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Chinese Astronaut Spacewalk: जिस काम को अमेरिका ने अंतरिक्ष में कई देशों के साथ मिलकर किया था, उसे चीन ने अकेले ही करके दिखा दिया, जिससे अमेरिका की चिंताएं बढ़ गई हैं. अमेरिका की एजेंसी NASA ने कई देशों के साथ मिलकर अंतरिक्ष में स्पेस स्टेशन बनाया था, लेकिन चीन ने अकेले ही अपनी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर स्पेस स्टेशन खड़ा कर दिया. इतना ही नहीं चीन ने अपनी इस ताकत का प्रदर्शन भी किया. इसका एक वीडियो वायरल किया गया, जिसमें एक अंतरिक्ष यात्री को पृथ्वी के ऊपर लटकते हुए देखा जा सकता है. चीन अंतरिक्ष एजेंसी ने इसके कई वीडियो जारी किए हैं. वीडियो में पृथ्वी भी दिखाई दे रही है.इसमें स्पेसवॉक की काफी चर्चा हो रही है. इससे पहले अप्रैल में शेनझोउ-18 मिशन लॉन्च किया गया था. इसके जरिए चीन ने 8.5 घंटे के स्पेसवॉक के साथ इतिहास रचा था. इतना लंबा स्पेसवॉक चीन के किसी भी अंतरिक्ष यात्री ने नहीं किया. यह वीडियो अब चीन को स्पेस में नासा को टक्कर देने वाले मजबूत खिलाड़ी के रूप में प्रदर्शित कर रहा है.
Earth’s beauty from Tiangong space station (CSS): robotic arm captures stunning views of blue planet, land meeting sea, clouds swirling. Full HD:https://t.co/sHDsnJFm12 pic.twitter.com/2Mqtdiv1tL
— CNSA Watcher (@CNSAWatcher) June 11, 2024
ताकत नापने के लिए किए कई प्रयोग
चीन अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि इसका रविवार को वीडियो फुटेज जारी किया था. इसमें शेनझोउ-18 चालक दल को चीनी स्पेस स्टेशन में कई प्रयोग करते देखा गया है. अंतरिक्ष यात्री गुआंगफू, ली कांग और ली गुआंगसु ने परीक्षण में 2 हाथ और एक हाथ से धक्का देने और खींचने के साथ-साथ रोटेशनल ताकत का आकलन किया.पृथ्वी की तुलना में अंतरिक्ष यात्री की शक्ति ऐसे वातावरण में कितनी बदलती है, यह जानने के लिए इस प्रयोग को किया गया था.
चांद पर भी रूस और अमेरिका को भी छोड़ा पीछे
इससे पहले चीन ने चांद पर एक और सफलता हासिल की है. तीन मई को लॉन्च हुए चांग’ई-6 मून लैंडर ने करीब एक महीने बाद लैंडिंग कर ली. यह चीन का अब तक का सबसे मुश्किल मून मिशन था. इसके जरिए चीन चांद के अंधेरे वाले हिस्से से सैंपल लाएगा और ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बनेगा. ऐसा अभी तक अमेरिका और रूस भी नहीं कर पाए. रॉयटर्स के मुताबिक, चांग ई-6 की सफलता के बाद चीन चांद पर बेस बनाने में अमेरिका और दूसरे देशों से आगे निकल सकता है. अगर सबकुछ ठीक हुआ तो लैंडर चांद की सतह से 2 किलो सैंपल लाएगा. चीन को 2030 तक चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजना है, जिसके लिए वह यहां पर एक रिसर्च बेस बनाना चाहता है.
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