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हल्दीघाटी का नाला, जिसे चेतक ने लांघा था
हल्दीघाटी का कण-कण प्रताप के शौर्य, पराक्रम और बलिदान की कहानी कहता है। 18 जून 1576 में मेवाड़ के तत्कालीन राजा महाराणा प्रताप और मुगल सम्राट अकबर के सेनापति सवाई मानसिंह के बीच जबरदस्त युद्ध हुआ था। युद्ध में महाराणा प्रताप भी चारों तरफ से घिर गए थे
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चेतक ने 22 फीट के नाले को पार कर खोड़ी ईमली नामक जगह पर अपने प्राण दे दिए। महाराणा प्रताप ने अपने प्रिय अश्व को बलीचा में दफनाते हुए यहां शिव मंदिर की स्थापना की, जो आज भी चेतक समाधि के पास स्थित हैं। 18 जून 2024 को हल्दीघाटी युद्ध की 448वीं युद्धतिथि पर स्वामीभक्त चेतक सहित सभी देशभक्तों को कोटि कोटि नमन है।
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