[ad_1]
नई दिल्ली19 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
रिलायंस जियो सैटेलाइट के जरिए इंटरनेट सर्विस देने वाली भारत की पहली टेलीकॉम कंपनी बन सकती है। इसके लिए कंपनी को गीगाबिट फाइबर इंटरनेट देने की मंजूरी मिल गई है। सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज के जियो प्लेटफॉर्म ने यूरोप के लक्जमबर्ग की कंपनी SES के साथ पार्टनरशिप की थी। इस जॉइंट वेंचर का नाम ‘ऑर्बिट कनेक्ट इंडिया’ रखा गया है।
न्यूज एजेंसी रॉयर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जॉइंट वेंचर को भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रोत्साहन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) ने भारतीय वायुक्षेत्र में सैटेलाइट ऑपरेट करने की अनुमति दे दी है। रिपोर्ट के मुताबिक ऑर्बिट कनेक्ट इंडिया को अप्रैल और जून में ही तीन तरह की मंजूरी दे दी गई थी, लेकिन ऑपरेशन शुरू करने के लिए देश के दूरसंचार विभाग से आगे की मंजूरी की जरूरत होगी।
इनमारसैट को भी सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस के लिए मंजूरी मिली
ऑर्बिट कनेक्ट इंडिया को भारतीय स्पेस अथॉरिटी से ये मंजूरियां ऐसे समय पर मिली हैं, जब अमेजन डॉट कॉम से लेकर इलॉन मस्क की स्टारलिंक जैसी कंपनियां भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस शुरू करने की अनुमति के लिए होड़ में लगी हुई हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, IN-SPACe के चेयरमैन पवन गोयनका ने बताया कि हाई-स्पीड सैटेलाइट-बेस्ड इंटरनेट सर्विस देने के लिए एक अन्य कंपनी इनमारसैट को भारत में सैटेलाइट ऑपरेट करने की मंजूरी मिल गई है। वहीं, इलॉन मस्क की स्टारलिंक और अमेजन की कुइपर ने भी मंजूरी के लिए आवेदन किया है।
सर्विसेज के लिए IN-SPACe से भी अप्रूवल की जरूरत
सैटकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स को ऑटोनॉमस स्पेस रेगुलेटर इंडियन स्पेस रेगुलेटर इंडियन (IN-SPACe) से भी अप्रूवल की आवश्यकता होती है। इसके बाद कंपनियों को DoT के स्पेक्ट्रम एलॉकेशन का इंतजार करना होगा।
सरकार देश में सैटेलाइट सर्विसेज के लिए स्पेक्ट्रम या रेडियो फ्रीक्वेंसी एलोकेट करने के तरीके पर भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) की सिफारिशों का इंतजार कर रही है। हालांकि, जब तक TRAI को नया चेयरमैन नहीं मिल जाता, तब तक सिफारिशें मिलने की संभावना नहीं है।
दूर-दराज के इलाकों में भी तेज इंटरनेट देता है स्टारलिंक
स्टारलिंक का काम दूर-दराज के इलाकों को सैटेलाइट के जरिए तेज इंटरनेट से जोड़ना है। इसमें कंपनी एक किट उपलब्ध करवाती है जिसमें राउटर, पावर सप्लाई, केबल और माउंटिंग ट्राइपॉड दिया जाता है। हाई-स्पीड इंटरनेट के लिए डिश को खुले आसमान के नीचे रखा जाता है। iOS और एंड्रॉइड पर स्टारलिंक का ऐप मौजूद है, जो सेटअप से लेकर मॉनिटरिंग करता है।
[ad_2]
Source link