[ad_1]
भविष्य वैसे तो अपने आप में एक जटिल विषय है, जिसकी व्याख्या नहीं की जा सकती, क्योंकि व्यक्ति का भविष्य असीमित संभावनाओं से भरा हुआ है। साथ ही बहुत से कारक (फैक्टर) भविष्य का निर्धारण करते हैं। इस लेख में हम कुछ कारक यानी फैक्टर के विषय में बात करेंगे, जिनके जरिए व्यक्ति के भविष्य का निर्माण होता है। भविष्य निर्धारण करने वाला पहला और सबसे महत्त्वपूर्ण कारक यानी फैक्टर जातक की देश, काल, परिस्थिति है, दूसरा कारक यानी फैक्टर जातक की कुंडली है, जिससे पता चलता है जन्म के समय ग्रहों की क्या स्थिति थी। तीसरा कारक यानी फैक्टर जातक गोचर (वर्तमान में ग्रहों की स्थिति) में ग्रहों की स्थिति है। चौथा कारक गुरुजनों/इष्ट का आशीर्वाद है और अच्छे लोगों की संगत है इसके साथ-साथ जातक की खुद की दिनचर्या भी है जो उसका भविष्य तय करती है।
इन सभी कारक को अगर बीज या पौधे के उदाहरण के साथ समझें तो मान लीजिए आपके पास दो उत्तम क्वालिटी के बीज हैं, मगर आपने उनमें से एक को ढंग की जगह उपलब्ध नहीं करवाई यानी एक छोटी सी बोतल या गमले में लगा दिया और दूसरे बीज को अच्छी जगह अच्छे समय पर निरंतर खाद-पानी का ध्यान रखते हुए उगाया। इस स्थिति में जगह बीज का देश है सही समय काल है और खाद-पानी परिस्थिति है। मुझे लगता है दस में से आठ मौकों पर वो बीज अच्छी वृद्धि करेगा, जिसे उगाते वक्त सभी जरूरी बातों का ध्यान दिया गया था।
दूसरा उदाहरण कुंडली का लें तो जैसा कि हम जानते हैं कि हर बीज को उगाने का एक मौसम होता है। अगर हम सही मौसम का चयन करके उस बीच को लगाएंगे तो वह बीज अच्छी उन्नति करेगा। अगर हम विपरीत मौसम में किसी बीच को लगाएंगे तो इसकी बहुत कम संभावना है कि वह जमेगा और अगर वह जम भी गया तो इसकी संभावना तो ना के बराबर है कि उसमें से फल फूल आदि आएंगे। ठीक इसी तरह अच्छी कुंडली हो तो कम मेहनत के भी अधिक सफलता मिलती है और अगर कुंडली ठीक ना हो तो जीवन में संघर्ष अधिक रहता है और उसके अनुपात में सफलता कम प्राप्त होती है।
तीसरा उदाहरण गोचर से समझें तो गोचर आसपास का माहौल है। उदाहरण के तौर पर अगर एक बीज/पौधा हमने लगाया है और आंधी, तूफान, बारिश, ओलों की वजह से वह क्षतिग्रस्त हो गया तो उसकी गुणवत्ता कोई मायने नहीं रखती। ऐसा संभव है की इस स्थिति में छोटे गमले या बोतल में लगा पौधा जिसको आंधी, तूफान, बारिश, ओलों से बचाया गया वो ज्यादा फले फूले। व्यक्ति के उदाहरण से समझे तो प्राकृतिक आपदाओं के चपेट में आना या किसी अप्राकृतिक मुसीबतों में फस जाना गोचर के अंतर्गत ही आएगा, ये बात आप भी मानेंगे कि कई बार ऐसी मुसीबतों में फंसने के बाद व्यक्ति का पूरा जीवन ही बदल जाता है।
चौथा उदाहरण जो गुरुजनों और इष्ट का आशीर्वाद है उससे तात्पर्य यह है कि अगर एक पौधा किसी ऐसे व्यक्ति के पास है, जिसकी बागवानी में कोई रुचि नहीं और दूसरा पौधा किसी ऐसे व्यक्ति के पास है जिसकी बागवानी में रुचि अधिक है, तो इस बात की संभावना काफी बढ़ जाती है कि जिस व्यक्ति की बागवानी में रुचि अधिक होगी वह हमेशा सही वक्त पानी देगा सही वक्त पर खाद डालेगा खरपतवार हटाते रहेगा। साथ ही यह भी देखता रहेगा कि पौधे को कीड़े आदि तो नहीं लग लगे, जबकि दूसरी तरफ जिस व्यक्ति की बागवानी में रुचि नहीं है वह उन्नत बीज का भी विशेष रखरखाव नहीं करेगा। ऐसी स्थिति यह संभावना बन सकती है कि एक बीज/पौधा किसी कीड़े या बीमारी आदि के चपेट में आ जाए। ठीक इसी तरह गुरुजनों और इष्ट का आशीर्वाद पाने वाला अच्छे लोगों की संगत करने वाला गुरुजनों की आज्ञा मानने वाला व्यक्ति जाने-अनजाने में अपने पूरे जीवनकाल में असंख्य मुश्किलों से बच जाता है।
पांचवां उदाहरण व्यक्ति की दिनचर्या है आपने देखा होगा पेड़ पौधों की भी एक दैनिक एवं वार्षिक दिनचर्या होती है, जिसकी वजह से किसी मौसम में उनमें फूल आते हैं, किसी मौसम में उनमें फल आते हैं, किसी मौसम में पतझड़ आता है और पुनः पतझड़ के बाद वो हरे भरे हो जाते हैं। इसी तरह अगर व्यक्ति भी सात्विक दिनचर्या का पालन कर रहा है उसकी घड़ी प्रकृति की घड़ी से मिलती-जुलती है यानी वह समय पर सो रहा है समय पर जाग रहा है, समय भोजन कर रहा है, समय पर व्यायाम कर रहा है तो भी उसकी कुंडली में ग्रहों की स्थिती कैसी भी हो उसका जीवन सुखमय ही होगा।
उम्मीद करता हूं इस लेख को पढ़ने के बाद आपको एक बात जरूर समझ में आई होगी कि कई बार किसी की कुंडली में बेहद खराब ग्रह होने पर भी उसे अच्छे फल कैसे प्राप्त हो जाते हैं और कई बार बेहद अच्छे ग्रह होने के बावजूद उसे खराब फल कैसे मिलते हैं।
कुंडली भविष्य बताने का एक कारक जरूर है, लेकिन कुंडली अंतिम कारक नहीं, हालांकि कई लोग यह भी कहते हैं की सब पहले से तय है जैसी कुंडली होती है वैसी व्यक्ति के कर्म होते चले जाते हैं, मुझे लगता है उन लोगों से बहस करके अपना समय बर्बाद करने का कोई फायदा नहीं, क्योंकि भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा था हे अर्जुन कर्म करना तेरे हाथ में है, लेकिन उसका फल तेरे हाथ में नहीं। – विपुल जोशी
यह हिन्दुस्तान अखबार की ऑटेमेटेड न्यूज फीड है, इसे लाइव हिन्दुस्तान की टीम ने संपादित नहीं किया है।
[ad_2]
Source link