[ad_1]
गुरुवार रात इटावा के यमुना घाट पर तीनों शवों का हुआ अंतिम संस्कार।
ग्वालियर के बहोड़ापुर बारह बीघा कॉलोनी में ठेकेदार ने पत्नी व बेटे की हत्या कर खुद को गोली मारकर खुदकुशी की थी। पिता-पुत्र और मां के शवों का एक साथ इटावा में यनुमा नदी के किनारे अंतिम संस्कार किया गया। अंधेरा होने के चलते टॉर्च की रोशनी में अंतिम संस्
.
इस तरह ठेकेदार की पत्नी ने हाथ पर लिखा था “हमारी मौत का जिम्मेदार मेरा भाई है’
आदित्य की कोहनी में फंसी गोली निकली गुरुवार दोपहर बाद तीनों के शव का पैनल से पोस्टमार्टम कराया गया। बेटे आदित्य के सीने में लगी गोली कोहनी में फंसी मिली। सुसाइड नोट में गोली कांड का दोषी बताया गया ठेकेदार का साला अपने फ्लैट पर ताला डालकर फरार है। तीनों के मोबाइल, फोरेंसिक जांच के लिए लैब भेजा जाएगा, घर में लगी CCTV कैमरों की DVR (डिटेल वीडियो रिकॉर्डर) को भी पुलिस ने जब्त कर लिया है, इसकी भी जांच की जाएगी। पूरे परिवार के शव को नरेंद्र के दोनों भाई व बहन ग्वालियर आकर साथ लेकर इटावा गए और रात 8 बजे के बाद पति-पत्नी का अंतिम संस्कार साथ हुआ और फिर बेटे का अलग से अंतिम संस्कार किया गया है। चर्चा में लोग कहते नजर आए ठेका या रुपए नहीं हो सकता विवाद पोस्टमार्टम के दौरान परिजन यही चर्चा करते दिखे कि नरेंद्र को रुपयों की परेशानी तो हुई थी लेकिन इसके कारण वह घटना नहीं कर सकता। दूसरी चर्चा यह रही कि बेटे को भी गोली कैसे मार सकता है। इकलौते बेटे से दोनों बहुत प्यार करते थे और उसी के कहने पर कुछ पहले फॉरच्यूनर कार खरीदी थी। पोस्टमार्टम के दौरान सीमा चौहान द्वारा पेज पर सुसाइड नोट लिखने के साथ ही हाथ पर लिखने को लेकर भी चर्चा रही। चर्चा यही थी कि हाल ही में विदिशा के एक मामले में युवती के हाथ के सुसाइड नोट से घटना के दोषी का खुलासा होने के कारण ही सीमा ने हाथ पर नोट लिखा। सीमा को संदेह रहा होगा कि कागज पर लिखा सुसाइड नोट गायब न कर दिया जाए। इसीलिए उसने हाथ पर लिखा।्र
यह था उस दिन रूम का नजारा, दो शव बेड पर तो एक जमीन पर पड़ा था।
हाल ही में तीन बीघा जमीन बेची थी यह बात भी सामने आई कि नरेंद्र ने अपने छोटे भाई से भी फोन पर एक सप्ताह पहले आर्थिक स्थिति पर चर्चा करते हुए रुपयों की जरूरत बताई थी। जिस पर भाई ने व्यवस्था कर देने की बात भी कही थी। बताया गया है कि परेशानी के चलते नरेंद्र ने अपनी पूर्व में खरीदी तीन बीघा जमीन की डील भी की थी।नरेंद्र को ठेकेदारी काम में साले राजीव उर्फ गुड्डू के अलावा एक अन्य रिश्तेदार द्वारा परेशान किए जाने की बात भी सामने आई है। यह रिश्तेदार सेना में था और चर्चा यह भी है कि नरेंद्र ने ठेकेदारी में रुपया भी लगाया था। इसी को लेकर विवाद है। गुड्डू के संबंध में चर्चा यह है कि वह जल्दी पैसा कमाने की चाह में रहता था। गुड्डू ने नरेंद्र से विवाद के चलते कुछ रिश्तेदारों से नरेंद्र द्वारा उसका रुपया वापस न किए जाने की बात भी कही थी। नरेंद्र को परेशान करने के लिए गुड्डू के माध्यम से वह भी नगर निगम दोनों की कंपनी को लेकर आरटीआई लगाई थीं और उच्चाधिकारियों को शिकायत भी की थीं। लोकायुक्त में शिकायत की पुष्टि नहीं हुई है। 18 साल पहले ग्वालियर आए थे नरेंद्र, पत्नी के नाम थी कंपनी ठेकेदार नरेंद्र चौहान 2006 में यूपी से ग्वालियर आया था। यहां पर कुछ समय तक वह परेशानी रहा फिर मित्रों के साथ इंजीनियरों से मेल-मुलाकात कर ठेकेदारी करने लगा। बाद काम बढ़ने पर नरेंद्र ने पत्नी के नाम से भी कंपनी बना ली और दोनों के नाम से अलग-अलग ठेके लेकर काम करने लगा। ठेकेदारी का काम नरेंद्र का तेजी से चला और उसने कोरोना से पहले बारह बीघा में मकान बनाया। एक सिटी सेंटर पर भी मकान है। बताया ये भी जा रहा है कि नरेंद्र विगत सप्ताह ही इटावा से बंदूक लेकर आया था, जो वहां रह गई थी।
[ad_2]
Source link