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मुंबई19 मिनट पहले
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इन्वेस्टिंग प्लेटफॉर्म ग्रो पर एक निवेशक ने धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। यूजर ने दावा किया कि ग्रो के जरिए इन्वेस्ट किए गए अमाउंट को वह रिडीम नहीं कर पा रहा है। यूजर ने इस मामले को सोशल मीडिया पर शेयर किया जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया।
हालांकि ग्रो ने किसी भी तरह के निवेश से इनकार किया और अपनी ओर से टेक्निकल गलती मानते हुए ‘गुड फेथ’ में ग्राहक को क्लेम अमाउंट दे दी। इस मामले में प्लेटफॉर्म ने ग्राहक से निवेश की डिटेल मांगी है।
क्या है पूरा मामला ?
हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर हनेंद्र प्रताप सिंह नाम के एक यूजर ने ग्रो पर आरोप लगाया कि उसकी बहन ने ग्रो से म्यूचुअल फंड में निवेश किया। उसके अकाउंट से 10,000 रुपए डेबिट हुए और निवेश का फोलियो नंबर भी जनरेट हुआ। इन्वेस्टर के मुताबिक उसके अकाउंट में फंड से जुड़ी जानकारी भी दिखाई दे रही थी।
ग्रो ने दावा किया की कस्टमर ने कभी कोई निवेश किया ही नहीं।
ग्रो ने कहा- गलती से डिस्प्ले हुआ इन्वेस्टमेंट फोलियो
यूजर के आरोप के बाद कंपनी ने एक डिटेल जवाब दिया और निवेशकों के कन्फ्यूजन दूर करने की कोशिश की। ग्रो के अनुसार, निवेशक ने 25 सितंबर, 2020 को BSE के बैंक मेंडेट से डायरेक्टली लिंक्ड (ISIP) के जरिए 10,000 रुपए का निवेश शुरू किया था।
इस सिस्टमेंटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी SIP का ट्रांजैक्शन सीधा BSE के जरिए हुआ था। इस ट्रांजैक्शन का एक ऑर्डर ID (1XXXXXXX6) भी कस्टमर को मिला था। फिनटेक प्लेटफॉर्म ने कहा, ’27 जून 2022 को हमें RTA रिवर्स फीड फाइलों में एक अलग फोलियो के लिए 50,000 रुपए का एक और लेनदेन दिखा।
जिसका ऑर्डर आईडी भी पुराना वाला ही था। इसी के चलते जब हमारे सिस्टम ने फाइल को प्रोसेस किया तो दोनों ऑर्डर ID एक समान होने के चलते 10,000 रुपए का ट्रांजैक्शन 50,000 रुपए में अपडेट हो गया। यहीं स्टेटस यूजर के पोर्टफोलियो में भी डिस्प्ले हुआ।
हमने ‘गुड फेथ’ में पैसे वापस कर दिए हैं
ग्रो ने एक अन्य पोस्ट में कहा कि निवेशक अपने क्लेम किए गए अमाउंट को लेकर चिंतित ना हों, यह सुनिश्चित किया जाता है कि सभी का निवेश सुरक्षित रहता है। हमने ‘गुड फेथ’ के आधार पर निवेशक का क्लेम अमाउंट वापस कर दिया है।
पैसा रिफंड मिलने के बाद हनेंद्र ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर एक अन्य पोस्ट में बताया कि इन्वेस्टिंग फर्म ने उससे सारे पोस्ट डिलीट करने को कहा है।
हालांकि यह एक मामला हो सकता है, लेकिन म्यूचुअल फंड निवेशकों को भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए…
अकाउंट के हर स्टेटस को कई बार वेरिफाई करें
मीरा मनी के को-फाउंडर आनंद के. राठी के मुताबिक, एक बार अमाउंट डेबिट होने या निवेश हो जाने के बाद निवेशक का रोल यहीं समाप्त नहीं हो जाता है। इसके बाद भी किसी निवेश के बारे वल नमें कई बार कनफॉर्मेशम की गई होगी।
राठी के अनुसार ग्रो ऐप में यूजर को निवेश का स्टेटस दिखा रहा था इसका मतलब यह नहीं है कि अगर राशि डेबिट नहीं हुई है तो भी यह निवेश किया गया। अगर राशि डेबिट नहीं हुई है और यूजर के फोलियो में निवेश दिखा रहा है, तो इसमें यूजर की भी जिम्मेदारी है कि वह इसे वेरिफाई करे।
ईमेल के जरिए हर महीने CAS की जांच करें
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, निवेशकों को अपने म्यूचुअल फंड होल्डिंग्स की जांच करने के लिए केवल EOP पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। उन्हें हर महीने अपने रजिस्टर्ड ईमेल ID से RTA को रिक्वेस्ट भेजकर म्यूचुअल फंड कॉन्सोलिडेटेड अकाउंट स्टेटमेंट (CAS) मांगा सकते हैं। निवेशक चाहें तो www.camsonline.com पर जाकर भी मेल बैक सर्विस CAS के लिए रिक्वेस्ट कर सकते हैं।
KYC डिटेल की रेगुलरली चेक करें
FPSB इंडिया के CEO कृष्ण मिश्रा के मुताबिक, किसी भी समस्या से बचने के लिए निवेशकों को अपने मंथली म्यूचुअल फंड स्टेटमेंट की सावधानी से समीक्षा करनी चाहिए। KYC डिटेल की जानकारी चेक करती रहनी चाहिए। इसके अलवा यूजर्स को रेगुलरली अपने इन्वेस्टमेंट फोलियो को ट्रैक करनी चाहिए।
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