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दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति के एक सदस्य के लिए गुरुवार को होने वाला चुनाव आखिरकार देर रात स्थगित हो गया। नगर निगम प्रशासन ने रात 10.14 बजे चुनाव के स्थगित होने की जानकारी दी। इस बारे में एमसीडी प्रशासन की तरफ से जानकारी देते हुए बताया गया कि स्थायी समिति के छठे सदस्य के लिए चुनाव आज नहीं होगा। चुनाव की नई तिथि और समय के बारे में बाद में सूचित किया जाएगा। निगम के अधिकारियों ने उम्मीद जताई है कि अगले दो दिनों में चुनाव करा जा सकते हैं।
LG विनय कुमार सक्सेना ने स्थायी समिति के एक सदस्य का चुनाव कराने और गुरुवार को सदन की कार्यवाही की पूरी रिपोर्ट निगम आयुक्त अश्विनी कुमार को रात 10 बजे तक प्रस्ततु करने के निर्देश दिए थे। साथ ही उपराज्यपाल ने निगम के अधिनियमों के तहत मेयर को पीठासीन अधिकारी के तौर पर चुनाव कराने के लिए निर्देश दिए थे।
नियमों के अनुसार यदि मेयर मना करती हैं तब ऐसी परिस्थिति में डिप्टी मेयर चुनाव कराते हैं। दोनों के मना करने की स्थिति में सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य को चुनाव कराने के लिए निर्देश दिए जाते हैं। रात 10.14 बजे तक मेयर और डिप्टी मेयर से निगम प्रशासन को किसी भी तरह का जवाब नहीं मिला। लेकिन तब तक किसी वरिष्ठ सदस्य के नाम को भी तय नहीं किया जा सका। जिसके बाद अंत में पीठासीन अधिकारी का नाम तय न होने की वजह से गुरुवार को चुनाव स्थगित कर दिया गया।
वैसे MCD के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था, जब मेयर व डिप्टी मेयर के मना करने पर उपराज्यपाल ने वरिष्ठता के आधार पर किसी अधिकारी को पीठासीन अधिकारी बनाया था।
गुरुवार को हुए पूरे घटनाक्रम की टाइमलाइन
दोपहर 1.45 बजे- AAP पार्षदों ने सदन के बाहर नारेबाजी की शुरू
दोपहर 2 बजे- सदन में भाजपा पार्षद पहुंचना शुरू हुए
दोपहर 2.30 बजे- महापौर के आने पर सदन की कार्यवाही शुरू हुई
दोपहर 2.31 बजे- सदन को 15-20 मिनट के लिए स्थगित किया गया
दोपहर 2.55 बजे- फिर सदन में पहुंचीं महापौर
दोपहर 2.58 बजे- सदन को दोबारा 15 मिनट के लिए स्थगित किया
दोपहर 3.49 बजे- महापौर ने सदन में पहुंचकर सदन को 5 अक्टूबर तक स्थगित करने की घोषणा की
– मेयर के सदन की कार्यवाही स्थगित करने के बाद नगर निगम प्रशासन ने उपराज्यपाल के आदेश को रात 8 बजकर 18 मिनट पर जारी किया।
– उपराज्यपाल ने आदेश में कहा कि निगम चुनाव दिसंबर 2022 में संपन्न हुए थे। निगम की पहली बैठक 6 जनवरी 2023 को हुई थी। इसके बाद डेढ़ वर्ष तक का समय बीत जाने के बाद निगम की स्थायी समिति का गठन नहीं हो सका। स्थायी समिति के गठित न होने के कारण निगम के अधिनियम 1957 के तहत राष्ट्रीय राजधानी की निगम के शासनिक कार्य प्रणाली और कर्तव्यों का अनुपालन नहीं हो पा रहे हैं। दिल्ली उच्च न्यायालय के कई निर्देश के बाद निगम अपने वैधानिक दायित्वों के निर्वाहन में लगातार चूके।
– उपराज्यपाल ने आदेश में कहा कि स्थायी सदस्य के छठे सदस्य के लिए चुनाव कराने में महापौर की इस दुर्भाग्यपूर्ण विफलता के कारण, दिल्ली नगर निगम अधिनियम 1957 की धारा 487 के तहत असाधारण और असाधारण शक्तियों को लागू करने की आवश्यकता है। इसके मद्देनजर उपराज्यपाल ने निगम आयुक्त अश्विनी कुमार को गुरुवार को सदन के पूरी कार्यवाही की रिपोर्ट को रात 10 बजे तक दर्ज करने के लिए निर्देश दिए।
– साथ ही उपराज्यपाल ने मेयर को पीठासीन अधिकारी के तौर पर स्थायी समिति के एक सदस्य के चुनाव कराने के लिए निर्देश दिए। यदि मेयर मना करती है तब डिप्टी मेयर पीठासीन अधिकारी के तौर पर चुनाव कराएंगे। यदि डिप्टी मेयर भी मना करते हैं, तब ऐसी परिस्थिति में सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य पीठासीन अधिकारी के तौर पर स्थायी समिति के सदस्य का चुनाव कराएंगे।
सिसोदिया बोले- LG साहब अमेरिका या पता नहीं कहां से आदेश दे रहे
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने गुरुवार को ही स्थायी समिति के एक सदस्य का चुनाव कराने का आदेश दिए थे। इस पर दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम और आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने रात 9.30 बजे के बाद प्रेसवार्ता करते हुए भाजपा पर निशाना साधा और कहा था कि पीएम नरेंद्र मोदी के निर्देश पर एमसीडी में लोकतंत्र की हत्या की जा रही है। हमारे पार्षद घर जा चुके हैं। रात 10 बजे तक क्या इमरजेंसी है।
उन्होंने कहा- ‘स्थायी समिति के चुनाव में गुरुवार को पूरे दिन हंगामा चलता रहा, कई बार सदन को स्थगित करना पड़ा। मेयर ने तय किया कि अब 5 अक्टूबर को एमसीडी स्थायी समिति का चुनाव होगा और सदन स्थगित कर दिया गया। कई पार्षद बाहर चले गए होंगे। शाम आठ बजे एलजी ने कमिश्नर को चिट्ठी लिखी कि डेढ़ घंटे में चुनाव पूरा कराया जाए। तुरंत कराया जाए रात 10 बजे तक।’
सिसोदिया ने कहा कि ‘मेयर कह रही हैं कि अगली बैठक 5 को होगी। पार्षद जा चुके हैं लेकिन एलजी साहब जो अमेरिका या पता नहीं कहां बैठे हैं। वो आदेश दे रहें कि रात में चुनाव करवा दो। इसका क्या मतलब है। मुझे पता चला कि बहुत सारे पार्षद बाहर है। कैसे पहुंचेगें, क्या मकसद है भाजपा का, इस समय जब आम आदमी पार्टी के पार्षद, कांग्रेस के पार्षद जा चुके हैं, लेकिन बीजेपी के पार्षद वहीं टिके हुए हैं।’
मोबाइल ले जाने की अनुमति न मिलने से शुरू हुआ बखेड़ा
इससे पहले गुरुवार को दिन में सदन की कार्यवाही पार्षदों को मोबाइल ले जाने की अनुमति नहीं मिलने के कारण हंगामे की भेंट चढ़ गई। AAP पार्षद सदन में मोबाइल ले जाने पर अड़े रहे, लेकिन अनुमति नहीं मिली। सदन में मोबाइल संग प्रवेश को लेकर AAP पार्षदों ने जमकर नारेबाजी की और बाहर धरना भी दिया।
कांग्रेस ने की थी चुनाव से अनुपस्थित रहने की घोषणा
कांग्रेस ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की स्थायी समिति के चुनाव में अनुपस्थित रहने की घोषणा की थी। पार्टी की दिल्ली इकाई के प्रमुख देवेन्द्र यादव ने यह जानकारी दी थी। स्थायी समिति का यह चुनाव भारतीय जनता पार्टी की पार्षद कमलजीत सहरावत के लोकसभा के लिए निर्वाचित होने के बाद खाली हुई सीट पर हो रहा है।
18 सदस्यीय स्थानी समिति में भाजपा के पास 9 सीटें हैं
एमसीडी की 18 सदस्यीय स्थायी समिति निर्णय लेने वाली सर्वोच्च निकाय है। एमसीडी की 250 सीट में से 124 पर आम आदमी पार्टी पार्षदों का कब्जा है, जबकि भाजपा के 115 और कांग्रेस के 9 पार्षद सदन का हिस्सा हैं। इनके अलावा एक निर्दलीय पार्षद है और एक सीट फिलहाल खाली है।
भाजपा ने इस महीने की शुरुआत में वार्ड समिति के चुनावों के जरिए स्थायी समिति में सात सीट हासिल की थीं, जबकि AAP के पास पांच सीटें हैं। समिति की मौजूदा संरचना के अनुसार भाजपा के पास 9 और AAP के पास 8 सीट हैं। AAP ने रिक्त सीट के लिए सैनिक एन्क्लेव से पार्षद निर्मला कुमारी को जबकि भाजपा ने सुंदर सिंह को उतारा है।
दल-बदल के बाद चुनाव हुआ अहम, हो सकती है क्रॉस वोटिंग
बुधवार को आम आदमी पार्टी के दो पार्षदों के दल-बदल के बाद होने वाला स्थायी समिति सदस्य चुनाव दिलचस्प हो गया है। सभी की नजर क्रास वोटिंग पर लगी हुई है। स्थायी समिति सदस्य चुनाव के सहारे भाजपा निगम की राजनीति में अपना दमखम दिखाने के प्रयास में है तो वहीं AAP की रणनीति है कि वह जीत के साथ सदन में अपना बहुमत साबित करे।
महापौर ने की मोबाइल लाने की अनुमति देने की मांग
गुरुवार को सदन की कार्यवाही करीब ढाई बजे शुरू हुई। सत्ता पक्ष को छोड़कर विपक्ष के सभी पार्षद सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे। सदन के बाहर जारी हंगामे के बीच महापौर शैली ओबेरॉय सदन में पहुंची। उन्होंने कहा कि सदन में मोबाइल को लेकर पार्षदों की जांच लोकतंत्र के खिलाफ है। सदस्यों का अपमान किया गया है। ऐसा इतिहास में पहली बार हुआ और इसके बाद उन्होंने 15 मिनट के लिए सदन को स्थगित कर दिया। महापौर सदन में एक मिनट के लिए भी नहीं रुकीं और निगम आयुक्त से पार्षदों को मोबाइल संग सदन में अनुमति देने की मांग की।
आयुक्त बोले- सदन की गोपनीयता का हो सम्मान
महापौर के जाने के बाद निगम आयुक्त ने कहा कि सदन की गोपनीयता का सम्मान करें। मोबाइल सदन में प्रतिबंधित है। सदन स्थगन का समय पूरा होने के बाद महापौर फिर दोबारा से लौटीं और कहा कि पार्षदों की गरिमा को ठेस पहुंची है। दोबारा से पार्षदों को सदन में मोबाइल लाने की अनुमति देने की मांग की और एकबार फिर 15 मिनट के लिए सदन को स्थगित कर दिया।
इस बीच निगम सचिव ने सदन में नियम 51(5) का हवाला देते हुए कहा कि मोबाइल लाना गोपनीयता को भंग करना है। मतदान के बाद मोबाइल का इस्तेमाल कर सकते हैं। वहीं करीब पौने एक घंटे बाद महापौर सदन में दोबारा पहुंची और पांच अक्टूबर दोपहर दो बजे तक के लिए सदन को स्थगित करने की घोषणा की। हालांकि उपराज्यपाल ने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए सदन को स्थगित नहीं होने दिया।
महापौर ने लगाया सदस्यों के अपमान का आरोप
महापौर शैली ओबेरॉय ने कहा कि भारी मन से बताना चाहती हूं कि इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जो पूरे देश-दुनिया के किसी निगम में नहीं हुआ है। जिस प्रकार से सदस्यों का अपमान हुआ है। यह कुर्सी महापौर की कुर्सी नहीं है। यह लोकतंत्र को बचाने की कुर्सी है। हम चाह रहे थे कि निष्पक्ष चुनाव हो और उसको लेकर कार्यक्रम भी जारी किया था। मगर, जिस प्रकार से वातावरण को खराब किया गया है। आज का दिन इतिहास में लिखा जाने वाला दिन है। अधिकारियों पर क्या दबाव है मुझे मालूम नहीं है। महापौर के आदेश का पालन नहीं किया। इसलिए सदन को पांच अक्तूबर दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित किया जाता है।
भाजपा के पार्षद बिना मोबाइल रहे मौजूद
बता दें कि नगर निगम ने स्थायी समिति सदस्य की खाली सीट के चुनाव को लेकर दिशा-निर्देश जारी कर रखे थे। इस चुनाव में विशेष तौर पर पार्षदों के सदन में मोबाइल ले जाने पर रोक थी। मतदान के लिए दो बूथ भी बनाए गए थे। वहीं सदन की बैठक में भाजपा के सभी पार्षद बिना मोबाइल के पहुंचे। सदन में सत्ता पक्ष की बीच की सीटों को छोड़कर विपक्ष की सीटों पर सभी पार्षद उपस्थित रहे। कांग्रेस के पार्षदों ने सदन की बैठक में हिस्सा नहीं लिया।
कई पार्षद महापौर के मंच पर चढ़े
महापौर द्वारा सदन स्थगित करने की घोषणा के बाद भाजपा पार्षदों ने सदन के अंदर नारेबाजी की और स्थायी समिति का चुनाव कराने की मांग की। इसको लेकर कई पार्षद महापौर के मंच पर भी चढ़ गए, उन्होंने महापौर पर चुनाव प्रक्रिया से भागने का आरोप लगाया।
सदन के प्रवेश द्वार पर लगे थे पोस्टर
सदन के प्रवेश द्वार पर मोबाइल अंदर न ले जाने की सूचना वाले पोस्टर लगे थे। निगम मुख्यालय छावनी में तब्दील था। दिल्ली पुलिस से लेकर अर्द्धसैनिक बल के जवान तैनात थे। सघन जांच के बाद किसी को अंदर प्रवेश दिया जा रहा था।
AAP-भाजपा पार्षद हैं आमने-सामने
मैदान में AAP और भाजपा के पार्षद आमने-सामने हैं। चुनाव के लिए भाटी वार्ड के निगम पार्षद सुंदर सिंह तंवर और AAP पार्टी से सैनिक एन्क्लेव वार्ड की पार्षद निर्मला कुमारी ने नामांकन किया है। चुनाव को लेकर निगम की ओर से भी सभी तैयारियां पूरी कर ली गई थीं।
पार्षद के सांसद बनने से खाली हुई सीट
बता दें कि पश्चिमी दिल्ली से सांसद कमलजीत सहरावत साल 2022 में निगम चुनाव के दौरान द्वारका बी वार्ड से पार्षद चुनी गई थीं। इसके बाद फरवरी 2023 में निगम के सदन की बैठक में हुए स्थायी समिति के सदस्य के चुनाव में वह चयनित हुई थीं। इस साल हुए लोकसभा चुनाव में सांसद बनने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद से यह पद खाली पड़ा है। बता दें कि अभी भाजपा के 9 और आम आदमी पार्टी के 8 सदस्य स्थायी समिति में हैं।
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