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देश में 18वीं लोकसभा के लिए चुने गए सांसदों में 4 महिला सांसद सबसे कम उम्र की हैं। इन चार में एक नाम है संजना जाटव का।
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संजना जाटव को कांग्रेस ने भरतपुर सीट से चुनावी मैदान में उतारा। उन्होंने भाजपा के रामस्वरूप कोली को करीब 50 हजार वोट से हरा दिया।
संजना के पति कप्तान सिंह कॉन्स्टेबल है। इसके बाद भी पहली बार एमपी का चुनाव लड़ कर संसद तक पहुंचना संजना के लिए आसान नहीं था।
बताया जाता है कि कांग्रेस के ही एक नेता के कमेंट ‘इसे विधायक बनने की जल्दी है’ ने संजना की एंट्री राजनीति में करवाई थी और विधानसभा का पहला चुनाव लड़ा। उनके जानने वाले यह तक कहते हैं कि इससे पहले संजना के परिवार को इतना परेशान किया गया कि उनके घर के बाहर गड्ढे खोद रास्ता तक बंद कर दिया।
पढि़ए कैसे कॉन्स्टेबल की पत्नी बनी सबसे कम उम्र की सांसद…।
संजना जाटव सबसे कम उम्र की सांसद बनीं हैं। संजना का कहना है कि उनकी जीत के पीछे परिवार का काफी स्पोर्ट रहा।
18 साल की उम्र में शादी, ससुर का रहा सपोर्ट
संजना की शादी अलवर जिले के कठूमर में रहने वाले कप्तान से 18 साल की उम्र में ही हो गई थी। संजना की राजनीति में आने की शुरुआत उनके ससुर हरभजन सिंह की वजह से हुई। उनके ससुर कॉन्ट्रैक्टर हैं। बड़े ससुर कमल सिंह सरपंच रह चुके हैं। ऐसे में उनके ससुर का राजनीति से काफी जुड़ाव रहा।
बताया जाता है कि संजना के बड़े ससुर सरपंच थे तो उनके कहने पर संजना को 2021 में अलवर के वार्ड नंबर 29 से टिकट मिला। इस समय संजना के परिवार के पास भी रुपए नहीं थे तो पति और ससुर ने मिलकर रुपए जुटाए और चुनाव में वह जीतीं भी।
एक नेता ने लोगों के सामने संजना और ससुर को बाहर निकाला
पीसीसी सदस्य भूपेंद्र गुर्जर संजना के परिवार के बेहद करीबी माने जाते हैं। उन्होंने एक किस्सा शेयर करते हुए बताया- साल 2021 में संजना जिला परिषद सदस्य बनी थीं। इसके बाद वह अपने ससुर के साथ जयपुर में कांग्रेस के नेताओं से मिलने गई।
इस पर वह एक कांग्रेस नेता के यहां भी पहुंचीं। उस समय वहां 100 से 150 लोग मौजूद थे। गुर्जर ने बताया कि इस दौरान कांग्रेस नेता ने उन्हें ये कहकर वहां से निकाल दिया कि- इसे विधायक बनने की जल्दी है।
संजना के ससुर हरभजन सिंह को कांग्रेस नेता की ये टिप्पणी अपमानजनक लगी । इसके बाद ससुर ने संजना को विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार किया।
घर के बाहर जब गड्ढा खोदा गया तो संजना का पूरा परिवार परेशान हुआ। परिवार का कहना है कि ये राजनीति अदावत के चलते किया गया था।
चुनाव लड़ने से पहले संजना ने एएलबी में लिया एडमिशन
बताया जाता है कि कांग्रेस नेता और संजना के बड़े ससुर के बीच राजनीति अदावत भी रही। इसी काे लेकर कांग्रेस नेता की ओर से संजना के परिवार को परेशान करना शुरू कर दिया।
पीसीसी मेंबर भूपेंद्र गुर्जर ने बताया कि एक बार रात में कांग्रेस नेता के इशारे पर घर के बाहर गड्ढा खोद दिया गया। हालात ये हो गए थे कि घर से निकलना बंद कर दिया।
पति की जयपुर तक विभाग में शिकायत भी की। इधर, संजना को भी लगने लगा कि विधानसभा चुनाव लड़ने से पहले खुद को मजबूत करना होगा।
इसके लिए उन्होंने अपने परिवार के सामने एलएलबी करने की इच्छा जाहिर की। पति कप्तान सिंह ने संजना को एलएलबी मे एडमिशन दिलवाया। 2023 में ही संजना ने एलएलबी पूरी की।
संजना के पति कॉन्स्टेबल है। पढ़ाई से लेकर उनके राजनीतिक सफर में काफी सहयोग किया।
राहुल और प्रियंका गांधी के कैम्पेन को संभाला, प्रियंका गांधी की नजदीकी
इन सभी के बीच राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्रा और प्रियंका गांधी के मैं भी ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ कैम्पेन में काफी एक्टिव होकर काम किया। दोनों कैम्पेन में लोकल स्तर पर संजना ने पूरी जिम्मेदारी संभाली। प्रियंका गांधी के इस कैम्पेन में काफी युवतियाें को जोड़ा। यहीं से वह प्रियंका गांधी की नजरों में आई।
इसके बाद राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में संजना पहुंची तो प्रियंका गांधी से मुलाकात की थी। उनके नजदीकी बताते हैं कि इस मुलाकात के दौरान भंवर जितेंद्र सिंह भी मौजूद थे।
प्रियंका गांधी ने संजना को लेकर भंवर जितेंद्र सिंह से कहा था कि इसे आगे बढ़ाना है। और, तभी से वह कांग्रेस लीडरशिप की नजरों में आईं।
2023 में विधानसभा का टिकट मिला, महज 409 वोट से हारीं
प्रियंका गांधी के कहने के बाद संजना भंवर जितेंद्र सिंह के साथ काम करने लगी। प्रियंका गांधी की करीबी होने का फायदा ये मिला कि संजना को साल 2023 में कठूमर विधानसभा से टिकट देने का फैसला लिया।
इधर, कठूमर समेत आस-पास के लोगों को पता था कि संजना और उनके ससुर को एक नेता ने उनके घर से रवाना कर दिया था। ऐसे में संजना और उनके परिवार के साथ सिम्पैथी भी थी।
प्रियंका गांधी के कहने के बाद भंवर जितेंद्र सिंह भी उनके समर्थन में आ गए और संजना के पक्ष में भरतपुर में एक सभा भी की थी। संजना के सामने बीजेपी के रमेश खींची थे।
संजना का पहला चुनाव था लेकिन वह महज 409 वोट से हारी और कांग्रेस पार्टी में इसकी भी चर्चा होने लगी।
विधानसभा चुनाव में हार के बाद भी संजना क्षेत्र में काफी एक्टिव रही। इसी का नतीजा रहा कि उन्हें दूसरी बार मौका मिला।
हार के बाद भी संजना क्षेत्र में एक्टिव रही, इसी वजह से दूसरा मौका मिला
विधानसभा चुनाव में इतने कम वोट से हार के बाद भी संजना पीछे नहीं हटी। वह लगातार क्षेत्र में कांग्रेस के लिए काम करती रही। दरअसल, अलवर की कठूमर विधानसभा भरतपुर लोकसभा क्षेत्र में आती है।
भरतपुर एससी सीट रही। ऐसे में कांग्रेस के आलाकमान को भी लगने लगा कि संजना भरतपुर लोकसभा सीट निकाल सकती है। इस बार भी भंवर जितेंद्र सिंह को इसकी कमान सौंपी गई और संजना को चुनावी मैदान में उतारा।
इधर, संजना के नाम पर मुहर लगने के बाद पूर्व कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने भी अपना समर्थन दिया और एक सभा की। बताया जाता है कि इस सभा में विश्वेंद्र सिंह ने संजना जाटव को अपनी बेटी बताया और वोट की अपील की थी।
इसके बाद एक ये चर्चा होने लगी कि अगर पूर्व राजपरिवार के सदस्य विश्वेंद्र सिंह ने संजना को अपनी बेटी माना है तो वह भी हमारी बहन और बेटी हुई। ऐसे में जाट समाज का भी संजना को समर्थन मिला।
नतीजा ये रहा कि संजना ने सीएम के गृह जिले में ही बीजेपी को 50 हजार वोटों से हरा दिया। संजना को नदबई और भरतपुर विधानसभा छोड़कर सभी विधानसभा में बीजेपी से लीड बनाई।
संजना जाटव ने बताया कि उनके पास चुनाव लड़ने के लिए रुपए नहीं थे। ऐसे में पति ने सारी जमा पूंजी इन चुनाव पर लगा दी।
चुनाव लड़ने के लिए पैसे नहीं थे, पति और ससुर ने जैसे-तैसे जुटाए
संजना जाटव ने बताया कि ग्रेजुएशन करते ही उनकी शादी हो गई थी। पीहर भरतपुर के भुसावर कस्बे में हैं। पति कप्तान सिंह 2012 से राजस्थान पुलिस में कॉन्स्टेबल है। अभी वे अलवर के थानागाजी थाने में कॉन्स्टेबल के पद पर तैनात हैं।
संजना ने बताया कि विधानसभा के चुनाव लड़ने से पहले उनकी इच्छा थी कि वह एलएलबी करे तो पति ने साथ दिया। संजना बताती हैं- पढ़ाई से लेकर राजनीति के इस सफर में पति हमेशा साथ रहे।
लोकसभा चुनाव लड़ने की जब बात आई तो हमारे पास ज्यादा रुपए नहीं थे। पति ने जैसे-तैसे रुपए शामिल किए और चुनाव लड़ाया। यहां तक कि उन्होंने अपनी सारी जमा पूंजी मेरे चुनाव पर खर्च कर दी। पति नौकरी के साथ मुझे गाइड करते रहते थे कि अब कैसे और कहां प्रचार करना है।
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