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जयपुर में एक प्रॉपर्टी कारोबारी को केंद्र में राज्य मंत्री बनाने का झांसा देकर 5 करोड़ रुपए ठग लिए गए। ठगी करने वाला शख्स भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया के सामने आमेर विधानसभा से निर्दलीय चुनाव भी लड़ चुका है।
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मास्टरमाइंड ठग ने झांसे में लेने के लिए पीड़ित को दिल्ली ले जाकर एक तत्कालीन केंद्रीय मंत्री के साथ गुलदस्ता भेंट करवाया। फिर राज्यमंत्री दर्जा के फर्जी लेटर हेड जारी करवा दिए। ठगी से पर्दा तब उठा जब पीड़ित ने खुद को राज्यमंत्री बताते हुए मीडिया में प्रेस रिलीज करवा दी।
करीब 8 साल पुराने मामले में पुलिस एफआर लगा चुकी थी। लेकिन कोर्ट के निर्देश पर दूसरी बार केस को रीओपन किया गया। कुछ दिन पूर्व पहला एक्शन लेते हुए जयपुर पुलिस ने दिल्ली के एक आरोपी बिजनेसमैन को अरेस्ट किया है।
ठगी की साजिश कैसे रची गई, कैसे 7 करोड़ में डील फिक्स हुई थी। संडे बिग स्टोरी में पढ़िए पूरी कहानी…
हलवाई के जरिए प्रॉपर्टी डीलर को पहले जाल में फंसाया
जयपुर शहर के नारायण विहार में रहने वाले सीताराम शर्मा पुत्र चंदाराम शर्मा ने बताया कि वो प्रॉपर्टी कारोबारी हैं। वीटी रोड पर करिश्मा टावर में ऑफिस है। घर पर कोई भी छोटा-बड़ा प्रोग्राम होता था तो हलवाई का काम प्रहलाद बागड़ा करता था। वर्ष 2015 में प्रहलाद बागड़ा ने बताया कि उसकी जान पहचान राजकुमार बागड़ा से है, जो केंद्र में आपको मंत्री पद दिलवा सकते हैं। इसके बाद प्रहलाद ने सीताराम की मुलाकात राजकुमार बागड़ा और उसके भतीजे मनोज बागड़ा से ऑफिस में बुलाकर करवाई।
पीड़ित सीताराम शर्मा ने बताया कि पुलिस जांच में ठगी प्रमाणित हो चुकी है।
आमेर से विधायक के लिए निर्दलीय उम्मीदवार का चुनाव लड़ा
आरोपी राजकुमार बागड़ा खुद को पॉलिटिशियन बताता था। उसने पिछले विधानसभा चुनाव (2023) में आमेर विधानसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी सतीश पूनिया के सामने निर्दलीय चुनाव लड़ा था। राजकुमार को चुनाव में महज 2 हजार 585 वोट मिले।
पीड़ित सीताराम ने बताया कि राजकुमार हकीकत में प्रॉपर्टी डीलर है, लेकिन वो खुद को राजनेता बताकर लोगों को मंत्री पद दिलाने का झांसा देकर ठगता है। वो कई लोगों को ठग चुका है। उसकी ठगी के शिकार लोग बदनामी के कारण सामने नहीं आते हैं।
आरोपी राजकुमार शर्मा (लाल घेरे में) आमेर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ चुका है।
वेयर हाउस का चेयरमैन बनाकर राज्यमंत्री दिलाने का झांसा दिया
सीताराम ने बताया कि राजकुमार की दोस्ती दिल्ली के टेक्सटाइल व्यापारी नवीन गोयल से है। नवीन गोयल का केंद्र सरकार के कई बड़े नेताओं और मंत्रियों के साथ उठना बैठना है। राजकुमार ने मुझे बताया कि वो मुझे केंद्र के वेयरहाउस बोर्ड का चेयरमैन बनवा सकता है। यह पद राज्यमंत्री के दर्जे का है। पैसों का बंदोबस्त करना होगा बाकी राज्यमंत्री का पद वो दिलवा देगा।
राज्यमंत्री का दर्जा दिलाने के लिए 5 करोड़ रुपए मांगे
वर्ष 2016 में राजकुमार शर्मा ने राज्यमंत्री का दर्जा दिलाने के लिए मेरी बात दिल्ली के व्यापारी नवीन गोयल से करवाई। बात होने के बाद राजकुमार ने बताया कि राज्यमंत्री के पद के लिए कुल 7 करोड़ रुपए देने पड़ेंगे। इस पर मैंने बताया कि मेरे पास ब्लैक का पैसा नहीं है। मैं कैश नहीं, ऑनलाइन ही दे पाउंगा। इस पर राजकुमार ने बताया कि थोड़ा पैसा कैश देना होगा और बाकी नवीन गोयल के बैंक अकाउंट में देंगे।
…पूर्व केंद्रीय मंत्री पासवान को गुलदस्ता भेंट कराया
केंद्र में राज्यमंत्री का दर्जा दिलाने के लिए 5 करोड़ रुपए देने की बात पर मैंने राजकुमार से पूछा कि वो मंत्री पद कैसे दिलाएगा और यह पद मुझे कौनसे नेता देंगे? इस पर राजकुमार मुझे झांसे में लेने के लिए नवंबर-2015 में अपने साथ दिल्ली ले गया। जहां हम पहले नवीन गोयल से मिले।
नवीन ने बताया कि पूर्व केंद्रीय उपभोक्ता मामलात मंत्री रामविलास पासवान के भाई से उसकी दोस्ती है। वेयरहाउस चेयरमैन का पद भी उनके विभाग के अंतर्गत आता है। इसके बाद नवीन गोयल मुझे केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान (अब दिवंगत) के घर ले गया। जहां उसने मुझसे रामविलास पासवान को गुलदस्ता भेंट करवाया। लेकिन मंत्री पद को लेकर हमारी उनसे कोई बात नहीं हुई।
इस पर जब मैंने नवीन गोयल पूछा कि आपने केवल गुलदस्ता भेंट करवाया हमारी मंत्री पद को लेकर तो बात ही नहीं हुई फिर काम कैसे होगा? इस पर नवीन गोयल ने मुझे झांसा देते हुए कहा कि ऐसी बातें आमने-सामने नहीं होती। मेरी बात उनके भाई से हो रखी है, वो हमारा काम करवा देंगे आप तो सिर्फ पैसों का अरेंजमेंट करो।
केंद्रीय मंत्री से मिलवाने के बाद 1 करोड़ 60 लाख रुपए लिए
राजकुमार ने दिवंगत केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान से मिलवाने के बाद मुझे फोन करके कहा कि अपना काम शुरू करने के लिए अभी तत्काल मुझे 60 लाख रुपए कैश दो। इस पर मैंने राजकुमार को 60 लाख रुपए कैश दिए। कुछ समय बाद उसने मुझे एक करोड़ 60 लाख रुपए नवीन गोयल के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करने के लिए कहा। इस पर मैंने उनके बैंक अकाउंट में 5 अप्रेल 2016 को 1 करोड़ 20 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए।
पैसों के बदले सीताराम को केंद्र में राज्यमंत्री का दर्जा देने वाला यह फर्जी लेटरहेड थमा दिया गया था।
मंत्री बनाने का लेटरहेड भेजा, मीडिया में पब्लिश हुआ तो पता लगा फर्जी है
सीताराम ने बताया कि मैं राजकुमार और नवीन गोयल को 2 करोड़ 20 लाख रुपए दे चुका था। जब मैंने सवाल पूछा कि एडवांस दे चुका हूं लेकिन मंत्री बनाने का काम अभी तक नहीं हुआ है। इस पर राजकुमार ने मुझे वॉट्सऐप पर वेयरहाउस का चेयरमैन बनाने का लेटरहेड भेजा।
फिर बोला अभी आप लेटरहेड लो, कुछ दिन बाद आपको पद ज्वॉइन करवा देंगे। लेटरहेड पर मेरे नाम के साथ पदनाम चेयरमैन, वेयरहाउस बोर्ड लिखा था। इस पर मैंने वो लेटर मीडिया में पब्लिश करने के लिए जारी करवा दिया। मीडिया को जब लेटर मिला तो उन्होंने मुझे बताया कि यह लेटर फर्जी है। इसमें अधिकारियों के साइन भी फर्जी कर रखे हैं।
दूसरी बार सौंपे गए लेटर हेड की कॉपी जो सीताराम को 5 करोड़ के बदले थमाया गया।
मंत्री बनाने का दूसरा फर्जी लेटर देकर 2.5 करोड़ और ठगे
लेटरहेड नकली निकलने पर मैंने राजकुमार को फोन लगाया। उसने बताया कि वो लेटर आगे विभाग में पास नहीं हो पाया था, क्योंकि पूरे पैसे नहीं दिए थे। उसने फिर से मुझे झांसा देते हुए कहा कि ढाई करोड़ रुपए अभी नवीन गोयल के खाते में आरटीजीएस करवाओ ताकि वो तत्काल असली लेटर विभाग से जारी करवाए।
मैंने राजकुमार की बातों में आकर नवीन गोयल के बैंक अकाउंट में ढाई करोड़ रुपए आरटीजीएस करवा दिए। इसके बाद राजकुमार ने मुझे दूसरा वेयरहाउस चेयरमैन बनाने का लेटर भेजा। मैंने फिर से लेटर के असली है या नकली पता लगाने के लिए मीडिया में दिया तो वो भी फर्जी निकला।
धोखाधड़ी की खबर से पिता की सदमे से मौत
मेरे पिताजी के तीसरे की बैठक के बाद राजकुमार और उसका भतीजा मेरे घर आए। उन्होंने फिर मुझे झांसे में लेते हुए बताया कि दोनों लेटर अधिकारियों की गलती के कारण जल्दबाजी में निकाले गए थे। राजकुमार ने एक बार फिर मुझे झांसे में लेते हुए कहा 2 करोड़ रुपए और दे दो मैं मंत्री पद दिलवा दूंगा।
इस बार मैं राजकुमार के झांसे में फिर से आता, लेकिन उससे पहले ही तत्कालीन केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के खाद्य विभाग की ओर से मेरे खिलाफ दिल्ली में एफआईआर करवा दी। इससे मैं फिर से ठगने से बच गया। राजकुमार और नवीन गोयल ने अप्रैल से नवम्बर 2016 तक किस्तों में कुल मुझसे मंत्री बनाने के नाम पर 5 करोड़ रुपए ठग लिए थे।
दिल्ली में हुई एफआईआर पर पुलिस मुझे 15 नवंबर 2016 को गिरफ्तार करके दिल्ली ले गई। वहां से मुझे तिहाड़ जेल भिजवा दिया। कोर्ट में जब मैंने बताया कि मेरे साथ धोखाधड़ी हुई है तो मुझे 22 नवंबर को राहत मिली और मैं जेल से बाहर आया। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने नवीन गोयल को गिरफ्तार किया।
आरोपी नवीन गोयल के खाते में ट्रांसफर हुए पैसों का स्टेटमेंट।
आरोपियों का रुतबा ऐसा कि केस में एफआर लगवा दी
दिल्ली से लौटते ही मैंने जयपुर के मानसरोवर थाने में 6 दिसंबर 2016 को आरोपी राजकुमार बागड़ा, उसके भतीजे मनोज बागड़ा और दिल्ली निवासी नवीन गोयल के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज करवाया।
आरोपियों ने अपने रुतबे से फिर केस में 2017 में एफआर लगवा दी। इसके बाद मैंने कोर्ट में धोखाधड़ी से संबंधित सारी रिकॉर्डिंग और सबूत दिए तो अप्रैल 2023 में केस फिर रिओपन हुआ। अब मामले की जांच मानसरोवर थानाधिकारी राजेंद्र गोदारा को सौंपी गई।
पीड़ित के मुताबिक मामले में 6 दिसंबर 2016 को एफआईआर दर्ज करवाई थी, जिस पर पुलिस ने मई 2017 में एफआर लगा दी थी।
पुलिस दिल्ली के व्यापारी को पकड़ लाई, मुख्य दो आरोपी अब भी फरार
मानसरोवार थानाधिकारी राजेंद्र गोदारा ने केस की जांच करते हुए ठगी के आरोपी दिल्ली के व्यापारी नवीन गोयल को 9 मई 2024 को गिरफ्तार कर लिया। उसे जयपुर की कोर्ट में पेश कर तीन दिन के रिमांड पर लिया। उधर दिल्ली के व्यापारी के गिरफ्तार होने की भनक लगते ही मुख्य आरोपी राजकुमार बागड़ा और उसका भतीजा मनोज बागड़ा फरार हो गए। पुलिस अब दोनों आरोपियों की तलाश कर रही है।
आठ साल बाद भी मुख्य आरोपियों को नहीं पकड़ पाई पुलिस
सीताराम ने आरोप लगाया कि दिल्ली के व्यापारी नवीन गोयल और राजकुमार शर्मा को बचाने के लिए एफआर लगाई गई। आखिर में कोर्ट के निर्देश पर केस खुला तब जाकर पहली गिरफ्तारी हुई। लेकिन ने अब भी मुख्य आरोपी राजकुमार शर्मा और उसका भतीजा मनोज फरार है।
हवालात की बजाए थाने के रीडर रूम में बैठा आरोपी नवीन गोयल
आरोपी को AC की हवा खिला रही पुलिस
सीताराम ने आरोप लगाया कि पुलिस आरोपी को हवालात में रखने की बजाए थाने में एसी की हवा खिला रही है। आरोपी का रूतबा ऐसा है कि पुलिस भी उसकी तीमारदारी कर रही है। आरोपी नवीन गोयल को दिन के समय रीडर के एसी रूम में बिठाकर रखती। जहां आरोपी दिनभर आराम फरमाता रहा। रिमांड अवधि पूरी होने पर 12 मई को आरोपी को कोर्ट में पेश कर जेल भिजवा दिया।
जांच अधिकारी राजेंद्र गोदारा से सवाल-जवाब
सवाल : आठ साल बाद मामले में कार्रवाई हुई है, मामले में कौन-कौन आरोपी हैं?
जवाब : इस केस में पहले एफआर ही लग गई थी, इतने सालों तक कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। मैंने तो मामले की निष्पक्ष जांच कर केस में कार्रवाई भी की है।
दिल्ली के व्यापारी नवीन गोयल को गिरफ्तार किया है। अन्य आरोपी सुभाष शर्मा की भी केस में भूमिका हमारी जांच के बाद सामने आई है। राजकुमार शर्मा की भूमिका की हम जांच कर रहे हैं।
सवाल : पीड़ित ने आरोप लगाया है कि उसके पास पैसे देते हुए गवाह भी हैं, राजकुमार शर्मा को पुलिस बचा रही है?
जवाब : अगर पैसे देते हुए गवाह हैं, तो हम उनके बयान करवाएंगे। राजकुमार और पीड़ित के बीच बातचीत के ऑडियो रिकॉर्डिंग की भी जांच होगी।
सवाल : अब केस में आगे किसके खिलाफ कार्रवाई होगी?
जवाब : नवीन गोयल ने 25 लाख रुपए सुभाष शर्मा को दिए थे। यह रुपए सुभाष शर्मा की पत्नी के अकाउंट में ट्रांसफर किए थे। हमने पूछताछ के लिए सुभाष शर्मा को नोटिस भेजा है, उसकी कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका भी खारिज हो रखी है।
पीड़ित ने राजकुमार शर्मा के खिलाफ ठगने का आरोप लगाया है। उसकी भूमिका की जांच कर रहे हैं। उसकी ऑडियो रिकॉर्डिंग की एफएसएल जांच भी करवाएंगे और बाद में आगे की कार्रवाई करेंगे।
सवाल : आरोपी नवीन गोयल को हवालात की बजाय रीडर के कमरे में क्यों रखा गया?
जवाब : नवीन गोयल बीमार था। उसकी बार-बार तबीयत बिगड़ रही थी तो उसके रीडर के कमरे में बिठाया गया था। इसके अलावा उसे कोई सुविधा नहीं दी गई।
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