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आबकारी नीति मामले में सीबीआई ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भ्रष्टाचार का आरोपी बनाया है। इस नए आरोप के बाद बुधवार को सीबीआई ने अदालत के समक्ष केजरीवाल पर एक बड़ा दावा किया। जांच एजेंसी ने दावा किया कि केजरीवाल ने अपने बयानों में कहा है कि उनका आबकारी नीति से कोई लेना-देना नहीं था। कोरोना महामारी के दौरान जल्दबाजी में इस नीति को बनाया गया था। केजरीवाल ने इसका विरोध करते हुए अदालत में जांच एजेंसी की आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह सारी साजिश उन्हें, उनके साथियों व उनकी पार्टी को बदनाम करने की है। केजरीवाल के वकील ने कहा कि नीतियां बनाना ही सरकार का काम है।
जांच एजेंसी ने किए बड़े दावे
1. तथ्य बताए- सीबीआई की तरफ से अधिवक्ता डीपी सिंह ने कहा कि केजरीवाल ने इस घोटाले का सारा भार तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर डाल दिया है। वह कह रहे हैं कि आबकारी नीति को लेकर उन्हें कोई जानकारी नहीं है। निजीकरण का विचार सिसोदिया का था। साथ ही कहा कि उन्होंने इस तरह की कोई खबर सूत्रों के हवाले से मीडिया में नहीं चलवाई है। तथ्यों के आधार पर दलील दी है। केजरीवाल को रिमांड पर लेकर आरोपियों से आमना-सामना कराना है।
2. कोरोना महामारी में जल्दबाजी- दिल्ली की नई आबकारी नीति से संबंधित फाइल को कोरोना महामारी की दूसरी लहर के चरम पर होने के दौरान बहुत जल्दबाजी में आगे बढ़ाया गया। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के एडिशनल सेक्रेटरी प्रवेश झा ने इस बात की पुष्टि की है।
3. जवाब नहीं दिया- केजरीवाल ने औपचारिक गिरफ्तारी से पहले सीबीआई द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है।
4. विभव का नाम- दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के निजी सचिव विभव कुमार ने कहा था कि मुख्यमंत्री ने इच्छा जताई है कि आबकारी नीति के मसौदे को तत्काल मंत्रिपरिषद द्वारा स्वीकृत कराया जाए।
5. गेस्ट हाउस बुक किया- विभव कुमार ने गेस्ट हाउस बुक कराया था, जहां साउथ ग्रुप के सदस्यों की बैठक हुई थी। आरोपियों की मिलीभगत की पुष्टि इस तथ्य से भी होती है कि सह आरोपी बुच्चीबाबू, अभिषेक बोइनपल्ली और अरुण आर पिल्लई 20 मई 2021 को चार्टर्ड फ्लाइट से दिल्ली आए थे। जबकि उस समय कोरोना लॉकडाउन के चलते हवाई यात्रा बंद थी।
6. एलजी के सुझाव नहीं माने- जीओएम द्वारा उपराज्यपाल को भेजी गई आबकारी नीति को मंजूरी के लिए भेजा गया था। उपराज्यपाल द्वारा आबकारी नीति में बदलाव के सात सुझाव दिए गए थे। जिस पर जीओएम में विचार तक नहीं किया गया।
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