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वृद्धाश्रम में रह रहे बुजुर्गों की कहानी
– फोटो : अमर उजाला
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अपनों के सताए, बच्चों के दुर्व्यवहार के कारण घर से निकाले गए सैंकड़ों बुजुर्ग वृद्धाश्रम में रहकर गैरों के बीच में अपनी खुशी ढूंढते हैं। सुबह-शाम बुजर्गों की आंखों में झड़ते आंसू अपनों के दिए कष्ट को याद दिलाते हैं। आश्रमों में रहने वाले हर बुजुर्ग की अंतिम इच्छा है कि उनके आखिरी समय में अब भी अपनों के प्यार से दो मीठे बोल सुनने को मिल जाएं। यह उनके लिए वह बोल अमृत के समान होंगे।
15 जून को पूरे विश्व में विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरुकता दिवस मनाया जाता है। लोगों को जागरूक किया जाता है कि बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार न किया जाए। लेकिन आश्रम में बुजुर्गों की बढ़ती संख्या के इस बात का सबूत है कि अपने ही बुजुर्ग माता-पिता के साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं। शहर में कई वृद्ध आश्रम खुल चुके हैं। शहर के समाजसेवी बुजुर्गों की सेवा करने के लिए तत्पर दिख रहे हैं, तो वहीं उनके खुद के बच्चे उनको रखने तक को भी राजी नहीं। सिकंदरा स्थित रामलाल वृद्ध आश्रम के अध्यक्ष शिवप्रसाद शर्मा बताते हैं कि उनके सबसे पुराने आवास विकास सेक्टर 10 वृद्धाश्रम में 30 बुजुर्ग, सिकंदरा वाले में 356 व नोएडा के आश्रम में 50 बुजुर्ग रह रहे हैं। अब तो हर दिन आश्रम में 1 या 2 बुजुर्ग रहने के लिए पहुंच रहे हैं।
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