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Haryana Assembly Polls: हरियाणा में कभी भी कोई महिला मुख्यमंत्री नहीं रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या हरियाणा चुनाव में महिलाओं की तस्वीर कभी बदलेगी?
Haryana Assembly Polls: हरियाणा के विधानसभा चुनाव में पुरुषों का बोलबाला नजर आ रहा है। इस विधानसभा चुनाव में मात्र 51 महिला प्रत्याशी उम्मीदवार हैं। यह प्रत्याशी भी या तो राजनीतिक परिवारों से हैं या फिर सेलेब्रिटी हैं। वैसे इस मामले में हरियाणा का इतिहास भी कोई अपवाद नहीं है। साल 1966 में पंजाब से अलग होने के बाद से अभी तक यहां पर मात्र 87 महिला विधायक चुनी गई हैं। यही नहीं, हरियाणा में कभी भी कोई महिला मुख्यमंत्री नहीं रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या हरियाणा चुनाव में महिलाओं की तस्वीर कभी बदलेगी। बता दें कि 90 सीटों वाली हरियाणा विधानसभा में पांच अक्टूबर को वोटिंग होगी। नतीजे 8 अक्टूबर को जारी किए जाएंगे।
इस विधानसभा चुनाव में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने मात्र 12 महिला उम्मीदवार खड़े किए हैं। इसके अलावा इंडियन नेशनल लोकदल और बहुजन समाज पार्टी ने 11 तो भाजपा ने 11 महिला उम्मीदवार उतारे हैं। जननायक जनता पार्टी और आजाद समाज पार्टी ने आठ तो आम आदमी पार्टी ने 10 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है। कांग्रेस से चार बार की विधायक और प्रदेश सरकार में शिक्षा मंत्री रह चुकी गीता भुक्कल ने कहा कि कांग्रेस ने अन्य दलों की तुलना में सबसे ज्यादा महिला उम्मीदवार उतारे हैं। झज्जर से चुनाव लड़ रही भुक्कल ने कहा कि महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण वाला बिल संसद और प्रदेश विधानसभाओं से पास हो चुका है। लेकिन यह 2029 से लागू होगा, जो कि महिलाओं के साथ मजाक है।
हरियाणा विधानसभा रिकॉर्ड्स के मुताबिक 2000 से अब तक हुए पांच विधानसभा चुनाव में कुल 47 महिला विधायक बनी हैं। यह आंकड़ा भी यहां के जेंडर रेशियो जैसा हो गया है जिसके मुताबिक साल 2023 में यहां 1000 लड़कों के मुकाबले 916 लड़कियां पैदा हुई थीं। अगर पुराने चुनावों की बात करें तो साल 2019 में 104 महिला प्रत्याशी मैदान में थीं, जिसमें निर्दलीय भी शामिल हैं। हालांकि जीत मात्र नौ महिलाओं को ही मिली थी। वहीं, 2014 में 116 महिला उम्मीदवार मैदान में थीं और इनमें से 13 को जीत मिली थी।
क्या कहती है स्टडी
अशोका यूनिवर्सिटी के त्रिवेणी सेंटर फॉर पॉलिटिकल डेटा (टीसीपीडी) की एक स्टडी के मुताबिक, हरियाणा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व हमेशा चिंता का विषय रहा है। यहां का इतिहास महिलाओं के खिलाफ पूर्वाग्रह और अपराधों से भरा रहा है। इसके अलावा लैंगिक समानता भी एक बड़ा मुद्दा रहा है। इस स्टडी के मुताबिक पिछले कुछ साल में विधानसभा चुनावों में महिला उम्मीदवारों की बढ़ती संख्या और 2000 से 2019 तक पुरुषों को हराने का आंकड़ा बदली हुई तस्वीर पेश करता है। हालांकि इस दौरान चुनी गई महिला विधायक संपन्न राजनीतिक परिवारों से रही हैं।
इस बार की कुछ प्रमुख महिला उम्मीदवार
–इस बार चुनावी मैदान में केंद्रीय मंत्री राव इंदरजीत सिंह की बेटी आरती सिंह राव भी हैं। वह भाजपा के टिकट पर अटेली से चुनाव लड़ रही हैं।
–पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल की पोती श्रुति चौधरी, जो इस साल कांग्रेस से भाजपा में आई हैं तोषम से चुनाव लड़ रही हैं।
–कांग्रेस ने जुलाना सीट से पूर्व पहलवान विनेश फोगाट को मैदान में उतारा है। वहीं, आम आदमी पार्टी ने उनके सामने डब्लूडब्लूई पहलवान कविता दलाल को मौका दिया है।
–हरियाणा के चुनाव में सावित्री जिंदल भी उम्मीदवार हैं। उन्हें भाजपा से टिकट मिलने की उम्मीद थी, लेकिन वह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उतरी हैं। उनका मुकाबला हरियाणा सरकार में मंत्री रहे निवर्तमान विधायक कमल गुप्ता से है।
–पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हूडा के भरोसेमंद निर्मल सिंह की बेटी चित्रा सरवरा अंबाला कैंट से निर्दलीय चुनाव लड़ रही थीं। उन्हें कांग्रेस ने टिकट देने से इनकार कर दिया था। चित्रा को 2019 में भी कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया था और वह निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर उतरी थीं। 44000 वोटों के साथ वह दूसरे स्थान पर रही थीं। इस बार उनका मुकाबला छह बार के विधायक और पूर्व गृहमंत्री भाजपा के अनिल विज से है। कांग्रेस से इस सीट पर परविंर सिंह परी चुनाव लड़ रहे हैं।
–आम आदमी पार्टी ने मुस्लिम बाहुल्य नूह में राबिया किदवई को उम्मीदवार बनाया है। वह इस सीट से पहली महिला उम्मीदवार भी हैं। राबिया हरियाणा के 13वें राज्यपाल रहे अखलाक उर रहमान किदवई की पोती हैं।
–इसी तरह हरियाणा की सबसे बड़ी विधानसभा बादशाहपुर से कुमुदनी राकेश दौलताबाद निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं। उनके पति राकेश दौलताबाद 2019 में इसी सीट से निर्दलीय विधायक रहे थे। इस साल की शुरुआत में उनकी हार्ट अटैक से मौत हो गई।
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