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केंद्रीय कृषि मंत्री और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्वाचन क्षेत्र विदिशा से एक नहर का नामो-निशान खत्म हो गया है। बेतवा नदी के पास स्थित इस नहर ने क्षेत्र की कृषि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। नहर के रहस्यमय तरीके से गायब होने को लेकर अधिकारी भी हैरान हैं। नहर के लिए जिम्मेदार सरकारी विभाग ने नहर की गायब जमीन का पता लगाने के लिए राजस्व विभाग से मदद मांगी है।
दरअसल, दौलतपुरा और मदनखेड़ा में सिंचाई के लिए उपयोग की जाने वाली नहर का निर्माण किया गया था। इसे किसानों को सिंचाई का पानी उपलब्ध कराने और कृषि उत्पादकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बनाया गया था। बेतवा नदी के पास स्थित इस नहर ने क्षेत्र की कृषि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
स्थानीय निवासी बसंत कुमार कुशवाह ने कहा कि जब वे लोग छोटे थे तो नहर के पानी में नहाते थे, लेकिन अब यह लुप्त हो गया है। नहर गायब होने के साथ ही नहर के किनारे लगी लाखों रुपये की पानी उठाने वाली मशीनें भी चोरी कर ली गईं। नहर के मामलों पर नजर रखने वाले विभाग ने राजस्व विभाग से नहर की जमीन की सही स्थिति के बारे में जानकारी मांगी है।
विदिशा के जिला कलेक्टर बुद्धेश कुमार वैद्य ने कहा कि हाल ही में यह मामला मेरे संज्ञान में आया है। यह पता लगाने के लिए गहन जांच की जाएगी कि नहर की जमीन पर किसने कब्जा किया है। सरकारी जमीन को मुक्त कराया जाएगा।
दरअसल, यह मामला 1980 का है जब सरकार ने जमीन का अधिग्रहण किया था और किसानों को उचित मुआवजा दिया गया था। वर्षों से उस क्षेत्र में आवासीय कॉलोनियां बनने लगीं जहां कभी नहर हुआ करती थी। कॉलोनी विकास की आड़ में सरकारी जमीन पर अतिक्रमण एक मुद्दा बन गया था। नहर को कब गायब किया गया इसकी सही जानकारी रहस्य में डूबा हुआ है।
गायब हुई नहर की यह जमीन केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्वाचन क्षेत्र में थी, जिससे सरकारी अधिकारियों में चिंता पैदा हो गई है। स्थानीय लोगों ने कहा कि वे इस बात पर नजर रख रहे हैं कि मामले में जांच कैसे आगे बढ़ती है। वे चाहते हैं कि नहर को फिर से बहाल किया जाए।
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