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Putin to visit North Korea : रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन मंगलवार यानी आज उत्तर कोरिया की दो दिवसीय यात्रा पर जा रहे हैं. पुतिन की पिछले 24 वर्षों में उत्तर कोरिया की यह पहली यात्रा है. यहां से पुतिन वियतनाम भी जाएंगे. क्रेमलिन ने सोमवार को बताया कि उत्तर कोरिया के राष्ट्रपति किम जोंग उन के निमंत्रण पर पुतिन 18-19 जून को प्योंगयांग की यात्रा करेंगे.
राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा कि पुतिन 19 जून से वियतनाम की 2 दिवसीय यात्रा पर हनोई भी पहुंचेंगे.इससे पहले 2000 में पहली बार राष्ट्रपति बनने के बाद पुतिन ने प्योंगयांग का दौरा किया था. पिछले साल सितंबर में किम जोंग उन रूस की यात्रा पर गए थे. क्रेमलिन ने कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और मानवीय क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की योजना है. साथ ही अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय एजेंडे पर विचारों का आदान-प्रदान किया जाएगा. कई द्विपक्षीय समझौते भी होंगे. माना जा रहा है कि पुतिन उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन से मुलाकात कर के सैन्य सहयोग बढ़ाने पर चर्चा कर सकते हैं. रूस और उत्तर कोरिया दोनों के ही अमेरिका से काफी मतभेद हैं. इस कारण दोनों देश और करीब आते जा रहे हैं.
हथियारों को लेकर हो सकती है डील
पुतिन उत्तर कोरिया ऐसे समय पर जा रहे हैं, जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रूस पर कई प्रतिबंध लगा दिए गए. माना जा रहा है कि उत्तर कोरिया आर्थिक सहायता और तकनीक हस्तांतरण के बदले में रूस को आवश्यक हथियार उपलब्ध कराया जाएग, क्योंकि युक्रेन युद्ध के बाद से हथियार पुतिन के लिए बहुत जरूरी हैं. वहीं, पिछले दिनों खबरें भी आई थीं कि उत्तर कोरिया लगातार अपनी मिसाइलों और हथियारों का परीक्षण कर रहा है, तब भी यही खबर थी कि यह रूस को लुभाने के लिए शक्ति प्रदर्शन है. पिछले साल सितंबर में किम जोंग ने भी पुतिन के साथ बैठक के लिए रूस की यात्रा की थी. 2019 के बाद दोनों नेताओं की ये पहली बैठक थी. अमेरिका और दक्षिण कोरियाई लगातार उत्तर कोरिया पर आरोप लगाते आ रहे हैं कि वह रूस को गोला बारूद, मिसाइल और अन्य सैन्य उपकरण दे रहा है. हालांकि, प्योंगयांग और मॉस्को दोनों ने इन आरोपों को खारिज किया है.
24 साल बाद उत्तर कोरिया जा रहे पुतिन
रूस के राष्ट्रपति पुतिन की यह 24 साल बाद पहली यात्रा है. इससे पहले वह 2000 में उत्तर कोरिया गए थे. वहीं, उत्तर कोरिया और रूस दोनों ने ही किसी भी हथियारों के ट्रांसफर के आरोपों से इनकार किया है, क्योंकि यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन होगा.
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