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प्रसिद्ध गायिका अलका याग्निक के सुनने की क्षमता खत्म होने की खबर के बाद अब हर घर में इस बात पर चिंता है कि आखिर सुनने की क्षमता कैसे खो रहे है लोग और इसके बचाव के लिए क्या किया जाए , जिस तरह से अलका याग्निक को की सुनने की क्षमता कम हुई है। उसी तरह से
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डॉक्टर जेथलिया ने बताया कि हमारे कान 70 से 90 डेसीबल तक आवाज आराम से सुन सकते है लेकिन इससे ज्यादा डेसीबल की ध्वनि हमारे कानों की सुनने की क्षमता को प्रभावित करती है।आजकल बड़ी संख्या में लोग हेडफोन, ईयर प्लग और ब्लूटूथ का करते है। इन सभी से लगातार सुनना भी हानिकारक होता है। हायर फिक्वेंसी से सुनने की क्षमता धीरे धीरे कम होती है जो की मरीज को बहुत बाद में पता चलती है। इसी तरह स्टेज प्रोग्राम करने वाले गायक पर भी इसका प्रभाव पड़ता है डीजे के साउंड से कान खराब होने का अंदेशा हमेशा बना रहता है।
डॉक्टर के अनुसार अगर आप अपने कान को हमेशा स्वस्थ रखना चाहते है तो खासकर यंग जनरेशन सहित सभी लोगो को इन बातों का हमेशा ध्यान रखना चाहिए।
- ईयर प्लग का उपयोग करे ताकि साउंड पूरी तरह से अंदर नहीं जाए
- जहां तक हो सके डीजे साउंड के सामने जाने से बचे
- नई जनरेशन को ख़ास ध्यान रखना चाहिए की हेडफोन ब्लूटूथ से लगातार काम नहीं करे अगर जरुरी होतो मोबाइल के स्पीकर पर करे। या काम के बीच कुछ देर रेस्ट जरूर दे।
- गाने स्पीकर पर सुने तो बेहतर है वो भी काम आवाज में। बंद कमरे में तेज आवाज पर गाने सुनने का आदत से दूर रहे।
- तेज आवाज: लंबे समय तक तेज आवाज के संपर्क में रहना सुनने की क्षमता को नुकसान पहुँचा सकता है, जैसे लाउड म्यूजिक, औद्योगिक शोर, या अन्य तेज ध्वनियाँ।
- कान में बार-बार संक्रमण होने से स्थायी सुनने की समस्या हो सकती है।
- कान में मोम का जमाव भी अस्थायी रूप से सुनने की शक्ति को कम कर सकता है।
- सिर या कान पर चोट लगने से भी सुनने की समस्या हो सकती है।
कभी भी किसी भी कारण की स्थिति में सुनने की क्षमता कम होने लगे तो सही निदान और उपचार के लिए कान, नाक, और गले के विशेषज्ञ (ईएनटी) से संपर्क करना महत्वपूर्ण होता है।
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