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वीरांगना लक्ष्मीबाई काआखिरी संघर्ष में वह शहादत लेती हुई
मंगलवार को बलिदान मेला के आखिरी दिन (18 जून) को समाधि स्थल के सामने मैदान में छह मंच पर लगभग 200 से ज्यादा कलाकार द्वारा 60 मिनट की अवधि में कुल 90 दृश्य के माध्यम से आजादी के लिए शहीदों के संघर्ष को मंच पर दिखाया गया। यह अवसर था महानाट्य “खूब लड़ी म
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इसके बाद धीरे-धीरे अंग्रेजों ने अपना साम्राज्य स्थापित किया। इसी बीच झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के शादी का भव्य दृश्य दिखाया गया। इस अवसर पर मंच पर 100 कलाकारों ने सामूहिक नृत्य की प्रस्तुति दी। नाटक में शिवाजी के साथ-साथ रानी लक्ष्मीबाई के संघर्ष को दिखाया गया। आखिर में अंग्रेजों के साथ रानी लक्ष्मीबाई का संघर्ष दिखाया गया और किस तरह वह देश पहले स्वतंत्रता संग्राम में देश के लिए बलिदान दे गई दृश्य पेश किया गया।
महानाट्य में लक्ष्मीबाई के महल में राज महल का दृश्य
जब मंत्री विजयवर्गीय ने गाया गाना “अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों’
ग्वालिर बलिदान मेला में पहुंचे प्रदेश के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने मंच पर भाषण से पहले यह गाना “अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों’ गाकर खामोश बैठे लोगों में जोश भर दिया। उनका कहना था कि बच्चों को देश का इतिहास जरूर पढ़ाएं ताकि वे अपने अतीत के गौरव काे जान सकें। इस मौके पर उन्होंने उन वीरों को भी याद करने के लिए कहा जिनका इतिहास में भी जिक्र नहीं है। उन्होंने वीरांगना के चरित्र से प्रेरणा लेने के लिए भी कहा है।
क्रांतिवीर परिजन सम्मान दिया गया
वीरांगना लक्ष्मीबाई बलिदान मेले में क्रांतिवीर परिजन सम्मान से शहीद चंद्रशेखर आजाद के प्रमुख सहयोगी क्रांतिकारी रुद्रनारायण के वंशज मुकेश नारायण को सम्मानित किया गया। यह सम्मान प्रदेश के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय एवं देश के प्रख्यात संत उत्तम स्वामी महाराज ने प्रदान किया। वहीं मातृशक्ति की राष्ट्रीय प्रमुख मीनाक्षी ताई पिशवे को वीरांगना सम्मान से सम्मानित किया गया। देश की रक्षा के लिए अदम्य साहस का परिचय देकर अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों के परिजन को भी इस अवसर पर सम्मानित किया गया। जिनमें कूपवाडा में शहीद हुए 19 राजपूत बटालियन के सतेंद्र सिंह राजावत की धर्मपत्नी रेनुदेवी ग्राम बझाई जिला भिण्ड शामिल हैं। कार्यक्रम में महारानी लक्ष्मीबाई पर केन्द्रित महानाट्य के मंचन से बड़ी संख्या में मौजूद शहरवासियों के दिलों में देशभक्ति हिलोरे लेने लगीं।
बलिदान मेला में सम्मान करते हुए
विजयवर्गीय बोले-जयभान सिंह ने नेक काम किया है
इस अवसर पर नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने भव्य और गरिमापूर्ण आयोजन के लिए जयभान सिंह पवैया की प्रशंसा की और कहा कि उनके इस कार्य से ग्वालियरवासियों को 1857 की क्रांति की महानायिका वीरांगना लक्ष्मीबाई के प्रति समारोहपूर्वक श्रृद्धा-सुमन अर्पित करने का अवसर प्राप्त हुआ है। इस अवसर पर देश के प्रख्यात संत उत्तम स्वामी महाराज ने कहा कि युवा पीढ़ी को राष्ट्र सेवा के प्रति जागृत करने एवं देशभक्त बनाने की दिशा में बलिदान मेला एक अनूठा प्रयोग है। उन्होंने कहा कि इतिहास से सीख लेकर हम वर्तमान को संभालते हुए भविष्य में श्रेष्ठ भारत का निर्माण कर सकते हैं। इस अवधारणा को पूरा करने के लिए बलिदान मेले जैसे आयोजन जरूरी हैं। उन्होंने बलिदान मेले के संस्थापक अध्यक्ष जयभान सिंह पवैया की यह पहल करने के लिए सराहना की।
जयभान सिंह बोले-शहीदों को कृतज्ञता देना मेला का उद्देश्य
बलिदान मेला आयोजन समिति के संस्थापक अध्यक्ष और पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया ने कहा है सन् 2000 से यह बलिदान मेला का प्रारंभ किया गया है। इस आयोजन के माध्यम से उन सब शहीदों को जिन्होंने अपने प्राणों की आहूति इस राष्ट्र की रक्षा और निर्माण के लिये दे दी है, उनके प्रति हम सब कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं। उन्होंने कार्यक्रम के आयोजन में ग्वालियर शहरवासियों की सक्रिय भागीदारी पर भी हर्ष और आभार व्यक्त किया। पवैया ने कहा कि वीरांगना लक्ष्मीबाई ने गुलामी का सरल रास्ता न चुनकर स्वाभिमानी व देशभक्ति का रास्ता चुना। उन्होंने देश के लिये अपने प्राणों की आहुति दी और आज भी करोड़ों करोड़ भारतियों के दिल के सिंघासन पर राज कर रही हैं।
वीरांगना लक्ष्मीबाई पर केन्द्रित महानाट्य एवं अखिल भारतीय कवि सम्मेलन भी हुआ
इस गरिमापूर्ण कार्यक्रम में जीवित घोड़े, ऊंटों के साथ शहर के वंदे मातरम् ग्रुप द्वारा वीरांगना लक्ष्मीबाई पर केन्द्रित महानाट्य की प्रस्तुति दी गई। जिसे दर्शकों द्वारा बेहद सराहा गया। इस महानाट्य में लगभग 200 कलाकारों ने भाग लिया। कलाकारों की भावों से भरी प्रस्तुति ने बलिदान मेले में बड़ी संख्या में मौजूद शहरवासियों के दिलों में देशभक्ति का जज्बा हिलोरे लेने लगा। साथ ही बहुत से लोगों की आंखें नम हो गईं। कार्यक्रम के अंत में अभा कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। जिसमें देश के प्रतिष्ठित कवि हरिओम पवार, विष्णु सक्सेना, विनीत चौहान, शंभू शिखर, जॉनी बैरागी, सुश्री योगिता चौहान, अनिल अग्निवंशी, सुमित ओरछा व मोहित शौर्य ने काव्यपाठ किया। जिसमें राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत कविताओं से प्रांगण गूँज उठा।
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