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बच्चे को चोट लगने पर आप हल्दी का दूध पिलाते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि बाजार से लाई गई ब्रांडेड कंपनी की ये हल्दी कितनी खतरनाक है।
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सिर्फ हल्दी ही नहीं, ब्रांडेंड कंपनियों के सब्जी, चना, पावभाजी मसाले भी कैंसर जैसी बीमारी के कारण बन सकते हैं। आपकी रसोई तक जो ब्रांडेड कंपनियों के मसाले पहुंच रहे हैं, उनमें कीड़े मारने वाले केमिकल का इस्तेमाल हो रहा है। ये केमिकल तमाम गंभीर बीमारियों के कारण बनते हैं।
इस तरह के मसाले का लगातार उपयोग गर्भवती महिलाओं के मिसकैरेज (गर्भपात) की वजह बन सकता है। फेफड़े और लीवर डैमेज कर सकता है। यहां तक कि पुरुषों को नामर्द बना सकता है।
स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेशभर में अभियान चलाकर सभी जिलों से ब्रांडेंड कंपनियों के मसालों के सैंपल लिए थे। जांच में कई ब्रांडेड मसालों में पेस्टिसाइड और एथिलीन ऑक्साइड जैसे केमिकल मिले हैं।
कैसे हुआ मसालों में कीटनाशक का खुलासा?
स्वास्थ्य विभाग ने 8 मई को प्रदेश के सभी जिलों में विशेष अभियान चलाकर एमडीएच, एवरेस्ट, श्याम, गजानंद, सीबा जैसी नामी कंपनियों के मसालों के 93 सैंपल जुटाए थे। राज्य की सेंट्रल लैब से जब जांच रिपोर्ट आई, तो उसमें कई तरह के घरेलू उपयोग वाले मसालों में तय मात्रा से अधिक खतरनाक केमिकल मिलाए जाने की पुष्टि हुई।
कौन-कौन से मसालों में मिला कौन सा खतरनाक केमिकल?
जांच में एमडीएच कंपनी के गरम मसाले में एसिटामिप्रिड, थियामेथोक्साम, इमिडाक्लोप्रिड मिले हैं। एमडीएच के सब्जी और चना मसाला में ट्राईसाइलाजोन, प्रोफिनोफोस मिले हैं। सीबा ताजा कंपनी के रायता मसाला में थियामेथोक्साम और एसिटामिप्रिड, गजानंद कंपनी के अचार मसाला में इथियोन। एवरेस्ट कंपनी के जीरा मसाला में एजोक्सीस्ट्रोबिन, थियामेथोक्साम पेस्टीसाइड/इंसेक्टिसाइड निर्धारित मात्रा से काफी अधिक पाए गए। जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हैं।
भास्कर ने एक्सपट्र्स से बात कर इन केमिकल्स के खतरे जाने और बचने के उपाय भी पूछे। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
गांठ और स्तन कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा
डॉ. विशाल गुप्ता ने बताया कि मसालों में मिले केमिकल मानव शरीर के लिए सबसे घातक हैं। जिन केमिकल से कीड़े मर जाते हैं, वो हमारे शरीर को भी बहुत नुकसान पहुंचाते हैं। पेस्टिसाइड से हमारे शरीर में कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है।
इनमें सबसे खतरनाक है एथिलीन ऑक्साइड। एथिलीन ऑक्साइड की मात्रा ज्यादा होने पर लिंफोमा और ल्यूकेमिया कैंसर होता है। लिंफोमा कैंसर में शरीर में गांठ बनने लग जाती है। वहीं ल्यूकेमिया, खून में होने वाला कैंसर है।
महिलाओं को गर्भपात का खतरा
डॉ. विशाल गुप्ता कहते हैं- तय मात्रा से ज्यादा पेस्टिसाइड से महिलाओं में गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। एथिलीन ऑक्साइड गैस से जानवरों के प्रजनन से जुड़े प्रभाव देखे गए हैं। अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (EPA) की रिसर्च के अनुसार, प्रेग्नेंट महिलाओं को सबसे ज्यादा खतरा तो है ही, पुरुषों में भी नामर्दी के लक्षण आ सकते हैं।
फेफड़े, लीवर और आंत डैमेज हो सकते हैं
लीवर हमारे शरीर के अंदर विषैले तत्वों को बाहर निकालने का काम करता है। तय मात्रा से अधिक पेस्टिसाइड वाले मसाले बार-बार खाने से लीवर ही काम करना बंद कर देता है। इससे पीलिया (हेपेटाइटिस), त्वचा में पीलापन जैसी समस्याएं आने लगती हैं। हमारी आंत के अंदर सूक्ष्मजीव होते हैं, जो जहरीले और विषैले तत्वों को डिटॉक्सीफाई करने में मदद करते हैं। मसालों में पाए गए केमिकल से आंत भी डैमेज होती हैं।
फेफड़ों में गंभीर समस्याएं
पेस्टीसाइड्स के सेवन से लंग्स (फेफड़े) डिस्फंक्शन की समस्या का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। इसकी वजह से क्रोनिक कफ और खांसी की समस्या हो सकती है। शरीर में पेस्टीसाइड्स की मौजूदगी के कारण फेफड़ों से जलन पैदा होती है और सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।
मसालों में क्यों डालते हैं खतरनाक एथिलीन ऑक्साइड?
एथिलीन ऑक्साइड सबसे खतरनाक पेस्टिसाइड होता है। फिर भी इसका इस्तेमाल तय मात्रा में कई तरह की इंडस्ट्री में होता है। इस केमिकल से अस्पतालों में सर्जिकल इक्विपमेंट साफ किए जाते हैं।
कंपनियां मसालों को फंगस (फफूंद), बैक्टीरिया से बचाने के लिए इसमें एथिलीन ऑक्साइड का उपयोग करती हैं। बैक्टीरिया या फंगस लगने से मसाले जल्दी खराब हो जाते हैं। इस केमिकल को एक तय मात्रा में ही उपयोग किया जा सकता है। कई कंपनी मनमाने ढंग से इसकी मात्रा बढ़ा देती हैं। जब हम बार-बार उन मसालों का सेवन करते हैं तो जाने-अनजाने में बीमारियों के शिकार हो जाते हैं।
सीनियर डाइटीशियन डॉ. अनु कहती हैं- इन मसालों को खाना कितना खतरनाक हो सकता है, इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि जो फैक्ट्री वर्कर्स एथिलिन ऑक्साइड के संपर्क में आते हैं, उन्हें बेहद सख्त गाइडलाइंस का पालन करना पड़ता है।
मसाला फैक्ट्री में जब कोई वर्कर इस केमिकल का इस्तेमाल करता है तो वह अधिकतम 10 मिनट से ज्यादा समय तक वहां नहीं रुक सकता। इस दौरान वर्कर को सिर से पांव तक खुद को कवर करना होता है और सांस लेने के लिए बेहतर क्वालिटी के मास्क लगाने होते हैं।
अब सोचिए कि अगर आप पेस्टीसाइड मिले इस मसाले को खाने में रोजाना इस्तेमाल कर रहे हैं तो यह आपको कितना नुकसान पहुंचा सकता है।
ड्राइफ्रूट्स से लेकर आइसक्रीम में इस्तेमाल
डॉ. विजय कपूर ने बताया कि केवल मसालों में ही नहीं, आजकल आइसक्रीम, ड्राइफ्रूट्स, मिल्क पाउडर, बेबी फूड से लेकर कई तरह के खाद्य पदार्थों में भी एथिलीन ऑक्साइड का इस्तेमाल हो रहा है। इस पेस्टिसाइड से सबसे बड़ा खतरा थाइराइड, ब्रेस्ट कैंसर, ब्लड कैंसर का है। इसके अलावा पुरुष और महिलाओं की प्रजनन क्रिया में भी साइड इफेक्ट हो सकते हैं। मतलब कि पुरुषों में इनफर्टिलिटी हो सकती है, स्पर्म काउंट कम होने लगता है। वहीं महिलाओं के प्रेगेंसी में दिक्कत आ सकती है।
बच्चे भी खतरनाक बीमारियों के होते हैं शिकार
बच्चे अगर लंबे समय तक पेस्टिसाइड वाले इन मसालों का सेवन करते हैं तो दो तरह के डिसऑर्डर हो सकते हैं। पहला ADHD (अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर)। इस बीमारी से बच्चों के मस्तिष्क के विकास और मस्तिष्क की गतिविधि में अंतर आने लगता है। बच्चों की स्थिर बैठने की क्षमता और आत्म-नियंत्रण कमजोर पड़ जाती है।
दूसरा ऑटिज्म डिसऑर्डर। आपने तारे जमीन मूवी देखी होगी, जिसमें एक बच्चा पढ़ने में इतना अच्छा नहीं था लेकिन वो पेंटिंग अच्छी बनाता था। ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों को संवाद करने में परेशानी होती है। उन्हें यह समझने में परेशानी होती है कि दूसरे लोग क्या सोचते और महसूस करते हैं। इससे उन्हें शब्दों या हाव-भाव, चेहरे के भाव और स्पर्श के ज़रिए खुद को अभिव्यक्त करने में कठिनाई होती है।
ऐसे पता लगाएं मसालों में मिलावट है या नहीं
- काली मिर्च : काली मिर्च में मिलावट के लिए पपीते के बीजों को मिलाया जाता है। इससे काली मिर्च का टेस्ट तो बिगड़ता ही है साथ ही ये बीज सेहत के लिए भी अच्छे नहीं होंगे। काली मिर्च की मिलावट को परखने के लिए एक गिलास में पानी भरें और उसमें एक चम्मच काली मिर्च डालें। असली काली मिर्च नीचे दब जाएगी और नकली ऊपर ही तैरेगी।
- लाल मिर्च पाउडर : लाल मिर्च में ज्यादातर चॉक, केमिकल डाई या फिर ईंट का पाउडर मिलाया जाता है। इसे टेस्ट करने के लिए एक गिलास पानी में एक चम्मच लाल मिर्च डालें और देखें कि लाल मिर्च पानी में घुल रही है या नहीं। अगर लाल मिर्च नकली होगी तो उसका रंग बदल जाएगा।
- हल्दी : हल्दी को टेस्ट करने के लिए एक गिलास गर्म पानी लेकर उसमें एक चम्मच हल्दी का पाउडर मिला लें। अब देखें कि पानी में घुलने के बाद हल्का पीला रंग दिखता है और वह नीचे जमने लगती है तो हल्दी असली होगी। अगर हल्दी का रंग गाढ़ा पीला दिखता है तो हल्दी नकली होगी।
- जीरा : एक चम्मच जीरा लेकर अपनी उंगलियों के बीच रगड़कर जांच सकते हैं। अगर आप मिलावटी जीरा रगड़ रहे हैं तो आपकी उंगलियां काली पड़ जाएंगी और शुद्ध जीरा आपके हाथों को काला नहीं करता।
- लौंग : लौंग को ताजा दिखाने के लिए आमतौर पर हानिकारक तेलों से ढका जाता है। जब आप पानी से भरे गिलास में लौंग डालते हैं, तो ताजा लौंग सीधे नीचे चली जाती है जबकि पॉलिश की हुई लौंग सतह पर तैरने लगती है।
कंपनियां मसालों को फंगस, बैक्टीरिया से बचाने के लिए खतरनाक केमिकल्स का इस्तेमाल करती हैं।
एक्सपर्ट की सलाह- मसाले खाने हैं तो घर पर बनाएं
बाजार से खरीदी गई किसी भी चीज पर भरोसा करना मुश्किल हो रहा है। हर दिन एक नई स्टडी खुलासा करती है कि जिस ब्रांड के फूड आइटम्स, क्रीम या पाउडर पर हम सालों से भरोसा करते चले आ रहे थे। वह हमारी सेहत के लिए नुकसानदायक है। ऐसे में एक्सपर्ट भी सलाह देते हैं कि जरूरत के मसाले घर पर ही तैयार कर लें।
सभी खड़े मसालों को एक बार धूप में सुखा लें। फिर इन्हें धीमी आंच पर भून लें। इससे संभावित बैक्टीरिया या फंगस मर जाएंगे और इनकी शेल्फ लाइफ भी बढ़ जाएगी। फिर इन्हें ठंडा करके मिक्सी में पीस लें और किसी एयर टाइट डिब्बे में पैक करके रख दें। अब आपका गरम मसाला एथिलीन ऑक्साइड के बिना तैयार है और यह इस्तेमाल के लिए बिल्कुल सुरक्षित है।
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