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उदयपुर में प्रताप गौरव केंद्र में महाराणा प्रताप जयंती समारोह में प्रताप को नमन करते मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि महाराणा प्रताप न केवल राजस्थान और भारत अपितु पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं। उनकी वीरता, शौर्य और देशभक्ति को काल और भौगोलिक सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता है।
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मुख्यमंत्री शनिवार शाम को उदयपुर के टाइगर हिल स्थित प्रताप गौरव केंद्र,राष्ट्रीय तीर्थ परिसर में महाराणा प्रताप जयंती समारोह के उद्घाटन सत्र को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि महाराणा प्रताप के जीवन से विषम परिस्थितियों में भी पीछे नहीं हटने तथा सदैव, सत्य, धर्म और राष्ट्रहित के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है। महाराणा प्रताप के संदेश को पूरी दुनिया तक पहुंचाना हमारी सरकार का लक्ष्य है और इस दिशा में 100 करोड़ रुपयों की लागत से महाराणा प्रताप टूरिस्ट सर्किट विकसित किया जा रहा है।
उदयपुर में प्रताप गौरव केंद्र में महाराणा प्रताप जयंती समारोह में मौजूद प्रमुखजन
उन्होंने कहा कि रविवार का दिन भारत के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा हुआ है। महाराणा प्रताप की जयंती है। यह सुखद संयोग है कि इसी दिन नरेंद्र मोदी तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने जा रहे हैं।
कवि श्यामनारायण पाण्डे की कविता की पंक्तियां उद्धृत करते हुए कहा कि महाराणा प्रताप का नाम सुनते ही धमनियों में शौर्य और पराक्रम का रक्त प्रवाहित होने लगता है, मस्तक गर्व और स्वाभिमान से ऊंचा हो उठता है।
उदयपुर में प्रताप गौरव केंद्र में महाराणा प्रताप जयंती समारोह में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का स्वागत करते हुए।
उन्होंने वियतनाम और अमरीका के बीच 20 वर्ष तक चले युद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि जब वियतनाम ने 20 साल लड़कर दुनिया की सबसे बड़ी ताकत अमेरिका को उल्टे पांव लौटने पर मजबूर कर दिया था, तब वियतनाम के राष्ट्रपति से इतनी लंबी जंग के प्रेरणा स्त्रोत के बारे में पूछा गया था। तब वियतनाम के राष्ट्रपति ने कहा था कि मैंने भारत के एक महापुरुष का जीवन चरित्र पढ़ा है और वह मेरे लिए प्रेरणा स्रोत हैं। वह महापुरूष मेवाड़ के महाराणा प्रताप हैं।
कार्यक्रम को संबोधित करते सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल।
मुख्यमंत्री ने महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक की शौर्यगाथा, मां पन्नाधाय के बलिदान, भामाशाह के सर्वस्व अर्पण तथा बप्पा रावल, महाराणा कुंभा और महाराणा सांगा की वीरता, पराक्रम को भी याद किया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहसरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल ने वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के त्याग, बलिदान और स्वाभिमान की गौरवगाथा सुनाई। उन्होंने कहा कि आज आप और संस्कृति, सभ्यता व धर्म रक्षित हैं तो उसका कारण यही है कि महाराणा प्रताप जैसे महापुरूष हुए, जो अपना राज्य बचाने के लिए नहीं बल्कि धर्म व संस्कृति की रक्षा के लिए लड़े। सर्वस्व त्याग कर जंगलों में रहकर और अभावों में जीवनयापन करके भी समर्पण नहीं किया। उन्होंने महाराणा प्रताप के जीवन से प्रेरणा लेने का आह्वान किया।
जो भी पर्यटक आए, वह अपने साथ प्रताप की शौर्य की गाथा साथ लेकर जाए
मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि महाराणा प्रताप का जीवन हमें किसी भी कीमत पर संप्रभुता और स्वतंत्रता की रक्षा करना सिखाता है। नई पीढ़ी में ऐसे संस्कारों का संचार होना चाहिए। हम महाराणा प्रताप के संदेश को पूरी दुनिया में पहुंचाना चाहते हैं। प्रदेश में जो भी पर्यटक आए, वह अपने साथ महाराणा प्रताप की शौर्य की गाथा साथ लेकर जाए। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार महाराणा प्रताप के जीवन से जुड़े विभिन्न स्थलों चावंड-हल्दीघाटी-गोगुंदा-कुंभलगढ़-दिवेर-उदयपुर आदि को सम्मिलित करते हुए महाराणा प्रताप टूरिस्ट सर्किट विकसित करने पर 100 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
सीएम के फोटो की बनाई पेटिंग भी भेंट की गई।
कार्यक्रम संयोजक प्रताप गौरव केंद्र समिति सचिव महावीर चपलोत, समाजसेवी चंद्रगुप्त सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री का पुष्प गुच्छ व स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत किया। समिति के अध्यक्ष डॉ. भगवतीप्रकाश शर्मा व महामंत्री पवन शर्मा ने मुख्य वक्ता सह सरकार्यवाह डॉ कृष्णगोपाल का स्वागत किया। निदेशक अनुराग सक्सेना ने केंद्र के बारे में जानकारी दी।
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