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पेड़ काटने के मामले पर बनी तीन मंत्रियों की समिति की वैधानिकता पर अफसर ने सवाल उठाए हैं। पर्यावरण और वन विभाग के अधिकारी ने सोमवार को एलजी और सीएम को पत्र लिखा। प्रमुख सचिव ने कहा कि यह मंत्रियों के एक समूह की तरह है, क्योंकि इसे कैबिनेट के जरिए गठित नहीं किया गया है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी तथ्य अन्वेषण समिति का गठन किया गया है। विशेषज्ञों की उक्त समिति के निरीक्षण के दौरान वन विभाग के अधिकारी भी मौजूद रहे। ऐसे में एक अन्य तथ्य अन्वेषण का गठन किया जाना उचित नहीं कहा जा सकता है।
दिल्ली के रिज वन क्षेत्र में 1100 पेड़ों को काटे जाने का मामला हाल ही में सामने आया था। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में सुनवाई चल रही है। यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि पेड़ों को किसके आदेश पर काटा गया। वहीं, दिल्ली के पर्यावरण मंत्री की ओर से वन विभाग के अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी गई थी, लेकिन रिपोर्ट नहीं मिलने के बाद इस संबंध में तीन मंत्रियों की तथ्य अन्वेषण समिति का गठन किया गया था। इस समिति की ओर से डीडीए, वन विभाग और पुलिस अधिकारियों को नोटिस जारी किया गया था।
‘उच्च अधिकारी नहीं चाहते सच्चाई सामने आए’
प्रधान सचिव द्वारा उठाए गए सवाल पर सरकार ने नाराजगी जाहिर की है। दिल्ली सरकार के सूत्रों का कहना है कि ये अधिकारी उस समय कहा थे जब 1100 पेड़ काटे जा रहे थे। वह किसके निर्देशों पर काटे गए, इसका जवाब सुप्रीम कोर्ट में क्यों नहीं दिया? अगर यह पेड़ काटे जा रहे थे तो यह अधिकारी चुप क्यों हैं? पर्यावरण मंत्री ने जब पेड़ों की कटाई को लेकर रिपोर्ट मांगी तो वह भी नहीं दी गई। पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव बताएं कि वह जवाबदेही से क्यों भाग रहे हैं? उनसे तथ्यों का खुलासा करने से कौन रोक रहा है। ऐसा लगता है कि कुछ उच्च अधिकारी नहीं चाहते कि सच्चाई सामने आए।
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