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मध्यप्रदेश की धार लोकसभा सीट से सांसद बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में जगह पाने वालीं सावित्री ठाकुर अब एक अलग वजह से चर्चा में हैं। वे हाल ही में एक स्कूली कार्यक्रम में हिंदी का एक वाक्य ठीक से नहीं लिख पाईं। आयोजन में जब उनसे ‘बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ’ स्लोगन लिखने को कहा गया तो उन्होंने इसकी जगह पर ‘बेढी पड़ाओ बच्चाव’ लिख दिया। जिसके बाद आम लोग व कांग्रेस नेता 12वीं पास मंत्री की शिक्षा को लेकर सवाल उठा रहे हैं।
दरअसल मामला धार जिले का है, जहां मंगलवार को तीन दिवसीय स्कूल प्रवेशोत्सव कार्यक्रम की शुरुआत करने के लिए केंद्रीय महिला बाल विकास राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर को बुलाया गया था। उन्हें इस शासकीय स्कूली कार्यक्रम में शिक्षा रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना करने के लिए बुलाया गया था।
इस दौरान उन्हें रथ के फ्लेक्स पर ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का स्लोगन लिख कर रथ को रवाना करने को कहा गया। लेकिन मंत्री स्लोगन को ठीक से लिख नहीं पाई और इसकी जगह ‘बेढी पड़ाओ बच्चाव’ लिख दिया। जिसके बाद वहां उपस्थित लोगों ने उनके लिखे स्लोगन के फोटो और वीडियो बना लिए, जो अब वायरल हो रहे हैं। इस वायरल फोटो और वीडियो को कांग्रेस दुर्भाग्यपूर्ण बता रही है।
उमंग सिंघार बोले- पीएम को रबर स्टाम्प मंत्री चाहिए
सावित्री ठाकुर के गलत स्लोगन लिखने के फोटो-वीडियो वायरल होने के बाद मध्य प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष और गंधवानी विधायक उमंग सिंघार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ‘ये कैसा नेतृत्व …?? क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को अपनी सरकार में सिर्फ #रबर स्टाम्प मंत्री ही चाहिए? जनप्रतिनिधि कैसा होना चाहिए इसका कोई मापदंड तो तय नहीं है, पर कम से कम उसे अक्षरज्ञान तो होना ही चाहिए। #धार की #सांसद और केंद्रीय मंत्रिमंडल में महिला एवं बाल विकास मंत्री सावित्री ठाकुर तो दो शब्द भी नहीं लिख सकतीं। समझा जा सकता है कि बच्चों ने भी जब उन्हें गलत लिखते देखा होगा तो उनमें क्या भावना आई होगी। उनकी ये अज्ञानता केंद्र सरकार में कैसा नेतृत्व देगी, इसकी सिर्फ कल्पना ही की जा सकती है। ऐसा जनप्रतिनिधि चुनने से पहले मतदाताओं को भी सोचना था। मोदी सरकार को भी पढ़े-लिखे नेता नहीं चाहिए जो सवाल उठाएं। क्योंकि, शिक्षा सिर्फ अक्षर ज्ञान ही नहीं कराती, समाज के उत्थान के प्रति सोच भी बदलती है।’
ऐसा रहा है राजनीतिक सफर
बता दें की मोदी मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए ठाकुर से बायोडाटा मांगा गया था, जिसमें उन्होंने अपनी योग्यता हायर सेकेंडरी लिखी थी। 46 वर्षीय सावित्री ठाकुर बड़ी आदिवासी नेता हैं। वे 2004 से 2009 तक जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं। इसके बाद साल 2014 में पहली बार सांसद बनी थीं। राजनीति में आने के पहले वह एक एनजीओ में कॉर्डिनेटर के पद पर कार्यरत थीं। उन्होंने 12वीं तक पढ़ाई की है और उनके दो बेटे हैं।
रिपोर्ट विजेन्द्र यादव
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