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झारखंड विधानसभा चुनाव समय से पहले हो सकता है। अक्टूबर के तीसरे हफ्ते में चुनाव हो सकता है। 10 सितंबर के बाद कभी भी चुनाव की तारीखों की घोषणा हो सकती है। इसके साथ ही राज्य में आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो जाएगी।
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भारत निर्वाचन आयोग ने राज्य निर्वाचन कार्यालय को यह संकेत दे दिया है कि हरियाणा, महाराष्ट्र और जम्मू-कश्मीर के साथ ही झारखंड विधानसभा का भी चुनाव कराया जाएगा।
हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल 3 नवंबर, जबकि महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 27 नवंबर को समाप्त हो रहा है। हालांकि झारखंड विधानसभा का कार्यकाल 5 जनवरी तक है, फिर भी इस बार चुनाव साथ कराने की प्रबल संभावना है।
साल 2019 में हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव साथ-साथ हुए थे, मगर झारखंड विधानसभा चुनाव अलग हुआ था। राज्य निर्वाचन कार्यालय इन तीनों राज्यों के समानांतर ही झारखंड में भी चुनाव की तैयारियों में जुट गया है।
मतदान से 45 दिन पहले होती है घोषणा
- मतदान से कम से कम 45 दिन पहले चुनाव की घोषणा करने का नियम है। चूंकि हरियाणा में 31 अक्टूबर तक चुनाव की प्रक्रिया पूरी कर लेना है, ऐसे में 45 दिन का समय देने के लिए 10 सितंबर से 15 सितंबर तक का समय उपयुक्त होगा।
- रिप्रजेंटेंशन ऑफ पीपुल्स एक्ट के मुताबिक, भारत निर्वाचन आयोग नियत समय के छह महीने के अंदर कभी भी चुनाव करा सकता है। इस संदर्भ में राज्य सरकार कोई अड़चन नहीं डाल सकती है। झारखंड विधानसभा का कार्यकाल 5 जनवरी को समाप्त होगा, ऐसे में 5 जुलाई से लेकर 5 जनवरी के बीच चुनाव कराने पर राज्य सरकार आपत्ति नहीं कर सकती।
2019 झारखंड विधानसभा चुनाव का ये था शेड्यूल।
हम विधानसभा चुनाव के लिए तैयार : सीईओ
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के. रवि कुमार ने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश के मुताबिक काम हो रहा है। हम विधानसभा चुनाव के लिए तैयार हैं। ट्रेनिंग का काम शुरू हो चुका है।
पिछले विधानसभा चुनाव में अक्टूबर में वोटर लिस्ट का अंतिम प्रकाशन हुआ था, इस बार यह अगस्त में ही पूरा हो जाएगा। ऐसे में हम काफी आगे चल रहे हैं। वोटर लिस्ट के अंतिम प्रकाशन के बाद चुनाव के बचे अन्य काम भी पूरे कर लिए जाएंगे।
पार्टी | 2014 | 2019 | फायदा/नुकसान |
भाजपा | 37 | 25 | -12 |
जेएमएम | 19 | 30 | +11 |
कांग्रेस | 6 | 16 | +10 |
राजद | 0 | 1 | +1 |
2019 में भाजपा ने 12 सीटें गंवाईं थी
झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 में बीजेपी को 12 सीटों का नुकसान हुआ था। जबकि महागठबंधन को 21 सीटों का फायदा हुआ था। 2014 में भाजपा को पांच चरणों में हुई वोटिंग में 37 सीटें मिली थीं। 2019 में 25 सीटें मिलीं। 2014 में जेएमएम के खाते में 19 सीटें आई थीं, जबकि 2019 में 30 सीटों पर पार्टी ने जीत दर्ज की थी। 2014 में कांग्रेस ने 5 चरणों में 6 सीटें हासिल कीं, 2019 में 16 सीटें जीतीं। वहीं राजद को एक सीट पर जीत मिली थी। हेमंत सोरेन के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार बनी थी।
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