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राजस्थान में भाजपा की सरकार बनने के बाद पूर्व कांग्रेस सरकार के फैसलों की समीक्षा की जा रही है। जिसमें सबसे ज्यादा चर्चा जयपुर, जोधपुर और कोटा नगर निगम को फिर से एक करने की है।
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तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इन तीनों शहरों के निगम को 2-2 टुकड़ों में बांट दिया था। ऐसे में अटकलें लगाई जा रही हैं कि नगर निकाय चुनाव से पहले सरकार इन तीनों शहरों में बने 6 नगर निगम को मर्ज कर 3 में बदल सकती है।
अटकलों के बीच कई सवाल भी हैं…
- सरकार कब तक नगर निगमों को मर्ज कर सकती है?
- इसका आम जनता पर क्या असर पड़ेगा?
- क्या इससे चुनाव की प्रक्रिया आगे खिसक जाएगी?
ऐसे तमाम सवालों के जवाब जानने के लिए दैनिक भास्कर ने डीएलबी के पूर्व लॉ डायरेक्टर अशोक सिंह से बात की।
पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
कोटा दक्षिण में कांग्रेस ने निर्दलीयों की मदद से मेयर पद हासिल किया था। लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के कुछ पार्षद और मेयर राजीव अग्रवाल ने बीजेपी का दामन थाम लिया है। हालांकि, राजीव अग्रवाल आज भी मेयर पद पर काबिज हैं।
भास्कर : कांग्रेस सरकार ने जयपुर, जोधपुर और कोटा नगर निगम को दो हिस्सों में बांटा था। क्या इन्हें फिर से एक किया जा सकता है?
एक्सपर्ट : तत्कालीन सरकार ने अपनी राजनीतिक सोच के हिसाब से यह फैसला किया था। जहां तक नियमों की बात है, तो म्युनिसिपल एक्ट 2009 के तहत राज्य सरकार किसी नगर निगम के दो टुकड़े करने के साथ ही दो नगर निगम को एक भी कर सकती है। इसके साथ ही निगम क्षेत्र को बढ़ा या घटा भी सकती है। यह शक्तियां सरकार के पास होती हैं। ऐसे में सरकार ऐसा फैसला ले भी सकती है।
भास्कर : नगर निगम फिर से एक होने पर आम जनता पर इसका कितना असर पड़ेगा?
एक्सपर्ट : नगर निगम के एक होने से आम जनता और ज्यादा सहूलियत मिल सकेगी। क्योंकि वर्तमान में जिस तरह से वार्डों का परिसीमन हुआ है।
उसके बाद शहर के कुछ वार्डों में जहां कर्मचारियों की पर्याप्त संख्या है, जबकि अधिकतर वार्डों में कर्मचारियों की कमी स्थानीय जनप्रतिनिधि और जनता की परेशान का कारण बन गई है।
इसके साथ ही परिसीमन के बाद कुछ वार्डों में काफी दूर जोन ऑफिस बन गए हैं। जिसकी वजह से भी आम जनता को परेशान होना पड़ता है।
भास्कर : नगर निगम एक होने से क्या सरकार पर आर्थिक भार बढ़ेगा?
एक्सपर्ट : वर्तमान में एक शहर में दो नगर निगम होने की वजह से आर्थिक भार बढ़ा है। दोनों नगर निगम के लिए दो अलग-अलग ऑफिस बनाए गए हैं। दो निगम कमिश्नर, दो एडिशनल कमिश्नर के साथ ही दूसरा स्टाफ भी अलग-अलग होने से खर्चा बढ़ा है। जो नगर निगम के एक होने से काफी हद तक कम हो सकता है।
भास्कर : क्या भारत या दुनिया में कहीं और इस तरह से एक शहर में दो नगर निगम है?
एक्सपर्ट : मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों के साथ पूरे देश के सभी शहरों में सिर्फ एक नगर निगम ही है।
विदेश में भी कमोबेश इसी तरह की स्थिति है। लंदन से लेकर दुबई और न्यूयॉर्क जैसे शहर में एक ही निगम है।
मुंबई का बीएमसी देश का सबसे बड़ा नगर निगम है, जिसका बजट कई राज्यों से भी ज्यादा है।
भास्कर : नगर निगम को एक करने से चुनाव प्रक्रिया पर इसका क्या असर पड़ेगा? क्या चुनाव निर्धारित वक्त से पहले होंगे या आगे खिसक सकते है?
एक्सपर्ट : नगर निगम के दो टुकड़े करने पर या दो टुकड़ों को एक करने पर चुनाव प्रक्रिया को आगे नहीं खिसकाया जा सकता है। पिछली बार कोरोना की वजह से विशेष परिस्थिति में चुनाव की प्रक्रिया को कुछ वक्त के लिए आगे बढ़ाया गया था।
नगर निगम का कार्यकाल 5 साल का होता है, इसलिए चुनाव निर्धारित वक्त पर ही होंगे। ऐसे में अगर सरकार नगर निगम को एक भी करती है तो भी चुनाव तक तीनों शहरों में दो नगर निगम ही काम करेंगे। नए बोर्ड का गठन होने के बाद ही एक निगम अस्तित्व में आएगा।
भास्कर : जिस तरह जयपुर विकास प्राधिकरण का क्षेत्राधिकार ग्रामीण क्षेत्र में भी है। क्या इस तरह जयपुर नगर निगम के क्षेत्राधिकार का भी विस्तार संभव है?
एक्सपर्ट : समय और परिस्थिति के हिसाब से नगर निगम क्षेत्र का विस्तार होना ही चाहिए। जो शहर की सीमा से जुड़े क्षेत्र हैं, उन्हें शहर में शामिल करना चाहिए।
क्योंकि वह क्षेत्र और वहां रहने वाले लोग आज शहरी सुविधाओं से वंचित है, जबकि वहां बड़ी संख्या में आबादी का विस्तार हो चुका है। ऐसे में निगम क्षेत्र का विस्तार होना भी बेहद जरूरी है।
विस्तार होने से वहां रहने वाले लोगों को ज्यादा सुविधाएं मिलेगी। उस क्षेत्र के विकास के ज्यादा अवसर होंगे। सेक्शन 3 के तहत सरकार इसे लागू भी कर सकती है।
फोटो 2019 का है, जब जयपुर को दो नगर निगम ग्रेटर और हेरिटेज में बांटा गया था।
भास्कर : जयपुर, जोधपुर और कोटा नगर निगम को फिर से एक करने में सरकार को कितना वक्त लगेगा? क्या चुनाव से पहले इसको लेकर कोई अधिसूचना जारी होना अनिवार्य है?
एक्सपर्ट : आम जनता द्वारा चुने गए निर्वाचित जनप्रतिनिधियों और नगर निगम के बोर्ड को भंग करने का सरकारी नियमों के तहत कोई भी प्रावधान नहीं है।
संविधान के अनुसार नगर निगम को संवैधानिक संस्था का दर्जा प्राप्त है। इनके चुनाव निर्धारित अवधि पर कराना अनिवार्य है।
नगर निगम का कार्यकाल पूरा 5 साल का ही होगा। हालांकि इस दौरान सरकार नगर निगम क्षेत्र के बदलाव और निगम में बदलाव को लेकर अधिसूचना जारी कर सकती है। लेकिन उसे धरातल पर लागू नई चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही किया जाएगा।
उदाहरण के तौर पर जयपुर, जोधपुर और कोटा नगर निगम के चुनाव साल 2025 में होना प्रस्तावित है। सरकार चाहे तो इस साल भी अधिसूचना जारी कर नगर निगम क्षेत्र के बदलाव कर सकती है, लेकिन इसका वर्तमान नगर निगम पर कोई असर नहीं होगा।
भास्कर : सरकार नगर निगम को एक क्यों करना चाह रही है?
एक्सपर्ट : दरअसल, राजस्थान में पूर्व कांग्रेस सरकार ने जयपुर, जोधपुर और कोटा नगर निगम को दो टुकड़ों में बांट दिया था। सरकार के इस फैसले का तब भारतीय जनता पार्टी ने विरोध भी किया था।
कांग्रेस सरकार ने अपना फैसला नहीं बदला और जयपुर, जोधपुर और कोटा में अलग-अलग नगर निगम के लिए चुनाव का आयोजन करवाया। जिसका सियासी फायदा तत्कालीन कांग्रेस सरकार को मिला और जयपुर जोधपुर और कोटा में कांग्रेस का खाता खुल गया।
अब राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद फिर से जयपुर, जोधपुर और कोटा नगर निगम को लेकर विरोध शुरू हो गया है।
भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने यूडीएच मंत्री झाबर सिंह से तीनों नगर निगम को फिर से एक करने की मांग की है।
ऐसे में सरकार के स्तर पर अब नगर निगम क्षेत्र के सीमांकन के साथ जयपुर, जोधपुर और कोटा नगर निगम को फिर से एक करने की तैयारी की जा रही है।
जयपुर नगर निगम ग्रेटर मेयर सौम्या गुर्जर का तर्क है कि नगर निगम एक होगा तो सर्वांगीण विकास होगा।
ग्रेटर की मेयर बोलीं- राजनीतिक फायदे के लिए कांग्रेस ने किया था बंटवारा
जयपुर नगर निगम ग्रेटर मेयर सौम्या गुर्जर ने कहा कि पूर्व कांग्रेस सरकार ने खुद के राजनीतिक फायदे के लिए नगर निगम के बंटवारे किए थे। जिसे फिर से एक होना बेहद जरूरी है।
क्योंकि सीमा विवाद जैसे मुद्दों को लेकर आज भी नगर निगम के कर्मचारी आपस में उलझे रहते हैं। जिससे शहर का विकास नहीं हो पा रहा है।
गुर्जर ने कहा कि देश में दिल्ली नगर निगम के टुकड़े हुए थे। लेकिन आज वहां पर भी अब नगर निगम को फिर से एक कर दिया गया है।
मैं राजस्थान सरकार से यह मांग करती हूं कि जयपुर, जोधपुर और कोटा नगर निगम को भी एक किया जाए। ताकि इन तीनों शहरों की जनता को सर्वांगीण विकास सही समय पर सुगम तरीके से मिल सके।
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