अजित सिंह
सोनभद्र। सूबे को सर्वाधिक राजस्व देने वाले सोनभद्र जिले के ओबरा नगर पंचायत में आधा दर्जन से ज्यादा सभासदों ने भ्रष्टाचार, घोटाले इत्यादि को लेकर मोर्चा खोल दिया है। सोमवार को विरोध में एकजुट होकर सभासदों ने अधिशासी अधिकारी कार्यालय के अंदर धरने पर बैठ गए। आरोप लगाया कि नगर पंचायत अध्यक्ष नगर के विकास के बजाए ग्राम पंचायत के विकास मद में खर्च कर रहे हैं। जबकि नगर पंचायत में विकास कार्य के नाम पर मनमानी और दोयम दर्जे को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस दौरान लामबंद हुए सभासदों ने ईओ कार्यालय में धरने पर बैठ अपनी बातों को अधिशासी अधिकारी के समक्ष रखा, लेकिन अधिशासी अधिकारी की तरफ से ठोस आश्वासन न मिलने की वजह से सभासदों का धरना-प्रदर्शन फिलहाल जारी है। विभिन्न मांगों मुद्दों को लेकर धरने पर बैठे सभासदों ने ओबरा नगर पंचायत अध्यक्षा चांदनी देवी और उनके प्रतिनिधि श्रवण पासवान के खिलाफ मुखर होकर अपनी आवाज बुलंद किया। आरोप लगाया कि नगर पंचायत अध्यक्षा सिर्फ उसी वार्ड में काम करा रही हैं जहां सपा समर्थित सभासद हैं। सभासदों का आरोप है कि सूबे में बीजेपी की सरकार होने पर एक बड़ा बजट नगर पंचायत ओबरा को मिलता है, लेकिन सपा समर्थित नगर अध्यक्षा होने की वजह से उस बजट का दुरुपयोग किया जा रहा है। इतना ही नहीं कमिशन के चक्कर में नगर पंचायत क्षेत्र में स्ट्रीट लाइट न लगाकर नगर से लगे विल्ली मारकुंडी गांव स्थित रोड पर स्ट्रीट लाइट की सौगात दी जा रही है। जो पूरी तरह से गलत है। बिजली पानी, प्रकाश इत्यादि के मद में आने वाला धन नगर पंचायत क्षेत्र में खर्च होना चाहिए लेकिन ऐसा न कर नगर पंचायत अध्यक्ष विकास के नाम पर
नगर के तमाम वार्डों को छोड़कर सपा समर्थित सभासदों के वार्ड में काम तो करा ही रहें हैं, नगर से लगने वाले बिल्ली मारकुंडी गांव में नगर पंचायत के धन को खर्च कर रहे हैं ।आरोप लगाया है कि कुछ सभासदों को बुलाकर बैठक कर ली जाती है, बोर्ड की बैठक तक बुलाने की जहमत तक नहीं उठाई जा रही है। बिना बोर्ड के बैठक के करोड़ों का बजट पास हो जा रहा है। यहां तक की आचार संहिता में भी बजट पास होने की बात सभासदों की तरफ से कहीं जारी है। आरोप है कि नगर पंचायत के बजट से ही ग्रामीण क्षेत्रों में अंधेरे को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। जबकि नगर पंचायत क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कई इलाकों में आज भी जनता अंधेरे में रहने को मजबूर है। जिसकी ओर नज़र ही नहीं जा रही है। आक्रोशित सभासदों ने कहा कि आचार संहिता को दरकिनार कर बोर्ड बैठक करना और बजट का दुरुपयोग करना यह कतई बर्दाश्त नहीं होगा। चुनाव आयोग को भी इस मामले पर संज्ञान लेना चाहिए। देखा जाए तो कुल मिलाकर नगर पंचायत अध्यक्षा के खिलाफ सरकार विरोधी रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए सभासद आर-पार के मूड़ में आ गए हैं। वहीं नगर पंचायत ओबरा के अधिशासी अधिकारी मधुसूदन जायसवाल ने कहा कि विकास कार्यों में भ्रष्टाचार को लेकर सभासद धरने पर बैठे हुए हैं। उन्होंने धरनारत सभासदों के सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि अगर आरोप लग रहा तो जांच होनी चाहिए जब भी जांच होगी जिला स्तर से ही होगी। वहीं नगर क्षेत्र में तमाम विकास कार्यों को अधूरा छोड़े जाने पर अधिशासी अधिकारी ने कहा कि किसी वजह से काम रुका हुआ है जिसका रोड मैप तैयार करके उस काम को जल्द ही पूरा कराया जाएगा।
क्या कहते हैं सभासद —
ओबरा नगर पंचायत के सभासद राकेश मिश्रा ने कहा कि विकास के काम, विकास के नाम पर खाली लूट मची हुई है। वार्डों में काम को अधूरा छोड़ दिया गया है। नगर अध्यक्षा द्वारा मनमानी और मन मुताबिक काम कराया जा रहा है। समस्याओं को सुनने के लिए उनके पास समय नहीं है जब वह चाहेंगी तभी आप उनसे मिल सकते हैं 13 जून 2023 के बाद से 12 फरवरी 2024 तक 35 से 40 करोड़ का भुगतान हुआ। सभासदों को पता तक नहीं कि किस-किस फर्म को कितना फण्ड जारी हुआ है। इतना ही नहीं कई कामों का दोबारा भुगतान हुआ है। जिस वार्ड में नाला नहीं है उस वार्ड में भी नाले की सफाई के नाम पर भुगतान करने का आरोप लगाया जिसकी जांच कराएं जाने की मांग की गई है। आरोप लगाया कि आउटसोर्सिंग कार्यों में जमकर धांधली देखने को मिल रही है। सभासदों ने ऐसे कार्यो की जांच की मांग की है।
सभासदों ने कहा कि अधूरे नाली की वजह से आए दिन दुर्घटना होती है। बन रहे नाले में कई रहवासियों के गिरने की घटना घटित हो चुकी है। पशु भी गिरकर चोटिल हो जा रहे है। जिसपर ध्यान दिलाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है।
सभासद प्रतिनिधि विपुल शुक्ला ने बताया कि जब से लोकसभा चुनाव को देखते हुए आचार संहिता लगा था तब से नगर में कार्य हो रहे थे। नगर के बाहर भी ग्राम पंचायत में नगर पंचायत के फंड से विकास कार्य हो रहे थे। ग्राम पंचायत में करीब 50 लाइट लग चुकी है जबकि नगर पंचायत क्षेत्र के कई इलाके में अभी तक अंधेरा छाया हुआ है। शिकायत करने पर काम रोकने की बजाय दुगुनी गति से काम को अंजाम दिया जा रहा है। ओबरा की नगर पंचायत अध्यक्षा समाजवादी पार्टी से जुड़ी हुई हैं और ग्राम पंचायत प्रधान भी समाजवादी पार्टी से जुड़े हुए हैं। सरकार की छवि को अध्यक्ष और अधिशासी अधिकारी द्वारा मिलकर धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है। बताया कि आचार संहिता लागू होने से पहले बोर्ड की बैठक हुई थी। 31 मार्च को वित्तीय वर्ष खत्म होता है। खत्म होने के बाद अकाउंट जीरो हो जाता है। जब वित्तीय वर्ष शुरू हुआ तो 2 करोड़ से ज्यादा का पेमेंट कर दिया गया। इसकी जांच होनी चाहिए।
सभासदों का खुले शब्दों में आरोप रहा है कि ग्राम पंचायत अध्यक्ष समाजवादी पार्टी के हैं वह उनके पति व प्रतिनिधि भी समाजवादी पार्टी में पदाधिकारी हैं। ऐसे में दोनों की खूब जुगलबंदी होने के साथ ही अगले वर्ष चुनाव होना है इसलिए नगर के पैसे का दुरुपयोग करते हुए ग्राम पंचायत में खर्च किया जा रहा है। जो पूरी तरह से गलत और विधि विरुद्ध होना बताया जा रहा है।