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यूजीसी के चेयरमैन प्रो. एम. जगदीश कुमार
राजस्थान में सरकारी भर्तियों में फर्जी डिग्रियां लगाकर नौकरी पाने का मामला गर्माया हुआ है। संभवत: यह देश में सबसे बड़ा डिग्री फर्जीवाड़ा है। राज्य सरकार ने 5 साल में हुई भर्तियों के जांच के आदेश दिए हैं। वहीं दूसरी ओर, विश्वविद्यालयों को मान्यता देने
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यूजीसी से मान्यता प्राप्त कई निजी विश्वविद्यालय फर्जी डिग्रियों के खेल में लिप्त हैं। भास्कर ने यूजीसी के दिल्ली ऑफिस में चेयरमैन प्रो. एम. जगदीश कुमार से फर्जी डिग्रियों, बैक डेट में एडमिशन के खेल, यूजीसी की मान्यता, नैक, खाली पड़े पदों सहित विभिन्न मुद्दों पर विशेष बातचीत की…।
यूजीसी से मान्यता प्राप्त कई प्राइवेट विश्वविद्यालय फर्जी डिग्रियां बांट रहे हैं, यूजीसी ने क्या कार्रवाई की?
फेक डिग्रियों का मामला गंभीर है। अपेक्स कमेटी से कुछ यूनिवर्सिटी की जांच करवाई है। राजस्थान की ओपीजेएस यूनिवर्सिटी की पीएचडी कोर्स की मान्यता भी रद्द की है। इससे पहले मणिपुर की एक यूनिवर्सिटी की मान्यता रद्द की गई थी। फिलहाल देश की 15 यूनिवर्सिटी के खिलाफ फर्जी डिग्री मामले में कमेटी जांच कर रही है। इनमें 3 राजस्थान की प्राइवेट यूनिवर्सिटी भी हैं।
राजस्थान में भर्तियों में बड़ी संख्या में निजी विश्वविद्यालयों की फर्जी डिग्री मिली है। क्या राजस्थान सरकार या जांच एजेंसी ने यूजीसी को सूचना भेजी है?
नहीं! सूचना नहीं आई लेकिन प्राइवेट यूनिवर्सिटी स्टेट एक्ट से बनती है, उच्च शिक्षा विभाग में सेक्रेट्री होते हैं, वे जांच कर सकते हैं। हमें किसी विवि की शिकायत मिलेगी तो हम सख्त कार्रवाई करेंगे।
यूजीसी का एक्ट 1956 का है। इसमें मात्र 1 हजार रुपए पेनल्टी है, ऐसे में कार्रवाई कितनी प्रभावी होगी?
हां! एक्ट के अनुसार पेनल्टी नहीं लगाई गई क्योंकि यह काफी कम है। नई एजुकेशन पॉलिसी के अनुसार देश में यूजीसी, एआईसीटीई, एनसीटीई सभी मर्ज हो जाएंगे और हायर एजुकेशन कमिशन ऑफ इंडिया बनाया जाएगा। ऐसा हुआ तो नए एक्ट, नए नियम लागू होंगे।
विवि बैक डेट में एनरोलमेंट कर देते हैं, क्या एडमिशन के लिए यूपीएससी की तर्ज पर कैलेंडर बनाएंगे। बैक डेट में जारी डिग्री को कैसे रोक सकते हैं?
कैलेंडर जारी नहीं कर सकते। लेकिन हर स्टूडेंट का यूनिक एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट आईडी हो तो ट्रैक कर सकते हैं। इसे डिस्टेंस लर्निंग और ऑनलाइन कोर्स करने वाले छात्रों के लिए लागू किया है। इसमें यूनिक आईडी जनरेट होती है। यूजीसी पोर्टल पर इसे देख सकते हैं।
फेक डिग्री सहित अन्य शिकायतों के लिए विवि में लोकपाल नियुक्त करने के आदेश कितना कारगर?
देश में 1160 विश्वविद्यालय हैं। हमने छात्रों की समस्याओं के निवारण के लिए रिटायर्ड जज स्तर के लोकपाल नियुक्त करने के लिए कहा था। राजस्थान के 13 विश्वविद्यालयों ने अब तक लोकपाल नियुक्त नहीं किए हैं। इनमें ज्यादातर सरकारी विवि हैं। हमने राज्य सरकार और गवर्नर को पत्र लिखा है।
सरकारी विवि में 50 प्रतिशत से ज्यादा पद खाली हैं, यूजीसी की गाइडलाइन भी पूरी नहीं कर रहे हैं ?
हां, पद खाली होना मेजर इश्यू है। बिना स्टाफ हाई क्वालिटी की रिसर्च और पढ़ाई कैसे होगी। भर्तियों के लिए साल में 2 बार पत्र लिखते हैं।
राजस्थान की 96 में से मात्र 27 यूनिवर्सिटी के पास ही नैक है। क्या नैक को बाध्य नहीं किया जा सकता, यूनिवर्सिटी समय पर नैक ग्रेड नहीं लेतीं ?
विश्वविद्यालयों को 12बी चाहिए तो नैक हो। नैक के बिना फंडिंग ही नहीं मिलती। विश्वविद्यालयों को समय पर नैक करवाना चाहिए और छात्र भी एडमिशन के समय ये सभी चीजें देखें।
क्या यूनिवर्सिटी कोई भी कोर्स करवा सकती है, या उसे यूजीसी से परमिशन लेनी होती है?
बीकॉम, बीए जैसे सामान्य कोर्स विश्वविद्यालय एकेडमिक काउंसिल, बोम से निर्णय लेकर चालू या बंद कर सकते हैं। लेकिन प्रोफेशनल कोर्स जैसे बीटेक, बीएड के लिए संबंधित आयोग से परमिशन लेना जरूरी है।
क्या भविष्य में भर्ती एजेंसियों के लिए या छात्रों की डिग्रियों का वेरीफिकेशन करने के लिए कोई केंद्रीय पोर्टल बनाने की प्लानिंग है ?
पोर्टल बनाने की कोई प्लानिंग नहीं है। लेकिन हम फेक यूनिवर्सिटी की लिस्ट यूजीसी की साइट पर डालते हैं। वहीं राज्य सरकारों को भी ऐसे मामलों में कार्रवाई करने के लिए पत्र लिखते रहते हैं।
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