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मां अहिल्या भारतीय स्त्रीत्व का उज्जवल प्रतीक है। एक सशक्त और सबल स्त्री के पीछे सबल स्त्री का ही हाथ होता है। उनकी सासू मां गौतमा बाई ने ही उनके सशक्त चरित्र का निर्माण किया। ये उनके सशक्त चरित्र और बौद्धिकता का ही प्रमाण है कि जब भी वे न्याय करती थ
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राष्ट्रीय स्वयं सेवा संघ (मालवा प्रांत) के प्रज्ञा प्रवाह महिला आयाम के द्वारा लोक माता अहिल्या देवी की त्रिजन्म शताब्दी के अवसर पर रविवार को आयोजित कार्यक्रम के दौरान यह बात मुख्य वक्ता लेखिका चिन्मयी जोशी ने कही। एसजीएसआईटीएस के गोल्डन जुबली सभागृह में आयोजित इस कार्यक्रम में देवी अहिल्याबाई होलकर द्वारा किए गए महान कार्यों की चर्चा की गई। प्रज्ञा प्रवाह एक वैचारिक मंच है, जिसका उद्देश्य समाज को वैचारिक दिशा देना है।
संबोधित करतीं मुख्य वक्ता चिन्मयी जोशी।
समाज में स्त्री सशक्तिकरण को दिया बढ़ावा
चिन्मयी ने मां अहिल्या पर काफी रिसर्च करके अहिल्या बाई होलकर द क्वीन ऑफ इंडोमिटेबल स्पिरिट किताब भी लिखी है। उन्होंने अपने वक्तव्य में अहिल्या बाई के जीवन से जुड़े कई किस्सों के बारे में बताया और कहा कि आज के आधुनिक समाज की नींव वर्षों पहले मां अहिल्या द्वारा रख दी गई थी। उनकी सोच भविष्योन्मुखी थी। उन्होंने उस समय महिला सेना का निर्माण करके समाज में स्त्री सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया। स्त्रियों को रोजगार देकर आत्मनिर्भर और समाज की मुख्यधारा का हिस्सा बनाया। कार्यक्रम के संयोजक मिलिंद दांडेकर थे। सह आयोजक गिरीश भालेगांवकर, मयंक सक्सेना, डॉ समीक्षा नायक जी थे। कार्यकारिणी की महिला सदस्या डॉ. मनीषा सक्सेना और डॉ. पूजा जैन हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता अनिता सिंह ने की थी।
समारोह में उपस्थित शहर के प्रबुद्धजन।
विकसित देश की नींव बुद्धिजीवी समाज
मिलिंद दांडेकर ने कहां कि हमें अपने स्वर्णिम इतिहास से प्रेरणा लेकर एक बुद्धिजीवी समाज का निर्माण करना होगा, जो एक अनवरत चलने वाली प्रक्रिया है। जो समाज वैचारिक रूप से समृद्ध होता है, जहां एकता और समानता का भाव होता है, वही समाज एक विकसित देश की नींव रखता है।
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