[ad_1]
कांग्रेस नेता राहुल गांधी।
– फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स
विस्तार
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी रायबरेली से सांसद बने रहेंगे, जबकि वायनाड सीट पर हो रहे उपचुनाव में प्रियंका गांधी मैदान में उतरेंगी। कांग्रेस का यह फैसला अनायास नहीं है, बल्कि इसके सियासी मायने हैं। लोकसभा चुनाव में मिले जनमत से पार्टी उत्साहित है। कांग्रेस को उम्मीद है कि राहुल गांधी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में फिर से सियासी फसल लहलहाएगी।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी पदयात्रा के दौरान उत्तर प्रदेश की सीमा में पहुंचते ही जातीय जनगणना और पिछड़ों-दलितों की हिस्सेदारी का मुद्दा उठाया था। लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान भी इस मुद्दे को निरंतर हवा दी गई। पिछड़े वर्ग का लोकसभा क्षेत्रवार सम्मेलन और संविधान रक्षा का संकल्प जैसे कार्यक्रम भी हुए। इन कार्यक्रमों का नतीजा रहा की पार्टी वोट प्रतिशत बढ़ाने में कामयाब रही। चुनाव जीतने के तत्काल बाद रायबरेली में हुआ कार्यकर्ता आभार सम्मेलन भी इसी रणनीति का हिस्सा है। पार्टी की तैयारी है कि हर लोकसभा क्षेत्र में जल्द ही आभार सम्मेलन का आयोजन कर कार्यकर्ताओं और आम मतदाताओं का आभार जताया जाएगा।
अब राहुल गांधी ने रायबरेली से ही सांसद बने रहने का एलान कर दिया है। इससे स्पष्ट है कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश में फिर से जड़ें जमाने में जुट गई है। कुछ हद तक जनता और अन्य दलों के नेताओं का रुझान भी यही बता रहा है, क्योंकि पिछड़े दलित और अल्पसंख्यक वर्ग के तमाम नेता लगातार कांग्रेस की सदस्यता ले रहे हैं। पार्टी के रणनीतिकारों का कहना है कि राहुल गांधी के रायबरेली से सांसद बने रहने का सीधा फायदा आगामी विधानसभा चुनाव में मिलेगा। उत्तर प्रदेश में लोकसभा ही नहीं विधानसभा में भी अपनी पकड़ मजबूत करके पूरे देश में संदेश दिया जा सकता है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय का कहना है कि लोकसभा चुनाव के बाद कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ा है। पार्टी के हर नेता और कार्यकर्ता फिर से मैदान में उतरने के लिए तैयार है। राहुल गांधी के रायबरेली से सांसद बने रहने से पार्टी को ताकत मिलेगी और उत्साह बढ़ेगा।
एक से छह हुए सांसद, वोट प्रतिशत भी बढ़ा
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस एक सीट से बढ़कर छह सीटों पर पहुंच गई है, जबकि 11 लोकसभा क्षेत्रों में दूसरे स्थान पर रही। पार्टी ने रायबरेली में अपना दबदबा बरकरार रखा तो अमेठी में पांच साल बाद हिसाब बराबर कर लिया। वहीं प्रयागराज, सहारनपुर में 40 साल बाद परचम लहराने में कामयाब रही। जिन सीटों पर कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही, वहां 2019 की अपेक्षा 40 फीसदी वोट बढ़ा है। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस वर्ष 2014 में 7.53 फीसदी और 2019 में 6.36 फीसदी वोट हासिल कर पाई थी, लेकिन वर्ष 2024 में वह 9.46 फीसदी पर पहुंच गई है। पार्टी नेताओं का कहना है कि विधानसभा चुनाव के लिहाज से भी यह चुनाव परिणाम अहम है, जो पार्टी को नए सिरे से संजीवनी देगा।
[ad_2]
Source link