायक रहते हुए दोबारा अपनी विधायकी कायम रखने में सफल रहे। इनमें भाजपा प्रत्याशी सबसे आगे हैं, जबकि झामुमो उम्मीदवार दूसरे पायदान पर हैं।
2014 में दल-बदल कर सबसे अधिक सीटिंग विधायक चुनाव जीते
चुनाव लड़ने वाले दूसरे दलों के विधायक भी दोबारा अपनी विधायकी बचाने वाली सूची में शुमार हैं। इनमें आजसू पार्टी, समता पार्टी, यूजीडीपी, राजद के साथ-साथ निर्दलीय प्रत्याशी भी शामिल हैं। वर्तमान में दलों द्वारा जारी की जा रही प्रत्याशियों की सूची में भी प्रमुख दल अपने विधायकों पर भरोसा जता रहे हैं। भाजपा ने जहां 26 सीटिंग विधायकों में से 23 पर विश्वास करते हुए दोबारा चुनाव मैदान में उतारा है, वहीं झामुमो ने भी अपनी जीत दोहराने के लिए 21 विधायकों को फिर से टिकट दिया है। यह रणनीति पुराने चुनावों परिणाम को देखते हुए अपनाई गई है। हालांकि, विभिन्न पार्टियों के कई विधायक प्रत्याशी ऐसे हैं, जो पुराने दल को छोड़कर नए में आए हैं। 2014 में दल-बदल कर सबसे अधिक सीटिंग विधायक चुनाव जीते थे।
तीसरे नंबर पर कांग्रेस
राज्य गठन के बाद हुए चार विधानसभा चुनावों में भाजपा के नाम एक अनूठा रिकॉर्ड है। भाजपा ने साल 2005, 2009, 2014 और 2019 के चुनाव में अपने कई मौजूदा विधायकों पर दोबारा दांव खेला। इसमें से कई प्रत्याशियों को जीत मिली। भाजपा के कुल 38 विधायकों को इन चारों चुनाव में जीत मिली। इस सूची में झामुमो दूसरे पायदान पर है। चारों चुनावों में पार्टी के कुल 27 मौजूदा विधायकों को जीत मिली थी। कांग्रेस का स्थान इसमें तीसरा रहा है। इस सूची में छोटे-छोटे कई दल यथा आजसू, समता पार्टी, यूजीडीपी, राजद सहित कई निर्दलीय प्रत्याशी का भी नाम शामिल हैं, जिन्होंने विधायक रहते चुनाव लड़ा और जीत मिली। कई मौजूदा विधायकों ने दल बदल कर चुनाव लड़ा और जीते।
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