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दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष और पार्टी के सांसदों ने शनिवार को उपराज्यपाल वीके सक्सेना से मुलाकात की और पार्ट टाइम वोकेशनल ट्रेनर्स और कोऑर्डिनेटर्स की दोबारा बहाली की मांग की। इस बारे में पार्टी की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि दिल्ली सरकार ने अपने शिक्षा विभाग में काम कर रहे 594 वोकेशनल ट्रेनर्स और कोऑर्डिनेटर्स की सेवाएं समाप्त कर दी हैं, जिससे उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
बयान के मुताबिक, ‘दिल्ली भाजपा प्रमुख वीरेंद्र सचदेव के नेतृत्व में भाजपा सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने वोकेशनल टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन के प्रतिनिधियों के साथ शनिवार को एलजी से मुलाकात की और मामले में उनके हस्तक्षेप की मांग की।’
सचदेव ने आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की सरकारों ने कभी भी व्यावसायिक प्रशिक्षकों और समन्वयकों के पदों को नियमित करने का कोई प्रयास नहीं किया और अब अचानक उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसे अधिकांश प्रशिक्षक और समन्वयक 20 से 28 सालों से काम कर रहे हैं और अब जब उनके रिटायरमेंट का समय आया है, तो उनकी अचानक सेवा समाप्ति ने उन्हें गंभीर आर्थिक संकट में डाल दिया है, क्योंकि इस वजह से वे अपनी मेहनत की कमाई ग्रेच्युटी भी खोने की कगार पर हैं।
सचदेव ने कहा कि एलजी ने वोकेशनल ट्रेनर्स और भाजपा नेताओं के संयुक्त प्रतिनिधिमंडल की बात सहानुभूति पूर्वक सुनी और आश्वासन दिया कि इस मामले में तुरंत रिपोर्ट मांगी जाएगी। उन्होंने व्यावसायिक प्रशिक्षकों और समन्वयकों को आश्वासन दिया है कि भाजपा यह सुनिश्चित करेगी कि उनमें से किसी की भी नौकरी या ग्रेच्युटी न जाए।
दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना से मुलाकात पर भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने कहा, ‘दिल्ली सरकार ने व्यावसायिक शिक्षकों को नौकरी से हटा दिया है। हमने दिल्ली के उपराज्यपाल से मुलाकात की है और उन्हें इस मामले के बारे में बताया है। उन्होंने रिपोर्ट मांगी है। यह एक बड़ी साजिश है और इस मामले में न्याय होगा।’
इस मुलाकात के बाद भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज ने कहा, ‘दिल्ली सरकार ने पार्ट टाइम वोकेशनल ट्रेनिंग टीचर्स को यह कहते हुए नौकरी से हटाया है कि दिल्ली में हीट वेव है, जबकि इन टीचर्स ने कोविड में भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपने कर्तव्य का पूर्णतः निर्वहन किया था। दिल्ली में हीट वेव कोई नई बात नहीं है, हर गर्मी में आती है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि इन टीचर्स का पूरे साल का पैसा करीब 38 करोड़ रुपए को स्वीकृत करा लिए, लेकिन बेहद निर्ममता के साथ इन करीब 600 शिक्षकों को नौकरी से हटा दिया। इनका पूरा पैसा था वो तो ले लिया लेकिन हीट वेव का बहाना देकर डीडीए ने 27 मई के ऑर्डर से बहुत निर्ममता के साथ इनको नौकरी से हटा दिया।’
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