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अदालत का फैसला।
– फोटो : अमर उजाला।
विस्तार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1982 में एटा जिले के थाना कोतवाली क्षेत्र में गोली मारकर की गई हत्या के मामले में तीन आरोपियों को बरी करने के फैसले को बरकरार रखा है। कहा, दोषपूर्ण जांच व अभियोजन पक्ष की गवाही में विरोधाभास ने मामले को प्रभावित किया है। शरीर में बरामद छर्रे, बंदूक और खाली कारतूस को जांच को फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला नहीं भेजा गया। यह भी अभियोजन के दावे को संदिग्ध बनाता है। न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता और न्यायमूर्ति शिव शंकर प्रसाद की पीठ ने यह आदेश दिया।
सतदेव सिंह ने 10 मार्च 1982 को सुघर सिंह, सहदेव सिंह, नागेंद्र सिंह एवं अशोक के विरुद्ध हत्या व अन्य मामलों में मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप लगाया था कि उसके पिता गोपाल सिंह की आरोपियों से चने के खेत में बह रहे पानी को लेकर विवाद हो गया था। इसी को लेकर आरोपियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। ट्रायल कोर्ट ने आरोपियों को बरी कर दिया। इस आदेश के विरोध में सरकार ने हाईकोर्ट में अपील दायर की।
सरकारी अपील के लंबित रहने के दौरान अभियुक्त सुघर सिंह का पहले ही निधन हो चुका है। कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ अपने मामले को साबित करने में सफल नहीं हुआ है। ट्रायल के दौरान पेश साक्ष्यों के आधार पर आरोपी के अपराध को पूरी तरह से साबित नहीं किया है। इसलिए राज्य की ओर से दाखिल अपील खारिज की जाती है और आरोपियों को बरी किया जाता है।
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