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माैैसम की मार से इस बार प्रदेश की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था गड़बड़ा गई है। सारी फसलाें का उत्पादन माैसम प्रतिकूल रहने से 10 से 40 प्रतिशत तक गिरा है। सबसे अधिक उत्पादन लहसुन का 40 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक गिरा है। जबकि, गेंहू उत्पादन 6 क्विंटल, चना औ
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इस बार इन प्रमुख फसलों के उत्पादन में आई गिरावट
गेहूं – प्रदेश में 30.77 लाख 843 हैक्टे. में गेहूं बुवाई थी। पिछली बार 52 क्विंटल प्रति हैक्टे. उत्पादन था। इस बार घटकर 46 क्विंटल प्रति हैक्टे. रहा। 1 कराेड़ 20 लाख 83 हजार मीट्रिक टन उत्पादन हुआ है।
सरसाें – प्रदेश में 39.41 लाख 928 हैक्टे. पर बुवाई हुई। इसका उत्पादन 62.56 लाख 823 मीट्रिक टन हुआ 1 हैक्टे. में 15 क्विंटल का औसत रहा। जबकि, 18 क्विंटल रहता है।
चना – 18 लाख 14 हजार 034 हैक्टेयर में बुवाई हुई। 22 लाख 34 हजार 212 मीट्रिक टन उत्पादन रहा हैै। 12 क्विंटल प्रति हैक्टेयर रहा है जबकि, 18 क्विंटल तक रहता है।
लहसुन – कोटा संभाग में 21,834 हैक्टे. में 1.79 लाख 760 मीट्रिक टन उत्पादन हुआ। 1 हैक्टे.में 82 क्विंटल हाेता है, लेकिन 60 क्विंटल रहा है।
धनिया – काेटा संभाग में 9 हजार 334 हैक्टेयर में 12 हजार 132 मीट्रिक टन उत्पादन हुआ है। 13 क्विंटल प्रति हैक्टेयर का उत्पादन हाेता है। इस बार 7 क्विंटल तक रहा है।
इस वजह से घटा उत्पादन
- प्रकाश संश्लेषण – इस बार जनवरी में 10 दिन घना काेहरा रहा। फैलाव कमजाेर रहा।
- फफूंद-नमी – धनिया और लहसुन में फफूंद जैसा राेग लगा। जिससे दाेनांे की गंध और महक कमजाेर रही।
- तापमान में अंतर – गेंहू की बालियों के समय दिन और रात का तापमान काफी अंतर रहा। सरसों में भी ऐसी स्थिति रही। जिनसे ये पाैधे तनाव में आ गए।
बाजार का गणित गड़बड़ाएगा
“देश की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है। इसमें लहसुन और धनिया ताे हाड़ाैती में ही अधिक हाेता है। सरसों प्रदेश में हाेती है। कम उत्पादन का असर भावाें पर पडेेंगे। इनके भाव बढ़ जाएंगे। आटा, तेल, धनिया और लहसुन पर भी हाेगा। हालांकि, अन्य प्रदेशों का उत्पादन पर भी असर पड़ेगा।”
-डाॅ. अमिताभ बसु, प्राेफेसर, अर्थशास्त्र
भास्कर एक्सपर्ट
- डाॅ. प्रताप सिंह, निदेशक अनुसंधान, कृषि विवि, काेटा
- डाॅ. पीके सिंह, संयुक्त निदेशक, उद्यान विभाग, काेटा
- रमेश चांडक, संयुक्त निदेशक, कृषि विभाग, काेटा
- नरेश शर्मा, एग्राे साइंटिस्ट
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