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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज (रविवार) अपनी कैबिनेट के साथ तीसरी बार शपथ लेने जा रहे हैं। इस बीच राजस्थान के सांसदों की भी धड़कनें तेज हो गई हैं। मंत्रिमंडल में अपनी जगह बनाने को लेकर लॉबिंग शुरू हो चुकी है। राजस्थान में सीटों के नुकसान का भी असर पड़ना
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पिछले 2 बार से 25 सीटें जीत रही भाजपा काे इस बार 11 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है। अगर इसको ध्यान में रखकर मंत्रिमंडल में भागीदारी दी गई तो मंत्री पद का सपना देखने वाले कई सांसदों को झटका भी लग सकता है।
राजस्थान को लेकर कई चर्चा में हैं, जिनमें से किसी एक पर पीएम मोदी अमल कर सकते हैं।
फाइनल फैसले के बाद दोपहर तक फोन किए जाएंगे
राजस्थान से मंत्री बनने के दावेदारों में अर्जुन मेघवाल, लुंबाराम चौधरी, गजेंद्र सिंह शेखावत, दुष्यंत सिंह, सीपी जोशी, भूपेंद्र यादव के नामों पर मंथन चल रहा है। बताया जाता है कि दोपहर तक मंत्री बनने वाले सांसदों को पीएमओ से फोन करके सूचना दी जाएगी। इसके बाद शपथ लेने के लिए बुलाया जाएगा। जब तक पीएमओ से कॉल नहीं आ जाता, तब तक कुछ नहीं कहा जा सकता।
अचानक चर्चा में आया लुंबाराम का नाम
जालोर सीट से पूर्व सीएम अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को हराकर पहली बार सांसद बने लुंबाराम चौधरी का नाम अचानक चर्चा में आया है। बताया जाता है कि लुंबाराम को लेकर टॉप लेवल से जानकारी और फीडबैक मांगा गया था।
नए मंत्रियों की शपथ से पहले केंद्रीय लीडरशिप की तरफ से फीडबैक मांगे जाने के पीछे मंत्री बनने की संभावना को जोड़कर देखा जा रहा है। इसी वजह से लुंबाराम चौधरी का नाम चर्चा में आया।
जानकारों के मुताबिक, मोदी की चौंकाने वाली शैली में लुंबाराम फिट बैठते हैं। पहले ओडिशा से झोपड़ी में रहने वाले साधारण नेता सारंगी को केंद्रीय मंत्री बनाया गया था। लुंबाराम भी उसी चौंकाने वाली थ्योरी में फिट हैं।
लुंबाराम चौधरी और वैभव गहलोत की ये फोटो चुनाव प्रचार के दौरान की है। जब दोनों रास्ते में मिले और वैभव ने लुंबाराम के पैर छुए।
इनकी दावेदारी भी मजबूत
अर्जुन मेघवाल : अर्जुनराम मेघवाल की दावेदारी कई वजहों से मजबूत मानी जा रही है। मेघवाल की गिनती उत्तर भारत के प्रमुख दलित चेहरे के तौर पर होती है। आगे हरियाणा सहित कई प्रदेशों में चुनाव हैं। ऐसे में एक बड़े वोट बैंक को मैसेज देने के हिसाब से अर्जुन मेघवाल की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है।
मेघवाल की मजबूत दावेदारी का एक कारण ये भी है कि वे पीएम मोदी के नजदीकी हैं।
गजेंद्र सिंह शेखावत : गजेंद्र सिंह शेखावत का नाम भी रिपीट होने वाले मंत्रियों के दावेदारों में है। मंत्री पद पर रिपीट होने के पीछे जातीय समीकरण तो कारण है ही, साथ ही शेखावत मोदी और शाह के करीबी भी हैं। हालांकि शेखावत के लिए दोनों से यह नजदीकी सबसे बड़े फायदे के साथ समझौते का कारण भी बन सकती है। अगर गठबंधन सहयोगियों की जिद के आगे जगह नहीं बची तो गजेंद्र सिंह को मंत्री बनाने का मामला आगे भी खिसकाया जा सकता है।
गजेंद्र सिंह को मंत्री पद नहीं मिलता है तो संगठन में भी अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है।
सीपी जोशी : बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी का नाम भी दावेदारों में है। जोशी के नाम को लेकर भी टॉप लेवल पर विचार होने की चर्चा है। हालांकि खुद जोशी ने इसकी पुष्टि या खंडन नहीं किया है।
दुष्यंत सिंह : एनडीए की बैठक के बाद पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के बेटे और झालावाड़-बारां सांसद दुष्यंत सिंह के नाम की भी चर्चा होने लगी है। एनडीए की बैठक में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की मौजूदगी में दुष्यंत ने पीएम मोदी के पांव छुए और जिस तरह उन्होंने मजाक में मुक्का मारा, उसे सियासी संकेत के तौर पर देखा गया। दुष्यंत सिंह पांचवीं बार के सांसद हैं। ऐसे में उनका नाम भी दावेदारों में है।
एनडीए की बैठक के बाद पीएम नरेंद्र मोदी से मिलते राजस्थान के भाजपा सांसद। इस दौरान मोदी ने मजाक में झालावाड़ सांसद दुष्यंत सिंह की पीठ पर मुक्का मारा था।
राजस्थान में पहले कम और बाद में और मंत्री बनाए जाने का विकल्प भी खुला
राजस्थान में पहले फेज में कम मंत्री बनाकर आगे विस्तार में और चेहरों को शामिल करने का फाॅर्मूला भी अपनाया जा सकता है। राजस्थान में बीजेपी को इस बार 14 सीट मिली हैं। पिछले दो बार के चुनावों में बीजेपी ने सभी 25 सीटें जीती थीं। इस रिजल्ट के बाद राजस्थान से ज्यादा मंत्री बनाने का स्कोप् कम हो गया है। पहले वाले मंत्रियों को रिपीट नहीं किया तो संगठन में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है।
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