[ad_1]
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह आज हरियाणा दौरे पर हैं। वह पचंकूला के ताऊ देवीलाल स्टेडियम में सुबह 11 बजे बैठक करेंगे। इसमें करीब 4500 कार्यकर्ताओं हिस्सा लेंगे। बैठक में मुख्यमंत्री नायब सैनी, केंद्रीय मंत्री एवं चुनाव प्रभारी धमेंद्र प्रधान, सह प्रभार
.
बैठक का मुख्य उद्देश्य इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव हैं। साथ ही वह लोकसभा चुनाव में हरियाणा की स्थिति पर भी चर्चा करेंगे। चुनाव में हरियाणा में भाजपा सिर्फ 5 लोकसभा सीट ही जीत पाई थी। 90 विधानसभाओं में भाजपा 42 सीटों पर ही आगे रही।
भाजपा को 46.06 वोट प्रतिशत मिले हैं, जबकि 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा का 58 प्रतिशत वोट शेयर था। 5 सालों में पार्टी का प्रदेश में 11.06 वोट प्रतिशत घटा है। भाजपा विधानसभा चुनाव से पहले वोट प्रतिशत को मजबूत करना चाहती है।
प्रदेश महामंत्री फणीन्द्रनाथ शर्मा, प्रदेश महामंत्री मोहन लाल बड़ौली, सुरेंद्र पूनिया, जिला अध्यक्ष दीपक शर्मा समेत तमाम बड़े नेताओं ने भी बैठक की तैयारियों का जायजा लिया।
दूसरे सत्र में कार्यकर्ताओं से संवाद करेंगे शाह
कार्यकर्ताओं से बैठक करने के बाद अमित शाह 1 बजे से शाम 5 बजे तक विस्तृत प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में शामिल होंगे। इसमें हर विधानसभा क्षेत्र से 50-50 कार्यकर्ताओं को आमंत्रित किया गया है। इनमें जिला अध्यक्ष, मंडल अध्यक्ष, मोर्चा के जिला अध्यक्ष, विभागों के संयोजक, सह संयोजक, सांसद, विधायक, पूर्व सांसद एवं पूर्व विधायक, चेयरमैन, पूर्व चेयरमैन, एमसी, बीडीसी सदस्य, 2014, 2019 और 2024 में चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी भी शामिल होंगे।
बैठक में मुख्यमंत्री से लेकर मंडल अध्यक्ष तक वर्करों की एंट्री पहचान पत्र से होगी। इस पहचान पत्र पर सबका अलग सीरियल नंबर होगा। इसमें नाम, विधानसभा और पद लिखा होगा।
इन कारणों से भाजपा हरियाणा में 5 सीटें हारी…
1. सत्ता विरोधी लहर
राज्य में 10 साल से सत्तारूढ़ भाजपा की सरकार के प्रति लोगों में जबरदस्त एंटी इनकंबेंसी है, ये लोकसभा चुनाव नतीजों ने साबित कर दिया। जनता अपनी नाराजगी जगह-जगह खुलकर जाहिर भी करती रही लेकिन राज्य इकाई के नेता बिल्ली को देखकर आंखें बंद कर लेने वाले कबूतर की तरह उसकी अनदेखी करते रहे। ऐसे में जैसे ही मौका मिला, पब्लिक ने वोटों के जरिये अपनी बात कह दी।
2. जाटों-किसानों की नाराजगी
हरियाणा के जाट और किसान भाजपा से नाराज हैं। इस फैक्ट से वाकिफ होने के बावजूद, राज्य सरकार में न केवल इन दोनों वर्गों की अनदेखी जारी रही, बल्कि गैर जाट की राजनीति को बढ़ावा देते हुए एक तरह से इनके जख्मों पर नमक छिड़कने का काम भी किया गया। लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान सिरसा संसदीय हलके समेत कई दूसरी जगहों पर BJP नेताओं का विरोध करने वाले किसानों पर धड़ाधड़ मुकदमे दर्ज कराए गए। इसका नुकसान सिरसा, हिसार, अंबाला और कुछ हद तक कुरुक्षेत्र में पार्टी को चुकाना पड़ा।
3. चेहरे बदलने के दांव खारिज
लोकसभा चुनाव की घोषणा से महीनेभर पहले BJP के केंद्रीय नेतृत्व को हरियाणा की ग्राउंड रिएलिटी का इनपुट मिल गया था। इसके बाद पार्टी ने सिरसा, सोनीपत और करनाल में अपने सिटिंग सांसदों के टिकट काट दिए। राज्य में CM चेहरा भी बदल दिया गया लेकिन हालात से निपटने के इन टेंपरेरी तौर-तरीकों को लोगों ने खारिज कर दिया।
4. बेरोजगारी की मार
बढ़ती बेरोजगारी इस चुनाव में भाजपा कैंडिडेट्स पर भारी पड़ी। बेरोजगारी दर में हरियाणा देशभर के राज्यों में टॉप पर पहुंच गया। 21 जुलाई 2023 को खुद मोदी सरकार ने संसद में स्वीकार किया कि हरियाणा में बीते 8 बरसों में बेरोजगारी दर 3 गुना बढ़ चुकी है।तत्कालीन श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री रामेश्वर तेली ने संसद में बताया कि हरियाणा में वर्ष 2013-14 (प्रदेश में तब कांग्रेस की सरकार थी) में बेरोजगारी दर 2.9% थी जो 2021-22 में बढ़कर 9% पर पहुंच गई। इसी टाइम पीरियड में राष्ट्रीय स्तर पर बेरोजगारी दर 4.1% थी। इसके अलावा पिछले साढ़े 9 बरसों में राज्य की मनोहर सरकार ने जो भर्तियां निकालीं, उनमें से ज्यादातर कोर्ट-कचहरी के कारण सिरे नहीं चढ़ पाई। कांग्रेस नेता इसे सही तरह भुनाने में कामयाब रहे।
5. पोर्टल राज से परेशानी
हरियाणा में BJP के साढ़े 9 साल के शासनकाल में सरकारी स्कीम्स को ऑनलाइन करने और करप्शन रोकने के नाम पर धड़ाधड़ पोर्टल शुरू किए गए। CM रहते हुए मनोहर लाल खट्टर का इस पर खास जोर रहा। आज राज्य में लगभग हर सरकारी योजना से जुड़ा अलग पोर्टल है।
13 सितंबर 2023 को तो खट्टर ने एक साथ 6 स्कीम शुरू करते हुए उनके पोर्टल शुरू कर दिए थे। इनमें CM आवास योजना व पोर्टल, नो-लिटिगेशन पोर्टल, प्रो-ओबीसी प्रमाण पत्र पोर्टल, ई-रवन्ना पोर्टल व ई-भूमि का पोर्टल शामिल था।खेतीबाड़ी करने वालों को बीज लेने से लेकर फसल बेचने और खराब फसलों के मुआवजे के लिए भी पोर्टल पर अप्लाई करना अनिवार्य बना दिया गया।
इससे करप्शन तो कम हुआ लेकिन इंटरनेट कनेक्टिवटी और दूसरे इश्यूज के कारण बहुत सारे लोग परेशान भी होने लगे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व CM भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने यह मुद्दा लगातार उठाया। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि हरियाणा में सरकार की जगह पोर्टल-राज चल रहा है।
6. अग्निवीर का मुद्दा
हरियाणा से हर साल बड़ी संख्या में नौजवान सेना में जाते हैं। राज्य के रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, झज्जर, रोहतक, भिवानी, सोनीपत से बड़ी संख्या में लोग सेना में जाते हैं। दक्षिणी हरियाणा खासकर अहीरवाल में सेना की वर्दी पहनने को लेकर खास तरह का दीवानापन दिखता है।
मोदी सरकार ने जब सेना में भर्ती से जुड़ी अग्निवीर स्कीम लॉन्च की, उस समय अकेले अहीरवाल में लगभग 50 हजार युवा आर्मी भर्ती की तैयारी कर रहे थे। जाहिर है कि ये युवा और इनके परिवार वाले अग्निवीर स्कीम के खिलाफ थे। इस नाराजगी को भाजपा ने गंभीरता से नहीं लिया जबकि कांग्रेस ने इसे अच्छी तरह भुनाया।
7. विधायकों-मंत्रियों का वर्किंग स्टाइल
हरियाणा में BJP विधायकों और मंत्रियों के वर्किंग स्टाइल को लेकर भी लोगों में नाराजगी रही। यही वजह रही कि पार्टी ने जब मनोहर लाल को हटाकर नायब सिंह सैनी को CM बनाया तो ज्यादातर मंत्री भी बदल डाले। हालांकि इससे कोई खास फायदा पार्टी को होता हुआ नजर नहीं आया।
[ad_2]
Source link