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लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी आज यानी रविवार को भारतीय थल सेना के प्रमुख के रूप में चार्ज संभालेंगे। वे जनरल मनोज पांडेय की जगह लेंगे। इसके पहले वे 46वें उपसेना प्रमुख के रूप में सेवा दे रहे थे। उपेंद्र द्विवेदी मूल रूप से मध्यप्रदेश के रीवा के रह
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दैनिक भास्कर ने उनके बड़े भाई डॉ. पीसी द्विवेदी से बात की। पीसी द्विवेदी पेशे से नेत्र रोग विशेषज्ञ हैं। उन्होंने उपेंद्र द्विवेदी के जीवन के बारे में रोचक बातें बताईं।
पीसी द्विवेदी बताते हैं, ‘जुलाई 1964 में जन्मे उपेंद्र तीन भाइयों में सबसे छोटे हैं। पिता श्रीकृष्ण द्विवेदी ने तय कर लिया था कि उसे सेना में भेजना है। मैं सबसे बड़ा हूं। मैं मेडिकल कॉलेज में नेत्र रोग विशेषज्ञ रहा। 2019 में अधिष्ठाता के पद से रिटायर हुआ। छोटा भाई प्रेम शंकर द्विवेदी सिंचाई विभाग में प्रदेश में सर्वोच्च पद से रिटायर हुआ। बहन पुष्पा पांडेय जबलपुर में गायनेकोलॉजिस्ट हैं। सबसे छोटा उपेंद्र 5वीं तक अंबिकापुर, छत्तीसगढ़ में पढ़ा।
उस वक्त पिताजी अंबिकापुर में माइनिंग ऑफिसर थे। पिता ने मुझसे कहा था कि उपेंद्र को सैनिक स्कूल में लाकर पढ़ाओ। वे चाहते थे कि तीन बेटों में एक बेटा सेना में जाकर देश की सेवा करे। जिस पर मैंने उपेंद्र का सैनिक स्कूल में दाखिला दिलवाया।
उपेंद्र शुरू से ही प्रतिभाशाली, संयमित और अनुशासित थे। सभी भाइयों को जेब खर्च देने की जिम्मेदारी पिताजी ने मुझे दे रखी थी। छोटे भाई-बहन रीवा में पढ़ते थे तो सबका जेब खर्च मुझे ही देना पड़ता था लेकिन उपेंद्र शुरू से ही कम खर्चीला था। वह अनावश्यक खर्च नहीं करता था।’
2007 की इस तस्वीर में बड़े भाई पीसी द्विवेदी, प्रेम शंकर द्विवेदी के साथ सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी दिख रहे हैं।
NDA में सिलेक्ट होकर घर वालों को दिया था सरप्राइज
पीसी द्विवेदी बताते हैं, ‘उपेंद्र ने नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) का फॉर्म भर दिया। इसकी जानकारी घर पर नहीं दी। यहां तक कि एग्जाम देने और रिजल्ट आने तक के बारे में नहीं बताया। रिजल्ट आने पर जब वे सिलेक्ट हो गए, तब घर वालों को बताया। रिजल्ट जानकर सभी घर वाले हैरान रह गए। सिलेक्ट होने के बाद घर में सरप्राइज देकर बताया कि मेरा NDA में सिलेक्शन हो गया है। उपेंद्र का लगाव दादा रामावतार द्विवेदी से ज्यादा था। हमारे दादा पेशे से किसान थे, जो सादगी भरा जीवन जीते थे। वो सभी को नैतिक मूल्यों की शिक्षा देते थे।’
बघेलखंड का खाना बेहद पसंद, हर रविवार आता है कॉल
उन्होंने बताया, ‘आर्मी चीफ उपेंद्र को बघेलखंड का खाना बहुत पसंद है। हम लोगों को उनकी व्यस्तता का अंदाजा है। जिस वजह से अब फोन कम ही करते हैं, लेकिन हर रविवार सुबह 7 से 8 के बीच उनका कॉल आता है। जिस दौरान हम एक-दूसरे से पारिवारिक बातें डिस्कस करते हैं। खाने में उन्हें बघेलखंड का खाना पसंद है। बघेलखंड का कोई भी डिश हो, वो चाव से खाते हैं। कढ़ी-भात उन्हें बेहद पसंद है।
इसके अलावा, अगर मुझे कोई जरूरत होती है, तो मैसेज कर देता हूं। समय मिलने पर वो रिटर्न कॉल कर लेते हैं। मैं उपेंद्र से उम्र में 10 साल बड़ा हूं, इसलिए वो आज भी मुझे अभिभावक के तौर पर देखते हैं। वही इज्जत और सम्मान देते हैं। फरवरी 2014 में पुंछ में उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। गनीमत रही कि हादसे से 5 मिनट पहले ही वे उतर चुके थे।’
बड़े भाई पीसी द्विवेदी के परिवार के साथ सेना प्रमुख।
बचपन में छोटी बहन के साथ होती थी नोंक-झोंक
पीसी द्विवेदी कहते हैं, ‘आर्मी चीफ उपेंद्र द्विवेदी की दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी शिवांगी द्विवेदी ने USA से MBA किया है। वह सोशल वर्कर हैं। पत्नी सुनीता द्विवेदी समाज सेवा के क्षेत्र में सक्रिय हैं। वे बड़ी बेटी के साथ मिलकर NGO चलाती हैं। छोटी बेटी शिवानी द्विवेदी जर्मनी में पत्रकारिता का कोर्स कर रही हैं। सुनीता द्विवेदी रीवा के जाने-माने डॉक्टर स्वर्गीय टीएस त्रिपाठी की बेटी हैं। उनकी अरेंज मैरिज हुई थी। आर्मी चीफ ने 40 साल की सेवा में वैसे तो ढेरों मेडल और पुरस्कार जीते हैं, लेकिन सबसे बड़े पुरस्कारों में वे परम विशिष्ट सेवा पदक और अति विशिष्ट सेवा पदक प्राप्त कर चुके हैं।’
पीसी द्विवेदी का कहना है कि बचपन में एक बार खेलते-खेलते उपेंद्र ने मिट्टी का घड़ा तोड़ दिया था, तो पिताजी ने खूब डांटा था। वैसे वो ज्यादा शरारत नहीं करता था। अनुशासित था, लेकिन कभी-कभार छोटी बहन पुष्पा के साथ नोंक-झोंक हो जाती थी। जैसा कि आमतौर पर हर घर में भाई-बहनों की बीच होता ही है।
दोनों भाइयों और पिता श्रीकृष्ण द्विवेदी के साथ सेना प्रमुख।
सेना में कब, कौन सा पद संभाला
आर्मी चीफ द्विवेदी ने 20 साल की उम्र में 15 दिसंबर 1984 को भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून से जम्मू और कश्मीर राइफल्स की 18वीं बटालियन जॉइन की। उन्होंने ऑपरेशन रक्षक के दौरान कश्मीर घाटी में बटालियन की कमान संभाली। कुछ समय बाद राजस्थान के रेगिस्तान और फिर ऑपरेशन राइनो के दौरान मणिपुर में असम राइफल्स के सेक्टर की कमान संभाली।
उन्होंने क्रमशः बख्तरबंद ब्रिगेड, माउंटेन डिवीजन, स्ट्राइक कोर, एकीकृत मुख्यालय और रक्षा मंत्रालय में अपनी सेवा दी। उन्होंने भारतीय सैन्य अकादमी में प्रशिक्षक के रूप में आर्मी वॉर कॉलेज के उच्च कमान विंग में, विदेशी कार्यकालों में अफ्रीका, यूरोप और सोमालिया में काम किया।
- फरवरी 2020 में जनरल द्विवेदी को कोर का कमांडर नियुक्त किया गया। एक साल बाद अप्रैल 2021 में उप सेना प्रमुख (सूचना प्रणाली और समन्वय) का पदभार संभाला।
- 1 फरवरी 2022 को लेफ्टिनेंट जनरल ने उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ का पदभार संभाला। उन्होंने लेफ्टिनेंट योगेश कुमार जोशी के सेवानिवृत्त होने पर यह पद संभाला।
- 19 फरवरी 2024 को लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सचिंद्र कुमार से 46वें उप सेना प्रमुख के रूप में पदभार संभाला।
उपेंद्र द्विवेदी की दो बेटियां हैं।
कई बटालियनों की कमान संभाली
20 साल की उम्र में आर्मी चीफ द्विवेदी को 15 दिसंबर 1984 को भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून से जम्मू और कश्मीर राइफल्स की 18वीं बटालियन में शामिल किया गया। जहां उन्होंने ऑपरेशन रक्षक के दौरान कश्मीर घाटी में में एक बटालियन की कमान संभाली। कुछ ही समय बाद उन्होंने राजस्थान के रेगिस्तान और फिर ऑपरेशन राइनो के दौरान मणिपुर में असम राइफल्स के एक सेक्टर की कमान संभाली।
फिर उन्होंने क्रमशः बख्तरबंद ब्रिगेड, माउंटेन डिवीजन, स्ट्राइक कोर, एकीकृत मुख्यालय और रक्षा मंत्रालय में अपनी सेवा दी। उन्होंने भारतीय सैन्य अकादमी में प्रशिक्षक के रूप में,आर्मी वॉर कॉलेज के उच्च कमान विंग में, विदेशी कार्यकालों में अफ्रीका,यूरोप और सोमालिया में काम किया।
फरवरी 2020 में जनरल द्विवेदी को कोर का कमांडर नियुक्त किया गया। एक साल बाद अप्रैल 2021 में, उन्होंने उप सेना प्रमुख (सूचना प्रणाली और समन्वय) का पदभार संभाला। 1 फरवरी 2022 को लेफ्टिनेंट जनरल ने उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ का पदभार संभाला। उन्होंने लेफ्टिनेंट योगेश कुमार जोशी के सेवानिवृत्त होने पर यह पद संभाला।
19 फरवरी 2024 को, लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने लेफ्टिनेंट जनरल एम वी सचिंद्र कुमार से 46वें उप सेना प्रमुख के रूप में पदभार संभाला। जिन्हें अब तक उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ के रूप में नियुक्त किया गया था। 11 जून 2024 को, भारत सरकार ने उन्हें अगला सेनाध्यक्ष नियुक्त किया।
इस तस्वीर में उपेंद्र द्विवेदी के पिता श्रीकृष्ण द्विवेदी, मां मानवती द्विवेदी और दोनों भाई दिख रहे हैं।
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